भोपाल| प्रदेश के शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा जिज्ञासा कार्यक्रम की शुरुआत की गई है, स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार के द्वारा डिजिटल डिजाइन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम जिज्ञासा का शुभारंभ किया गया है. इसे प्रारंभ करने का सरकार का उद्देश्य केवल यही है कि डिजिटली प्रशिक्षित होकर शिक्षक खुद प्रोग्राम बनाकर बच्चों को और भी बेहतर ढंग से पढ़ाने का काम कर सकें. इसी उद्देश्य के साथ डिजिटल डिजाइन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम 'जिज्ञासा' शुरू किया गया है.
इसके अलावा स्कूल शिक्षा मंत्री ने मंत्रालय में बीआरसीसी /बीएसी /सीएसी के ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया है. इस बैच के कुल 15 सत्र होंगे. जिसमें सॉफ्ट स्किल्स ,शैक्षिक संवाद, पुस्तकालय का इस्तेमाल, कॉपी विश्लेषण, अध्यापकों के साथ सहभागिता पूर्ण काम सहित अन्य बिंदुओं पर प्रशिक्षण दिया जाएगा.
जिज्ञासा कार्यक्रम की जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव ने बताया है कि वर्तमान कोरोना संक्रमण के संकट के समय शिक्षा देने के तरीकों में बदलाव आ रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए सभी प्रशिक्षणार्थियों को बेहतर तरीके से प्रशिक्षण लेकर अपने कार्य को बेहतर तरीके से करना होगा, सामूहिक एवं संगठित प्रयास को बेहतर और समर्पण के साथ करके शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए कारगर प्रयास करने होंगे.
इस अवसर पर स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता सबसे अहम मुद्दा है, आधुनिक तकनीक युग में डिजिटल क्रांति से पूरी दुनिया जुड़ी हुई है. इन परिस्थितियों में मध्यप्रदेश को भी कदम से कदम मिलाकर चलना होगा. कोरोना संक्रमण के संकटकाल में शिक्षा विभाग ऑनलाइन शिक्षा के लिए कई तरह के नवाचार लगातार कर रहा है ताकि शिक्षा व्यवस्था को और भी बेहतर बनाया जा सके. 'जिज्ञासा' भी इसी क्रम में एक सबसे महत्वपूर्ण अभियान है. इसमें शिक्षकों को डिजिटल डिजाइनिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इससे शिक्षक स्वयं प्रोग्राम ग्राफिक्स एवं एनिमेशन के माध्यम से विद्यार्थियों को रुचिकर तरीके से पढ़ा सकेंगे. प्रशिक्षण के उपरांत सभी प्रशिक्षक अपने-अपने विषयों में और अधिक दक्ष होकर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी ने बताया कि जिज्ञासा के तहत ट्रेनिंग पाकर जन शिक्षक स्वयं प्रोग्राम बनाकर बच्चों को बेहतर ढंग से सिखा सकते हैं. इस कार्यक्रम के माध्यम से ऐसे मापदंड स्थापित होंगे जिससे सभी टीचर प्रोत्साहित होकर और बेहतर कार्य करेंगे. जिज्ञासा के लिए 2 हजार शिक्षकों कि नामांकन आए हैं जैसे प्रशिक्षित किया जाएगा.
इसके अलावा संगीत के साथ बच्चे भाषा ज्ञान को भी प्राप्त करें, इस उद्देश्य से शंकर महादेवन अकादमी बेंगलुरु द्वारा निर्मित वर्णमाला पर आधारित दो गीतों का लोकार्पण भी किया गया. इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह गीत बच्चों को रुचिकर तरीके से वर्णमाला सीखने में मदद करेंगे. यह दोनों गीत हिंदी वर्णमाला के स्वर एवं व्यंजन पर आधारित है. गीतों के माध्यम से बच्चे रोचक ढंग से हिंदी वर्णमाला को सीखने का काम कर सकते हैं.
इस अवसर पर जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव रश्मि अरुण सामी ने बताया कि शंकर महादेवन अकादमी बेंगलुरु के द्वारा हिंदी वर्णमाला के स्वर एवं व्यंजन को बड़े ही रोचक तरीके से गीत रूप में पिरोया गया है. बच्चे जितना ज्यादा शब्दों को सुनते हैं ,उतना ही उनका भाषा ज्ञान बढ़ता है. खासकर गीत के माध्यम से सीखा गया पाठ हमेशा याद रहता है. प्राथमिक कक्षा के पाठ्यक्रम में हिंदी वर्णमाला को गीत या राइम के फॉर्म में पहली बार शामिल किया गया है. इसे बच्चे बड़ी आसानी और रुचिकर तरीके से सीखकर लंबे समय तक याद रख पाएंगे.