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Maharana Pratap Jayanti 2021: संघर्ष भरा रहा महाराणा प्रताप का जीवन, जानें उनके जीवन की खास बातें - मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप

आज देश महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की 481वीं जयंती मना रहा है. महाराणा प्रताप अपनी बहादुरी के लिए विश्व भर में जाने जाते हैं. महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को हुआ था.

Maharana Pratap Jayanti 2021
महाराणा प्रताप
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Published : Jun 12, 2021, 11:10 PM IST

भोपाल। महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) के जन्म को लेकर इतिहासकारों की दो धारणाएं रही हैं. कुछ इतिहासकार महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ दुर्ग में मानते हैं. वहीं कुछ इतिहासकारों का कहना है कि उनका जन्म पाली के महलों में हुआ है. मेवाड़ की शान महाराणा प्रताप विश्व भर में जाने जाते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को हुआ था, लेकिन राजस्थान का राजपूत समाज का एक बड़ा हिस्सा महाराणा प्रताप का जन्मदिन पंचांग के हिसाब से मनाता है. लोगों का कहना है कि 1540 में 9 मई के दिन ज्येष्ठ शुक्ल की तृतीया तिथि थी, इस हिसाब से साल 2021 में महाराणा प्रताप की 481वीं जयंती 13 जून को मनायी जा रही है.

भीलों के साथ सीखी युद्धकला
सोलहवीं शताब्दी में राजस्थान में जन्में महान हिंदू राजा महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) ने मुगल शासक अकबर को कई बार रणभूमि में टक्कर दी. महाराणा प्रताप की माता का नाम जयवंता बाई था, जो पाली के सोनगरा अखैराज की बेटी थीं. उनका बचपन भील समुदाय के साथ बिता. भीलों के साथ ही वे युद्ध कला सीखते थे, भील अपने पुत्र को किका कहकर पुकारते हैं, जिसके चलते बचपन में उन्हें कीका कहकर पुकारा जाता था. महाराणा प्रताप ने कई बार अकबर के साथ लड़ाई लड़ी. उन्हें महल छोड़कर जंगलों में रहना पड़ा. उनका पूरा जीवन संघर्ष में ही कट गया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है. आज उनके जीवन के मुख्य पहलुओं के बारे में जानते हैं.

Maharana Pratap Jayanti 2021
महाराणा प्रताप.
  • महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) ने अपनी मां से ही युद्ध कौशल सीखा था.
  • देश के इतिहास में दर्ज हल्दीघाटी का युद्ध आज भी पढ़ा जाता है.
  • राजा महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया युद्ध बहुत ज्यादा विनाशकारी था.
  • हल्दीघाटी का युद्ध मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 में लड़ा गया था.
  • हल्दीघाटी का युद्ध न तो अकबर जीत सका था और न ही महाराणा हारे थे.
  • युद्ध में मुगलों के पास बहुत बड़ी सेना थी, तो वहीं राणा प्रताप के पास वीरों की कोई कमी नहीं थी.
  • हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर के पास 85 हजार सैनिक थे, जबकि महाराणा प्रताप ने 20 हजार सैनिकों के साथ अकबर की सेना का सामना किया था.
  • महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो था. इसके साथ ही उनकी छाती का कवच 72 किलो का था. भाला, कवच, ढाल और दो तलवारों के साथ उनके सभी अस्त्र और शस्त्रों का वजन 208 किलो था.
  • अकबर ने महाराणा प्रताप से समझौते के लिए 6 दूत भेजे थे, लेकिन महाराणा प्रताप ने हर बार उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया.
  • महाराणा प्रताप का सबसे चहेता घोड़ा चेतक था. उनका घोड़ा बहुत बहादुर था.
  • हल्दीघाटी की लड़ाई में गंभीर चोटें लगने के कारण चेतक की मौत हो गई थी.
  • आज भी चेतक की समाधि हल्दी घाटी में बनी हई है जो उसकी बहादुरी को बयां करती है.
  • इतिहास कहता है कि जब हल्दीघाटी युद्ध के दौरान मुगल सेना महाराणा के पीछे पड़ी थी. तब चेतक ने राणा को अपनी पीठ पर बिठाकर, कई फीट लंबे नाले को छलांग लगा कर पार किया था. आज भी हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है.
  • अकबर महाराणा प्रताप का सबसे बड़ा शत्रु था, पर उनकी यह लड़ाई कोई व्यक्तिगत द्वेष का परिणाम नहीं था.
  • महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर को बहुत ही दुःख हुआ क्योंकि ह्रदय से वो महाराणा प्रताप के गुणों का प्रशंसक था.
  • महाराणा प्रताप की मौत की खबर सुनकर अकबर रहस्यमय तरीके से मौन हुआ था. इस दौरान उसकी आंखों में आंसू भी आ गए थे.

यूपी में लगेगी महाराणा प्रताप की प्रतिमा
हाल ही में ऐसे वीर योद्धा महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की विशालकाय प्रतिमा देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्थापित होना जा रही है. इस प्रतिमा को जयपुर के शिल्पकारों ने बड़ी बारीकी से तैयार किया है. इस प्रतिमा की खासियत यह है कि चेतक पर बैठे महाराणा प्रताप अब तक बनी महाराणा प्रताप की प्रतिमाओं से कुछ अलग है. इस प्रतिमा को अयोध्या में स्थापित किया जाएगा, जिसका अनावरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे.

सबसे खास और अलग होगी प्रतिमा
भारत के वीर सपूत महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की विशालकाय प्रतिमा का शिल्पकार महावीर भारती की देखरेख में जयपुर में हुआ है. इसकी ऊंचाई 12 फीट है, जो कि कांस्य की बनाई गई है. इसमें उनके कद के अनुरूप उन्हें विशालकाय बनाया गया है. जिसमें उनका तेज, रौबीला चेहरा, चौड़ा सीना, मजबूत बाजू और योद्धा की पोशाक में चेतक पर सवार किया गया है. इस प्रतिमा का वजन 1,500 किलो है. इसे बनाने में छह माह का वक्त लगा है.

भोपाल। महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) के जन्म को लेकर इतिहासकारों की दो धारणाएं रही हैं. कुछ इतिहासकार महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ दुर्ग में मानते हैं. वहीं कुछ इतिहासकारों का कहना है कि उनका जन्म पाली के महलों में हुआ है. मेवाड़ की शान महाराणा प्रताप विश्व भर में जाने जाते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को हुआ था, लेकिन राजस्थान का राजपूत समाज का एक बड़ा हिस्सा महाराणा प्रताप का जन्मदिन पंचांग के हिसाब से मनाता है. लोगों का कहना है कि 1540 में 9 मई के दिन ज्येष्ठ शुक्ल की तृतीया तिथि थी, इस हिसाब से साल 2021 में महाराणा प्रताप की 481वीं जयंती 13 जून को मनायी जा रही है.

भीलों के साथ सीखी युद्धकला
सोलहवीं शताब्दी में राजस्थान में जन्में महान हिंदू राजा महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) ने मुगल शासक अकबर को कई बार रणभूमि में टक्कर दी. महाराणा प्रताप की माता का नाम जयवंता बाई था, जो पाली के सोनगरा अखैराज की बेटी थीं. उनका बचपन भील समुदाय के साथ बिता. भीलों के साथ ही वे युद्ध कला सीखते थे, भील अपने पुत्र को किका कहकर पुकारते हैं, जिसके चलते बचपन में उन्हें कीका कहकर पुकारा जाता था. महाराणा प्रताप ने कई बार अकबर के साथ लड़ाई लड़ी. उन्हें महल छोड़कर जंगलों में रहना पड़ा. उनका पूरा जीवन संघर्ष में ही कट गया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है. आज उनके जीवन के मुख्य पहलुओं के बारे में जानते हैं.

Maharana Pratap Jayanti 2021
महाराणा प्रताप.
  • महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) ने अपनी मां से ही युद्ध कौशल सीखा था.
  • देश के इतिहास में दर्ज हल्दीघाटी का युद्ध आज भी पढ़ा जाता है.
  • राजा महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया युद्ध बहुत ज्यादा विनाशकारी था.
  • हल्दीघाटी का युद्ध मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 में लड़ा गया था.
  • हल्दीघाटी का युद्ध न तो अकबर जीत सका था और न ही महाराणा हारे थे.
  • युद्ध में मुगलों के पास बहुत बड़ी सेना थी, तो वहीं राणा प्रताप के पास वीरों की कोई कमी नहीं थी.
  • हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर के पास 85 हजार सैनिक थे, जबकि महाराणा प्रताप ने 20 हजार सैनिकों के साथ अकबर की सेना का सामना किया था.
  • महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो था. इसके साथ ही उनकी छाती का कवच 72 किलो का था. भाला, कवच, ढाल और दो तलवारों के साथ उनके सभी अस्त्र और शस्त्रों का वजन 208 किलो था.
  • अकबर ने महाराणा प्रताप से समझौते के लिए 6 दूत भेजे थे, लेकिन महाराणा प्रताप ने हर बार उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया.
  • महाराणा प्रताप का सबसे चहेता घोड़ा चेतक था. उनका घोड़ा बहुत बहादुर था.
  • हल्दीघाटी की लड़ाई में गंभीर चोटें लगने के कारण चेतक की मौत हो गई थी.
  • आज भी चेतक की समाधि हल्दी घाटी में बनी हई है जो उसकी बहादुरी को बयां करती है.
  • इतिहास कहता है कि जब हल्दीघाटी युद्ध के दौरान मुगल सेना महाराणा के पीछे पड़ी थी. तब चेतक ने राणा को अपनी पीठ पर बिठाकर, कई फीट लंबे नाले को छलांग लगा कर पार किया था. आज भी हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है.
  • अकबर महाराणा प्रताप का सबसे बड़ा शत्रु था, पर उनकी यह लड़ाई कोई व्यक्तिगत द्वेष का परिणाम नहीं था.
  • महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर को बहुत ही दुःख हुआ क्योंकि ह्रदय से वो महाराणा प्रताप के गुणों का प्रशंसक था.
  • महाराणा प्रताप की मौत की खबर सुनकर अकबर रहस्यमय तरीके से मौन हुआ था. इस दौरान उसकी आंखों में आंसू भी आ गए थे.

यूपी में लगेगी महाराणा प्रताप की प्रतिमा
हाल ही में ऐसे वीर योद्धा महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की विशालकाय प्रतिमा देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्थापित होना जा रही है. इस प्रतिमा को जयपुर के शिल्पकारों ने बड़ी बारीकी से तैयार किया है. इस प्रतिमा की खासियत यह है कि चेतक पर बैठे महाराणा प्रताप अब तक बनी महाराणा प्रताप की प्रतिमाओं से कुछ अलग है. इस प्रतिमा को अयोध्या में स्थापित किया जाएगा, जिसका अनावरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे.

सबसे खास और अलग होगी प्रतिमा
भारत के वीर सपूत महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की विशालकाय प्रतिमा का शिल्पकार महावीर भारती की देखरेख में जयपुर में हुआ है. इसकी ऊंचाई 12 फीट है, जो कि कांस्य की बनाई गई है. इसमें उनके कद के अनुरूप उन्हें विशालकाय बनाया गया है. जिसमें उनका तेज, रौबीला चेहरा, चौड़ा सीना, मजबूत बाजू और योद्धा की पोशाक में चेतक पर सवार किया गया है. इस प्रतिमा का वजन 1,500 किलो है. इसे बनाने में छह माह का वक्त लगा है.

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