हैदराबाद। सावन के प्रमुख त्योहारों में से एक श्रीकृष्ण जनमाष्टमी इस साल 30 अगस्त को मनाई जाएगी. जन्माष्टमी के मौके पर हर साल देश के कई प्रदेशों में दही हांडी उत्सव मनाया जाता है. कोरोना की वजह से पिछले साल दही हांडी उत्सव मनाने पर पूरे देश में रोक लगाई गई थी, इस साल भी राज्य सरकारों ने दही हांडी उत्सव मनाने की अनुमति नहीं दी है.
क्यों मनाया जाता है दही हांडी उत्सव?
भगवान श्रीकृष्ण को मक्खन और दही बेहद प्रिय है. पौराणिक कथाओं में बताया जाता है कि बचपन में भगवान श्रीकृष्ण लोगों के घरों में जाकर मक्खन और दही चुराकर खाते थे. श्रीकृष्ण से परेशान होकर महिलाएं दही और मक्खन से भरी हांडियों को ऊंचाई पर टांग देती थी. लेकिन बाल गोपाल इतने चालाक थे कि अपने दोस्तों के साथ मिलकर वो एक के ऊपर एक चढ़कर हांडी तक पहुंच जाते थे और खुद भी मक्खन खाते थे और अपने दोस्तों को भी खिलाते थे. इसी परंपरा को बनाए रखने के लिए दही हांडी उत्सव मनाया जाता है.
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कहां-कहां मनाया जाता है दही हांडी का उत्सव
हर साल कृष्ण जन्माष्टमी पर दही हांडी उत्सव मनाया जाता है. वैसे तो देश के कई राज्यों में दही हांडी का आयोजन होता है, लेकिन सबसे भव्य तरीके से इसे महाराष्ट्र में मनाया जाता है. यहां बड़े पैमाने पर दही हांडी के उत्सव आयोजित होते हैं. इस दौरान कई फीट ऊपर बंधी हांडी को तोड़ने वाली टीम को बड़-बड़े इनामी भी दिए जाते हैं. हालांकि इस बार भी महाराष्ट्र सरकार समेत तमाम राज्य सरकारों ने सामूहिक रूप से दही हांडी उत्सव मनाने की अनुमति नहीं दी है.