भोपाल। कोरोना महामारी के चलते बीते तीन महीने में बहुत कुछ बदल गया है. किसान, गरीब, व्यापारी समेत हर वर्ग के लोग कोरोना की चपेट में आए हैं. फूल व्यापारियों और किसानों पर लॉकडाउन कहर बनकर टूटा है. इन किसानों को फूल तैयार करने में तीन महीने लगते हैं और फिर अगले 3 महीनें में फूलों का व्यापार होता है, लेकिन तैयार हुए इन फूलों का व्यापार करने का जब समय आया तो, किसानों पर लॉकडाउन की मार पड़ गई. और किसानों के पशीने की मेहनत खेतों में सड़ गई.
लॉकडाउन में फूल व्यापारियों का नुकसान
3 महीने के लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक वन शुरू हो चुका है और इस अनलॉक वन में शहर के तमाम बाजार खुल चुके हैं. लोगों को जरूरत की चीजें मिलने लगी हैं. यहां तक कि मंदिर-मस्जिद और होटलें भी खोल दी गई हैं. इसके बावजूद 3 महीने में हुए नुकसान को चुका पाना मुश्किल है, क्योंकि ये तीन महीने इन फूलों को बिकने के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं. इन्हीं सीजन में शादी समारोह होता है, जिनमें फूलों की मांग बढ़ती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते किसानों की लागत तक नहीं निकली है.
एक दिन में 100 रूपये की भी कमाई नहीं
अब मंदिरों के पट तो खुल चुके हैं, लेकिन भक्तों का जमावड़ा मंदिरों में नहीं दिखता, जिसके चलते मंदिरों के बाहर बैठे हुए फूल व्यापारियों के फूल नहीं बिक रहे हैं. यहां तक की जो शादियां हो रही हैं, उसमें वरमाला भी लोग आर्टिफिशियल खरीद रहे हैं. ऐसे में फूल नहीं बिक रहे हैं. मंदिरों के बाहर फूल के व्यापारियों की मानें तो फूलों का बिजनेस 90 फीसदी गिर गया है. जहां हर रोज एक हजार से 2 हजार की कमाई हुआ करती थी. वहीं अब 40-50 रुपये मिलना भी बड़ी बात हो गई है.
किसानों की नहीं निकली लागत
दरअसल यह 3 महीने इतने महत्वपूर्ण थे, जहां अब शादी सीजन खत्म हो चुका है वहीं बड़े-बड़े समारोह कैंसिल हो गए हैं, कई बड़े त्यौहार जिनमें फूलों की अच्छी खासी बिक्री होती थी. वह त्यौहार भी लॉकडाउन के चलते नहीं हो पाए. ऐसे में फूलों का जीरो परसेंट भी व्यापार नहीं हुआ, जिसका भारी नुकसान फूलों की खेती करने वाले किसानों को हुआ है.
लाखों के फूल सड़ गए
फुल व्यापारियों का कहना है कि अचानक हुए लॉकडाउन से लाखों रुपए का माल सड़ गया है, जो फूल खरीदकर स्टोरेज में रखे थे वह बर्बाद हो गए. अब दुकानें तो खुल चुकी हैं, लेकिन फूल नहीं बिक रहे हैं. फुल व्यापारियों का कहना है कि लॉकडाउन में हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए सालों लग जाएंगे.
किसानों को कर्ज भरने की चिंता
वहीं फूलों की खेती करने वाले किसान कहते हैं कि फूलों को तैयार करने में उन्हें बड़ा होने में पूरे 3 महीने लग जाते हैं, इनके लिए महंगी दवाई होती है, खाद-मिट्टी का इंतजाम करना पड़ता है. तब कहीं जाकर फूलों की बेहतर खेती हो पाती है. किसान का कहना है कि लॉकडाउन से पहले खेती पर लाखों रुपए खर्च कर दिए थे, अब कर्ज भरने की चिंता सता रही है. सबसे खास बात ये है कि इस महामारी की आपदा में किसानों को मुनाफा तो दूर की बात है उनको कर्ज भरने की चिंता सता रही है. इन्हें अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का संघर्ष करना पड़ता है.