भोपाल| प्रदेश में स्कॉलरशिप के नाम पर हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार की जांच पांच साल बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची. 2008 से 2015 के बीच पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के नाम पर हुई अनियमितता के मामले में 126 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे. लोकायुक्त में 100 मामले, ईओडब्ल्यू में 22 मामले और पुलिस थानों में चार मामले दर्ज किए थे. ईओडब्ल्यू डीजी केएन तिवारी का कहना है कि मामले की जांच जल्द पूरी कर ली जाएगी.
अनुसूचित जाति, जनजाति के स्टूडेंट की स्कॉलरशिप के नाम पर हुआ फर्जीवाड़ा जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. कॉलेज संचालकों और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का घोटाला हुआ था. अधिकारियों ने कॉलेज संचालकों से मिलीभगत कर शासन से स्कॉलरशिप के नाम पर पैसा लिया और फर्जी स्टूडेंट के नाम पर पूरा पैसा खा लिया.
मामले की परतें खुलीं तो गड़बड़ी में प्रदेश में 40 से ज्यादा कॉलेजों के नाम सामने आए. प्रदेशभर में लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में 122 मामले दर्ज किए गए थे. मामले में विभाग ने छह लाख 30 हजार रुपये की वसूली की थी.
स्कॉलरशिप फर्जीवाड़े मामले में भोपाल के एलबीएस पैरामेडिकल कॉलेज के खिलाफ अलग-अलग 33 मामले दर्ज हैं. इस मामले में कॉलेज संचालकों के अलावा आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक अनिल श्रीवास्तव, सहायक आयुक्त प्रेम कुमार पांडे आरोपी हैं. मामले में आरोपी अनिल श्रीवास्तव सहित कई आरोपी रिटायर्ड हो चुके हैं.