भोपाल। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जतानी शुरू कर दी है. उनका कहना है कि भले ही कोरोना की दूसरी लहर से राहत मिलने लगी है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है. कोरोना एक म्यूटेंट वायरस (Mutant Virus) है. अब इसका डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) काल बनकर सामने आने वाला है. जानकारों के मुताबिक, आने वाले तीन महीने भारत के लिए खतरे भरे हैं, क्योंकि हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहार (Indian Festival) इन्हीं तीन महीनों में आने वाले हैं. इस दौरान संक्रमण तेजी से फैल सकता है. ऐसे में सभी को सावधान और सुरक्षित रहने की जरूरत है. (Third Wave Of Corona)
अक्टूबर नवंबर में चरम पर होगी लहर
पिछले दिनों में सामने आए डेल्टा वेरिएंट के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है. एमपी के 565 सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग जांच के बाद वेरिएंट ऑफ कंसर्न (Variant of Concern) की श्रेणी में पाया गया है. इसमें से 155 मामलों की पुष्टि हो चुकी है. बता दें कि महामारी पर शोध करने वाले एक वैज्ञानिक ने अगस्त में आशंका जताई थी कि यदि भारत में वायरस के मौजूदा स्वरूपों से अधिक संक्रामक कोई स्वरूप सितंबर तक सामने आता है तो अक्टूबर से नवंबर के बीच कोरोना की तीसरी लहर चरम पर हो सकती है, और डेल्टा वेरिएंट कहर बरपा सकता है.
तीसरी लहर में बिगड़ सकते हैं हालात (Effect of Corona Third Wave)
पिछले कुछ महीनों से तेजी से हो रहे टीकाकरण और कोरोना के किसी नए वेरिएंट (New Variant of Corona) के सामने नहीं आने के बाद हालात फिलहाल काबू में हैं. अब तीसरी लहर को लेकर सबसे बड़ा खतरा त्योहारों के सीजन में होगा. अगर लोग त्योहारों के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल (Corona Guideline) का पालन नहीं करेंगे, तो हालात फिर से बिगड़ सकते हैं.
क्या कहते हैं एम्स निदेशक
कोरोना की तीसरी लहर (corona third wave) को लेकर एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया (AIIMS Director Randeep Guleria) का कहना है कि इस समय कोरोना के मामलों में तेजी से गिरावट देखी जा रही है. स्थिति काफी अच्छी है. हालांकि आने वाले दिनों में त्योहारों के मौसम तथा उस दौरान कोविड संबंधी तौर-तरीकों के पालन में आने वाली कमी, बड़े स्तर पर भीड़ का जुटना भी तीसरी लहर को लेकर निर्णायक कारक साबित हो सकते हैं.
डेल्टा और डेल्टा प्लस क्या है, और इसमें आखिर अंतर क्या है? (Difference between delta and delta plus variant)
कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट (B.617.2) भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देशों में चिंता बढ़ा ही रहा था कि, तब तक यह म्यूटेंट होकर डेल्टा प्लस या AY.1 में भी तब्दील हो गया. डेल्टा वैरिएंट की स्पाइक में K417N म्यूटेशन जुड़ जाने का कारण डेल्टा प्लस वैरिएंट बना है. K417N दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस के बीटा वैरिएंट और ब्राजील में पाए गए गामा वैरिएंट में पाया गया है. बहरहाल, डॉक्टर जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए लगातार नजर बनाए हुए हैं और जल्द ही डेल्टा प्लस वैरिएंट की जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच की बात कहते हैं. (Third Wave Of Corona)
डेल्टा वेरिएंट के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Delta Variant)
डेल्टा प्लस काफी संक्रामक है और फेफड़े की कोशिकाओं के रिसेप्टर से मजबूती से चिपकने में सक्षम है. इसकी वजह से फेफड़े को जल्द नुकसान पहुंचने की संभावना होती है. साथ ही यह मोनोक्लोनल एंडीबॉडी कॉकटेल (Antibody Cocktail) को भी मात देने में सक्षम है. जिन लोगों को डेल्टा वेरिएंट ने अपनी चपेट में लिया है, उन्हें तेज खांसी (Bad Cold) और अलग ही तरह का फनी ऑफ फीलिंग जैसा अहसास हो रहा है. उनका कोल्ड सिम्टम्स पिछले वायरस से काफी अलग पाया जा रहा है. अध्ययन के अनुसार, सिरदर्द, गले में खराश और नाक बहना डेल्टा वेरिएंट से जुड़े सबसे आम लक्षण हैं.