मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 10वीं की परीक्षा रद्द करने का बड़ा निर्णय लिया है, लेकिन इस निर्णय से अब इसमें एक नया सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सरकार परीक्षा आयोजित न होने की दशा में परीक्षा शुल्क के रूप में ली गई राशि छात्रों को वापस करेगी या नहीं?. ये सवाल उठाया है प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने..एसोसिएशन का कहना है कि जब एग्जाम रद्द हो गया है तो छात्रों की परीक्षा फीस भी वापस होना चाहिए. वहीं 12वीं की परीक्षा पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
होनी चाहिए परीक्षा शुल्क वापस
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि जब 10वीं की परीक्षा रद्द कर दी गई है, तो विद्यार्थियों को परीक्षा शुल्क वापस किया जाना चाहिए.गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश द्वारा 10वीं की परीक्षा रद्द किये जाने के बाद एक आदेश जारी कर कहा गया है कि "हाईस्कूल परीक्षा वर्ष 2021 की प्रायोगिक परीक्षा के लिए आबंटित राशि का वितरण किसी भी संस्था को नहीं किया जाना है,यदि किसी संस्था को वितरित की गई है तो तत्काल मंडल के खाते में वापस जमा कराई जाए" इस आदेश के बाद ही विवाद की स्थिति निर्मित हुई है। दरअसल प्रैक्टिकल परीक्षा शुल्क माध्यमिक शिक्षा मंडल के द्वारा वापस मांगने के बाद निजी स्कूलों के एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि,जब बोर्ड अपना शुल्क वापस मांग रहा है,तो ऐसे में जब कोरोना के चलते परीक्षा का आयोजन नहीं हो रहा है, तो बोर्ड को छात्रों द्वारा जमा की गई परीक्षा शुल्क को भी वापस लौटा देना चाहिये.
माध्यमिक शिक्षा मंडल को मिली करीब 90 करोड़ रुपये परीक्षा फीस
इस सत्र में लगभग 10 लाख छात्र छात्राओं को परीक्षा में शामिल होना था. और लगभग 90 करोड़ रुपये परीक्षा शुल्क बोर्ड को प्राप्त हुआ.और माध्यमिक शिक्षा मंडल ने प्रश्न पत्र, उत्तर पुस्तिकाओं और प्रायोगिक परीक्षा के लिये जिलों को राशि भेजने में लगभग 12 से 15 करोड़ रुपये खर्च कर दिए होंगे फिर भी मंडल के पास काफी राशि बची हुई है.