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हनीट्रैप पर कांग्रेस ने गोपाल भार्गव को किया 'ट्रेस', कहा- दम है तो दिखाएं वीडियो

राजगढ़ घटनाक्रम के बाद सूबे में सियासी घमासान मचा है, जिसके चलते कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.

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कांग्रेस का पलटवार
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Published : Jan 27, 2020, 11:04 PM IST

भोपाल। राजगढ़ में कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर की दंबगई के बाद बीजेपी और नौकरशाही के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, इस बीच नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर नौकरशाही की प्रतिक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं. उनका दावा है कि हनीट्रैप मामले में प्रदेश के करीब 8 अफसरों के वीडियो उनके नजदीकी लोगों के पास है, लेकिन प्रदेश की फजीहत न हो, इसलिए उन्हें सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं.

कांग्रेस का नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव पर पलटवार

भार्गव के बयान पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि गोपाल भार्गव इन दिनों हताशा के दौर से गुजर रहे हैं, बीजेपी की प्रचार-प्रतिस्पर्धा के चलते वे स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पा रहे हैं. उनसे आग्रह है कि अगर उनके पास कोई सबूत है तो सार्वजनिक करें या जांच एजेंसी को दें. इस तरह के बयान देकर प्रदेश को को बदनाम न करें. भार्गव ने फेसबुक पर एक भारी-भरकम पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने नौकरशाही और कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा था.

फेसबुक पोस्ट पर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि लगता है बीजेपी के नेता इस समय भयंकर हताशा और निराशा के दौर से गुजर रहे हैं. खासकर गोपाल भार्गव जैसे राजनेता क्योंकि उनके राजनीतिक कद पर शिवराज सिंह और राकेश सिंह जैसे लोग छाया बनकर बैठे हैं. उन्हें स्वतंत्रतापूर्वक काम नहीं करने देना चाह रहे हैं. इस समय बीजेपी नेताओं में प्रचार-प्रतिस्पर्धा चल रही है कि कौन मीडिया में ज्यादा सुर्खियां बटोरता है तो शायद भार्गव ने हनीट्रैप के बहाने कोशिश और कुत्सित प्रयास किया कि किसी प्रकार मीडिया की सुर्खियां मिल सके.

प्रवक्ता ने कहा कि अगर उनके पास किसी के नाम है. जैसा उन्होंने कहा है कि 8 अधिकारियों के वीडियो उनके पास है तो सार्वजनिक करें. अगर सार्वजनिक करने का साहस नहीं है तो जांच एजेंसी को सौंप दें. उनके पास अगर कुछ है और वे संबंधित जांच एजेंसी को नहीं दे रहे हैं तो ये भी कानूनन अपराध है. नेता प्रतिपक्ष राजनीतिक अपराध के साथ-साथ कानूनन अपराध नहीं करेंगे. उनसे आग्रह करता हूं कि दम है तो चीजें सामने लाइए और जांच एजेंसी को दीजिए. इस तरह की घटिया बयानबाजी कर प्रदेश का नाम बदनाम मत करिए.

भोपाल। राजगढ़ में कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर की दंबगई के बाद बीजेपी और नौकरशाही के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, इस बीच नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर नौकरशाही की प्रतिक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं. उनका दावा है कि हनीट्रैप मामले में प्रदेश के करीब 8 अफसरों के वीडियो उनके नजदीकी लोगों के पास है, लेकिन प्रदेश की फजीहत न हो, इसलिए उन्हें सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं.

कांग्रेस का नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव पर पलटवार

भार्गव के बयान पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि गोपाल भार्गव इन दिनों हताशा के दौर से गुजर रहे हैं, बीजेपी की प्रचार-प्रतिस्पर्धा के चलते वे स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पा रहे हैं. उनसे आग्रह है कि अगर उनके पास कोई सबूत है तो सार्वजनिक करें या जांच एजेंसी को दें. इस तरह के बयान देकर प्रदेश को को बदनाम न करें. भार्गव ने फेसबुक पर एक भारी-भरकम पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने नौकरशाही और कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा था.

फेसबुक पोस्ट पर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि लगता है बीजेपी के नेता इस समय भयंकर हताशा और निराशा के दौर से गुजर रहे हैं. खासकर गोपाल भार्गव जैसे राजनेता क्योंकि उनके राजनीतिक कद पर शिवराज सिंह और राकेश सिंह जैसे लोग छाया बनकर बैठे हैं. उन्हें स्वतंत्रतापूर्वक काम नहीं करने देना चाह रहे हैं. इस समय बीजेपी नेताओं में प्रचार-प्रतिस्पर्धा चल रही है कि कौन मीडिया में ज्यादा सुर्खियां बटोरता है तो शायद भार्गव ने हनीट्रैप के बहाने कोशिश और कुत्सित प्रयास किया कि किसी प्रकार मीडिया की सुर्खियां मिल सके.

प्रवक्ता ने कहा कि अगर उनके पास किसी के नाम है. जैसा उन्होंने कहा है कि 8 अधिकारियों के वीडियो उनके पास है तो सार्वजनिक करें. अगर सार्वजनिक करने का साहस नहीं है तो जांच एजेंसी को सौंप दें. उनके पास अगर कुछ है और वे संबंधित जांच एजेंसी को नहीं दे रहे हैं तो ये भी कानूनन अपराध है. नेता प्रतिपक्ष राजनीतिक अपराध के साथ-साथ कानूनन अपराध नहीं करेंगे. उनसे आग्रह करता हूं कि दम है तो चीजें सामने लाइए और जांच एजेंसी को दीजिए. इस तरह की घटिया बयानबाजी कर प्रदेश का नाम बदनाम मत करिए.

Intro:भोपाल।राजगढ़ घटनाक्रम के बाद भाजपा और नौकरशाही के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।इस माहौल के बीच मप्र विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करके नौकरशाही की प्रतिक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही दावा किया है कि प्रदेश के करीब 8 अफसरों के वीडियो उनके नजदीकी लोगों के पास है। लेकिन प्रदेश की फजीहत ना हो, इसलिए उन्हें सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं। उनके बयान पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा है कि गोपाल भार्गव इन दिनों हताशा के दौर से गुजर रहे हैं। बीजेपी की प्रचार प्रतिस्पर्धा के कारण वो स्वतंत्रता से काम नहीं कर पा रहे हैं। हमारा उनसे आग्रह है कि अगर उनके पास कोई सबूत है,तो सार्वजनिक करें या जांच एजेंसी को दें। इस तरह के बयान देकर मप्र को बदनाम ना करें। फिलहाल राजगढ़ मामले को लेकर जहां नौकरशाही और बीजेपी आमने-सामने हैं वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस सियासी फायदा लेने से नहीं चूक रही है।


Body:दरअसल नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव फेसबुक पर एक भारी-भरकम पोस्ट लिखते हुए कहा था कि.......

ब्यावरा राजगढ़ की घटना को लेकर आजकल प्रदेश के कुछ आईएएस अफसरों के मन में, कथन और लेखन में भारी अकुलाहट है। पिछड़ा वर्ग के एक पूर्व मंत्री बद्री लाल यादव द्वारा कहे गए कथन या भाषण से "एलीट वर्ग" घायल है। इस वर्ग को देवताओं ने भारतवर्ष की जनता के लिए विशेष प्रसाद के रूप में दिया है। इसलिए वह ऐसे कवच कुंडल धारण किए हैं जिन पर डॉक्टर भीमराव जी अंबेडकर द्वारा लिखित संविधान और आईपीसी, सीआरपीसी के विधानों का कोई असर नहीं होता है। उनकी नजर में सभी राजनीतिक व्यक्ति डाकू है और वह स्वयं देवपुरुष हैं। रेत खदानों, शराब दुकानों, परिवहन नाको जैसे अनेक ईश्वर प्रदत्त कमाई के जरिओं से इसी राज्य में इसी वर्ग के दंपत्ति के पास अरबों रुपए की संपत्ति बरामद हुई थी। वह तो एक छोटा सा उदाहरण मात्र है, लेकिन नेता तो डाकू और आप देवपुरूष हैं। जिस अधिकारी के पास गोली चलवाने,टीयर गैस छुड़वाने,वाटर कैनन चलवाने, लाठीचार्ज करवाने का अधिकार हो, भारत की सीआरपीसी जिसकी दास हो वह अधिकारी भीड़ में घुसकर थप्पड़ वाली करें। 61 साल के बुजुर्ग एएसआई और अपने अधीनस्थ छोटे से पटवारी को तमाचे लगाए या किसी पूर्व विधायक का सिर्फ फोड़े यह कहां तक उचित है। मैंने अपने 40 वर्ष के राजनीतिक जीवन में देखा है कि सरकार किसी की भी रही हो यही अधिकारी मुख्यमंत्री और रसूखदार मंत्रियों के यहां उनके दरवाजे और दरबार में मनचाही पदस्थापना पाने के लिए दरबारी बनकर बैठे रहते हैं। यही देवपुरुष जनता की गाढ़ी कमाई को लूट कर अप्सराओं के साथ मधु पान करते हैं और फिर ट्रैप में फंसते हैं तब जाकर एक वीडियो के बदले 1 करोड़ रूपए तक देते हैं। यह पैसा कहां से आता है? ऐसे लगभग 8 देव पुरूषों के वीडियो मेरे एक परिचित के पास हैं।मैं चाहता तो सब खुलासा करता लेकिन मैं यह नहीं चाहता कि यह गंदगी फैले और मेरा मध्य प्रदेश पूरे देश और दुनिया में कुकर्मी प्रदेश के रूप में जाना जाए। इस कारण मैं अभी तक चुप रहा।लेकिन ब्यावरा की घटना एवं देव पुरुषों के अवांछित वक्तव्य से अब पानी सर के ऊपर से निकल चुका है। मैं यह भी नहीं चाहता था कि ईडी आईटी और सीबीआई जैसी संस्थाएं राज्य में आकर कार्यवाही करें और मेरे ही राज्य की फजीहत हो लेकिन जो देवपुत्र गटकने की अति कर रहे हैं,उनके बारे में मुझे पार्टी की मंशा अनुसार तय करना है। विशेषकर उन देवपुत्र के बारे में जिनको अंग्रेजी भाषा में घुटना टेक होने का हुक्म दिया जाता है तो वह रेंगने लगते हैं फिर कहां जाता है उनका स्वाभिमान ? अरे जो असली स्वाभिमानी तो वो है जो वीआरएस लेकर प्रदेश छोड़ रहे हैं। जनाब फिर आप लोगों किस इंतजार में हैं ? हे देव पुरुषों आप के पास तो गोली चलवाने, लाठी चलवाने जैसे असीमित अधिकार है, सीआरपीसी आपकी दास है। परंतु जिस जनता के पास सिर्फ लोकतांत्रिक तरीके से सभा करके और जुलूस निकालकर अपनी बात कहने का अधिकार है, उस जनता के इन्हीं थोड़े से अधिकारों से आपको घोर आपत्ति और नफरत क्यों हैं ? आखिर जनता क्या करें ? हे देव पुरुषों याद रखिए आपका यही व्यवहार और उससे निर्मित परिस्थितियां ही भारत में नक्सलवाद को जन्म देती हैं। मेरी आप सभी देव पुरुषों को एक सलाह है कि आप कमलनाथ जी और उनकी सरकार की शान में 11 चालीसा लिखें। जिस देव पुरुष का चालीसा प्रदेश के बुद्धिजीवी हो और साहित्यकारों को पसंद आएगा। मैं उस देवपुरुष का अपनी ओर से नागरिक अभिनंदन करूंगा।


Conclusion:नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की फेसबुक पोस्ट पर मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि मुझे लगता है कि पूरे भाजपा के नेता इस समय भयंकर हताशा और निराशा के दौर से गुजर रहे हैं।विशेषकर गोपाल भार्गव जैसे राजनेता, क्योंकि उनके राजनीतिक कद पर शिवराज सिंह और राकेश सिंह जैसे लोग छाया बनकर बैठे हैं। उनको स्वतंत्रता पूर्वक काम नहीं करने देना चाह रहे हैं। इस समय भाजपा के नेताओं में प्रचार प्रतिस्पर्धा चल रही है कि कौन मीडिया में ज्यादा सुर्खियां बटोरता है, तो शायद गोपाल भार्गव ने हनीट्रैप के बहाने कोशिश और कुत्सित प्रयास किया, कि किसी प्रकार मीडिया की सुर्खियां मिल सके।
इस मामले में कांग्रेस का बोलना स्पष्ट है कि यदि आपके पास किसी के नाम हैं। जैसा उन्होंने कहा है कि 8 अधिकारियों के वीडियो उनके पास है, तो सार्वजनिक करें। यदि सार्वजनिक करने का साहस नहीं है,तो जांच एजेंसी को लाकर दे. गोपाल भार्गव के पास यदि कुछ है और वह संबंधित जांच एजेंसी को नहीं दे रहे हैं, तो वह भी कानूनन अपराध है। मुझे लगता है कि नेता प्रतिपक्ष राजनीतिक अपराध के साथ-साथ कानूनन अपराध नहीं करेंगे। मैं उनसे आग्रह करता हूं कि दम है, तो चीजें सामने लाइए और जांच एजेंसी को दीजिए। पर इस प्रकार की घटिया बयान बाजी कर अपनी पार्टी की प्रचार प्रतिस्पर्धा के चलते मध्य प्रदेश का नाम बदनाम मत करिए।
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