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MP: नगरीय निकाय चुनाव दलीय आधार पर नहीं कराने के विरोध में कांग्रेस

माना जा रहा है कि सरकार बदले के बाद मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव दलों के आधार पर नहीं होंगे. इसके खिलाफ में सत्ताधारी दल के नेता हैं. इसके लिए कांग्रेस नेताओं ने अपनी बात भी रखी है.

नगरीय निकाय चुनाव
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Published : Sep 14, 2019, 10:36 PM IST

भोपाल। राज्य में जल्द ही नगरीय निकाय चुनाव हो सकते हैं. सरकार बदलने के बाद निकाय चुनाव में कई तरह के बदलाव की चर्चा है. चर्चा तो यहां तक है कि नगरीय निकायों के अध्यक्ष और महापौर का चुनाव अब सीधे जनता की जगह चुने हुए पार्षद करेंगे. वहीं दूसरी तरफ माना जा रहा है कि इस बार नगरीय निकाय राजनीतिक दलों के आधार पर नहीं होंगे. हालांकि, इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है.

दलीय आधार पर चुनाव नहीं कराने के विरोध में सत्ताधारी दल

प्रदेश की सत्ताधारी दल कांग्रेस इसके खिलाफ है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वे चुनाव से कभी नहीं डरते. इसलिए वे चाहते हैं कि चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह के आधार पर ही लड़ा जाये. सरकार बनने के बाद कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है कि नगरीय निकायों से बीजेपी का कब्जा खत्म किया जाए.

निगमों से बीजेपी का हटाने की जुगत में कांग्रेस
प्रदेश की 16 नगर निगमों पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. ऐसी स्थिति में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार उन तमाम पहलुओं पर विचार कर रही है, जिनके जरिए ज्यादा से ज्यादा नगरीय निकायों पर कब्जा किया जा सकता है. इसलिए कांग्रेस सरकार के लिए नगरीय निकाय चुनाव अलग-अलग तरीके से करने के सुझाव आ रहे हैं.

इस सुझाव ने पकड़ा जोर
हाल ही में एक सुझाव ने काफी जोर पकड़ा है और राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सरकार अब नगरीय निकाय चुनाव राजनीतिक दलों के आधार पर नहीं कराना चाहती है. इस चुनाव में ना तो दलों के चुनाव चिन्ह का उपयोग होगा और ना ही पार्टी के नेता पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में होंगे. हालांकि अभी तक इस बारे में कोई अंतिम फैसला सरकार द्वारा नहीं लिया गया है.

बदलाव के लिए विधेयक कराना होगा पारित
इस मामले में सरकार अगर कोई फैसला लेती है तो चुनाव के पहले सरकार को विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित कराना होगा. तब सरकार की मर्जी से चुनाव संपन्न हो सकेगा. हालांकि राजनीतिक दलों के आधार पर चुनाव कराने का विरोध सत्ताधारी दल कांग्रेस में ही हो रहा है.

'चुनाव चिन्ह के आधार पर हों चुनाव'
कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि जमीनी स्तर पर संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव ही ऐसे मौके होते हैं कि वह पार्टी के आधार पर चुनाव लड़ सकते हैं और अपने आप को स्थापित कर सकते हैं. अगर उन्हें यही मौका नहीं मिलेगा, तो ठीक नहीं होगा. वहीं कांग्रेस संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि कांग्रेसी चुनाव से डरती नहीं है. इसलिए हम चाहते हैं कि चुनाव चुनाव चिन्ह के आधार पर ही होना चाहिए.

भोपाल। राज्य में जल्द ही नगरीय निकाय चुनाव हो सकते हैं. सरकार बदलने के बाद निकाय चुनाव में कई तरह के बदलाव की चर्चा है. चर्चा तो यहां तक है कि नगरीय निकायों के अध्यक्ष और महापौर का चुनाव अब सीधे जनता की जगह चुने हुए पार्षद करेंगे. वहीं दूसरी तरफ माना जा रहा है कि इस बार नगरीय निकाय राजनीतिक दलों के आधार पर नहीं होंगे. हालांकि, इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है.

दलीय आधार पर चुनाव नहीं कराने के विरोध में सत्ताधारी दल

प्रदेश की सत्ताधारी दल कांग्रेस इसके खिलाफ है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वे चुनाव से कभी नहीं डरते. इसलिए वे चाहते हैं कि चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह के आधार पर ही लड़ा जाये. सरकार बनने के बाद कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है कि नगरीय निकायों से बीजेपी का कब्जा खत्म किया जाए.

निगमों से बीजेपी का हटाने की जुगत में कांग्रेस
प्रदेश की 16 नगर निगमों पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. ऐसी स्थिति में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार उन तमाम पहलुओं पर विचार कर रही है, जिनके जरिए ज्यादा से ज्यादा नगरीय निकायों पर कब्जा किया जा सकता है. इसलिए कांग्रेस सरकार के लिए नगरीय निकाय चुनाव अलग-अलग तरीके से करने के सुझाव आ रहे हैं.

इस सुझाव ने पकड़ा जोर
हाल ही में एक सुझाव ने काफी जोर पकड़ा है और राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सरकार अब नगरीय निकाय चुनाव राजनीतिक दलों के आधार पर नहीं कराना चाहती है. इस चुनाव में ना तो दलों के चुनाव चिन्ह का उपयोग होगा और ना ही पार्टी के नेता पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में होंगे. हालांकि अभी तक इस बारे में कोई अंतिम फैसला सरकार द्वारा नहीं लिया गया है.

बदलाव के लिए विधेयक कराना होगा पारित
इस मामले में सरकार अगर कोई फैसला लेती है तो चुनाव के पहले सरकार को विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित कराना होगा. तब सरकार की मर्जी से चुनाव संपन्न हो सकेगा. हालांकि राजनीतिक दलों के आधार पर चुनाव कराने का विरोध सत्ताधारी दल कांग्रेस में ही हो रहा है.

'चुनाव चिन्ह के आधार पर हों चुनाव'
कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि जमीनी स्तर पर संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव ही ऐसे मौके होते हैं कि वह पार्टी के आधार पर चुनाव लड़ सकते हैं और अपने आप को स्थापित कर सकते हैं. अगर उन्हें यही मौका नहीं मिलेगा, तो ठीक नहीं होगा. वहीं कांग्रेस संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि कांग्रेसी चुनाव से डरती नहीं है. इसलिए हम चाहते हैं कि चुनाव चुनाव चिन्ह के आधार पर ही होना चाहिए.

Intro:भोपाल मध्यप्रदेश में आने वाले समय में कभी भी नगरीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं। लेकिन सूबे की सरकार बदलने के बाद नगरीय निकाय चुनाव में कई तरह के बदलाव की चर्चा सामने आ रही है। एक चर्चा यह सामने आ रही है कि नगरीय निकायों के अध्यक्ष और महापौर का चुनाव अब सीधे जनता नहीं, बल्कि चुने हुए पार्षद करेंगे। तो दूसरी तरफ यह चर्चा सामने आ रही है कि नगरीय निकाय चुनाव राजनीतिक दलों के आधार पर नहीं होंगे। इसमें राजनीतिक दलों के अधिकृत चुनाव चिन्ह उपयोग नहीं किए जाएंगे। हालांकि अभी तक इस बारे में अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।लेकिन प्रदेश का सत्ताधारी दल कांग्रेस इसके खिलाफ है। कांग्रेस का कहना है कि हम कभी चुनाव से नहीं डरते हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह के आधार पर ही हो।


Body:दरअसल सरकार बनने के बाद कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है कि नगरीय निकायों से बीजेपी का कब्जा खत्म किया जाए। खासकर प्रदेश की 16 नगर निगमों पर बीजेपी का कब्जा है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार उन तमाम पहलुओं पर विचार कर रही है, जिनके जरिए ज्यादा से ज्यादा नगरीय निकायों पर कब्जा किया जा सकता है। इसलिए कांग्रेस सरकार के लिए नगरीय निकाय चुनाव अलग-अलग तरीके से करने के सुझाव आ रहे हैं। हाल ही में एक सुझाव ने काफी जोर पकड़ा है और राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सरकार अब नगरीय निकाय चुनाव राजनीतिक दलों के आधार पर नहीं कराना चाहती है। इस चुनाव में ना तो दलों के चुनाव चिन्ह का उपयोग होगा और ना ही पार्टी के नेता पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में होंगे। हालांकि अभी तक इस बारे में कोई अंतिम फैसला सरकार द्वारा नहीं लिया गया है। इस मामले में सरकार अगर कोई फैसला लेती है, तो चुनाव के पहले सरकार को विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित कराना होगा, तब सरकार की मर्जी से चुनाव संपन्न हो सकेगा। हालांकि राजनीतिक दलों के आधार पर चुनाव कराने का विरोध सत्ताधारी दल कांग्रेस में ही हो रहा है। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि जमीनी स्तर पर संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव ही ऐसे मौके होते हैं कि वह पार्टी के आधार पर चुनाव लड़ सकते हैं और अपने आप को स्थापित कर सकते हैं। अगर उन्हें यही मौका नहीं मिलेगा, तो ठीक नहीं होगा। वहीं कांग्रेस संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि कांग्रेसी चुनाव से डरती नहीं है। इसलिए हम चाहते हैं कि चुनाव चुनाव चिन्ह के आधार पर ही होना चाहिए।


Conclusion:इस बारे में मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि इस मामले में अभी तक सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है। यदि नगरीय निकाय चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह या फिर बिना चुनाव चिन्ह की होने हैं।तो सरकार को उसके लिए विधानसभा में विधेयक लाकर कानूनी स्वरूप देना होगा इस मामले में कांग्रेस के रुख को लेकर प्रकाश जैन का कहना है कि कांग्रेस कभी चुनाव लड़ने से डरती नहीं है।इसलिए कांग्रेसेस पक्ष में है की नगरी निकाय चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह के आधार पर हो।

बाइट - प्रकाश जैन - वरिष्ठ उपाध्यक्ष मप्र कांग्रेस।
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