भोपाल। राज्य में जल्द ही नगरीय निकाय चुनाव हो सकते हैं. सरकार बदलने के बाद निकाय चुनाव में कई तरह के बदलाव की चर्चा है. चर्चा तो यहां तक है कि नगरीय निकायों के अध्यक्ष और महापौर का चुनाव अब सीधे जनता की जगह चुने हुए पार्षद करेंगे. वहीं दूसरी तरफ माना जा रहा है कि इस बार नगरीय निकाय राजनीतिक दलों के आधार पर नहीं होंगे. हालांकि, इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है.
प्रदेश की सत्ताधारी दल कांग्रेस इसके खिलाफ है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वे चुनाव से कभी नहीं डरते. इसलिए वे चाहते हैं कि चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह के आधार पर ही लड़ा जाये. सरकार बनने के बाद कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है कि नगरीय निकायों से बीजेपी का कब्जा खत्म किया जाए.
निगमों से बीजेपी का हटाने की जुगत में कांग्रेस
प्रदेश की 16 नगर निगमों पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. ऐसी स्थिति में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार उन तमाम पहलुओं पर विचार कर रही है, जिनके जरिए ज्यादा से ज्यादा नगरीय निकायों पर कब्जा किया जा सकता है. इसलिए कांग्रेस सरकार के लिए नगरीय निकाय चुनाव अलग-अलग तरीके से करने के सुझाव आ रहे हैं.
इस सुझाव ने पकड़ा जोर
हाल ही में एक सुझाव ने काफी जोर पकड़ा है और राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सरकार अब नगरीय निकाय चुनाव राजनीतिक दलों के आधार पर नहीं कराना चाहती है. इस चुनाव में ना तो दलों के चुनाव चिन्ह का उपयोग होगा और ना ही पार्टी के नेता पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में होंगे. हालांकि अभी तक इस बारे में कोई अंतिम फैसला सरकार द्वारा नहीं लिया गया है.
बदलाव के लिए विधेयक कराना होगा पारित
इस मामले में सरकार अगर कोई फैसला लेती है तो चुनाव के पहले सरकार को विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित कराना होगा. तब सरकार की मर्जी से चुनाव संपन्न हो सकेगा. हालांकि राजनीतिक दलों के आधार पर चुनाव कराने का विरोध सत्ताधारी दल कांग्रेस में ही हो रहा है.
'चुनाव चिन्ह के आधार पर हों चुनाव'
कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि जमीनी स्तर पर संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव ही ऐसे मौके होते हैं कि वह पार्टी के आधार पर चुनाव लड़ सकते हैं और अपने आप को स्थापित कर सकते हैं. अगर उन्हें यही मौका नहीं मिलेगा, तो ठीक नहीं होगा. वहीं कांग्रेस संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि कांग्रेसी चुनाव से डरती नहीं है. इसलिए हम चाहते हैं कि चुनाव चुनाव चिन्ह के आधार पर ही होना चाहिए.