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भोपाल में क्या बीजेपी के किले को भेद पाएंगे दिग्विजय सिंह ?

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की मर्जी के खिलाफ आखिरकार पार्टी ने उन्हें भोपाल लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बना ही दिया. पिछले 30 साल से भोपाल लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. दिग्विजय सिंह को भोपाल लोकसभा सीट जीतने के लिए सिर्फ 60,000 वोट ही चाहिए, लेकिन इसके लिए कांग्रेस को 2018 के विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराना होगा.

congress bhopal lok sabha seat
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Published : Mar 24, 2019, 11:35 PM IST

भोपाल| पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की मर्जी के खिलाफ आखिरकार पार्टी ने उन्हें भोपाल लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बना ही दिया. पिछले 30 साल से भोपाल लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. दिग्विजय सिंह को भोपाल लोकसभा सीट जीतने के लिए सिर्फ 60,000 वोट ही चाहिए, लेकिन इसके लिए कांग्रेस को 2018 के विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराना होगा.

इस बार भोपाल लोकसभा सीट से मेयर आलोक शर्मा मौजूदा सांसद आलोक संजर और बीजेपी नेता बी डी शर्मा दावेदारी जता रहे हैं. लेकिन कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार कांग्रेस को इस सीट पर फतेह करने की उम्मीद जीवित कर दी है. हालांकि देखा जाए तो पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भोपाल की विधानसभा सीटों पर बेहतरीन प्रदर्शन किया है और 3 सीटों पर कांग्रेस के विधायक जीते हैं. जिनमें से दो कमलनाथ सरकार में मंत्री भी हैं. माना जा रहा है कि यदि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के नतीजों को दोहराया तो कांग्रेस जीत के या तो बेहद करीब पहुंचेगी या फिर कांग्रेस के हाथ जीत ही आएगी.

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पिछले विधानसभा चुनाव में भोपाल और सीहोर विधानसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस को मिले वोटों के बीच महज 63 हजार 457 वोटों का ही अंतर रहा है. हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद भोपाल लोकसभा सीट पर करीब 56,000 नए मतदाता जुड़े हैं जो हार और जीत में निर्णायक भूमिका निभाएंगे.

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार आलोक संजर ने कांग्रेस उम्मीदवार और वर्तमान में कमलनाथ सरकार में मंत्री पीसी शर्मा को तीन लाख 70 हजार 696 वोटों से शिकस्त दी थी. हालांकि 2018 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में भोपाल लोकसभा क्षेत्र की 2 विधानसभा सीटें आई हैं. वोटरों के हिसाब से देखा जाए तो भोपाल लोकसभा क्षेत्र में करीब 5 लाख मुस्लिम मतदाता हैं जो कांग्रेस के परंपरागत वोटर माने जाते हैं. इसलिए कांग्रेस नेता उम्मीद जता रहे हैं की इस बार के लोकसभा चुनाव में मुकाबला कांग्रेस के पक्ष में आएगा. बता दें भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने आखरी बार 1989 में जीत हासिल की थी. 1989 से 3 बार इस सीट को सुशील चंद्र वर्मा ने जीता. उसके बाद उमा भारती और पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी भोपाल के सांसद रहे.

भोपाल| पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की मर्जी के खिलाफ आखिरकार पार्टी ने उन्हें भोपाल लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बना ही दिया. पिछले 30 साल से भोपाल लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. दिग्विजय सिंह को भोपाल लोकसभा सीट जीतने के लिए सिर्फ 60,000 वोट ही चाहिए, लेकिन इसके लिए कांग्रेस को 2018 के विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराना होगा.

इस बार भोपाल लोकसभा सीट से मेयर आलोक शर्मा मौजूदा सांसद आलोक संजर और बीजेपी नेता बी डी शर्मा दावेदारी जता रहे हैं. लेकिन कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार कांग्रेस को इस सीट पर फतेह करने की उम्मीद जीवित कर दी है. हालांकि देखा जाए तो पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भोपाल की विधानसभा सीटों पर बेहतरीन प्रदर्शन किया है और 3 सीटों पर कांग्रेस के विधायक जीते हैं. जिनमें से दो कमलनाथ सरकार में मंत्री भी हैं. माना जा रहा है कि यदि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के नतीजों को दोहराया तो कांग्रेस जीत के या तो बेहद करीब पहुंचेगी या फिर कांग्रेस के हाथ जीत ही आएगी.

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पिछले विधानसभा चुनाव में भोपाल और सीहोर विधानसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस को मिले वोटों के बीच महज 63 हजार 457 वोटों का ही अंतर रहा है. हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद भोपाल लोकसभा सीट पर करीब 56,000 नए मतदाता जुड़े हैं जो हार और जीत में निर्णायक भूमिका निभाएंगे.

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार आलोक संजर ने कांग्रेस उम्मीदवार और वर्तमान में कमलनाथ सरकार में मंत्री पीसी शर्मा को तीन लाख 70 हजार 696 वोटों से शिकस्त दी थी. हालांकि 2018 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में भोपाल लोकसभा क्षेत्र की 2 विधानसभा सीटें आई हैं. वोटरों के हिसाब से देखा जाए तो भोपाल लोकसभा क्षेत्र में करीब 5 लाख मुस्लिम मतदाता हैं जो कांग्रेस के परंपरागत वोटर माने जाते हैं. इसलिए कांग्रेस नेता उम्मीद जता रहे हैं की इस बार के लोकसभा चुनाव में मुकाबला कांग्रेस के पक्ष में आएगा. बता दें भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने आखरी बार 1989 में जीत हासिल की थी. 1989 से 3 बार इस सीट को सुशील चंद्र वर्मा ने जीता. उसके बाद उमा भारती और पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी भोपाल के सांसद रहे.

Intro:पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को भोपाल लोकसभा सीट जीतने के लिए सिर्फ 60000 वोटों का अंतर पार्टनर होगा और यदि वे इसमें कामयाब हुए तो 30 साल से चला आ रहा कांग्रेस की हार का सिलसिला तोड़ने में कामयाब होंगे। इसके लिए कांग्रेस को 2018 के विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराना होगा पिछले विधानसभा चुनाव में भोपाल के साथ और सीहोर विधानसभा सीट पर बीजेपी कांग्रेस को मिले वोटों के बीच अंतर महज 63 हजार 457 वोटों का ही रहा है। हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद भोपाल लोकसभा सीट पर करीब 56,000 नए मतदाता जुड़े हैं जो हार और जीत में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।


Body:कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की मर्जी ले खिलाफ आखिरकार पार्टी ने उन्हें भोपाल लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। भोपाल लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ रही है और पिछले करीब 30 सालों से इस सीट पर बीजेपी का कब जा रहा है। भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने आखरी बार 1989 में जीत दर्ज की थी। 1989 से 3 बार इस सीट को सुशील चंद्र वर्मा ने जीता और उसके बाद उमा भारती पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी भोपाल के सांसद रहे। हालांकि इस बार इस सीट से मेयर आलोक शर्मा मौजूदा सांसद आलोक संजर और बीजेपी नेता बीडी शर्मा दावेदारी जता रहे हैं लेकिन कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार का बीजेपी को वॉकओवर भर देने से इंकार कर दिया और दिग्विजय सिंह की मौजूदगी से कांग्रेस को इस सीट पर फतेह करने की उम्मीद जीवित कर दी है। हालांकि देखा जाए तो पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भोपाल लोकसभा की विधानसभा सीटों पर बेहतरीन प्रदर्शन किया है और 3 सीटों पर कांग्रेस के विधायक जीते हैं जिनमें से दो कमलनाथ सरकार में मंत्री भी है। माना जा रहा है कि यदि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के नतीजों को दोहराया तो कांग्रेस जीत के या तो बेहद करीब पहुंचेगी या फिर कांग्रेस के हाथ जीत ही आएगी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी को मिले वोटों के अंतर को देखा जाए तो दिग्विजय सिंह को सिर्फ 60 हजार वोटों का अंतर ही पाटना होगा और यदि वेश में सफल रहे तो 30 सालों से इस सीट पर चला आ रहा कांग्रेस का सिलसिला तोड़ने में भी कामयाब होंगे। हालांकि बीजेपी से उम्मीदवार कौन होगा यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है।

विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिले थे 63 हजार ज्यादा वोट

विधानसभा चुनाव की नतीजों को देखा जाए तो भोपाल की 7 और सीहोर विधानसभा सीट पर दोनों पार्टियों को मिले मतों का अंतर महज 63 हजार 457 का ही रहा है।

भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र
कांग्रेस - 90403
बीजेपी- 55546

मध्य विधानसभा क्षेत्र
कांग्रेस - 76647
बीजेपी- 61890

दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र
कांग्रेस 67323
बीजेपी 60736

हुजूर विधानसभा क्षेत्र
बीजेपी 107288
कोंग्रेस 91563

नरेला विधानसभा क्षेत्र
बीजेपी 108654
कांग्रेस 85503

बैरसिया विधानसभा क्षेत्र
बीजेपी 77814
कोंग्रेस 64035

गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र
बीजेपी 125487
कॉन्ग्रेस 79128

सीहोर विधानसभा क्षेत्र
बीजेपी 60117
कांग्रेस 39473

विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को जहां 6 लाख 57 हजार 532 वोट मिले वहीं कांग्रेस को 5 लाख 94 हजार 75 वोट मिले थे यानी वोटों का अंतर देखा जाए तो वह 63 हजार 457 वोटों का ही है। यानी यदि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने यह अंतर खत्म करने में कामयाब हुए तो जीत उनके खाते में आएगी।

लोकसभा में बढ़ गए 56 हजार नए वोटर

नवंबर 2018 में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए थे इसके बाद से अब होने जा रही लोकसभा चुनाव में भोपाल लोकसभा सीट पर करीब 56000 नए मतदाता जुड़ गए हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान भोपाल जिले की 7 विधानसभा क्षेत्रों और सीहोर विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 20 लाख 51 हजार 929 थी जो अब बढ़कर 21 लाख 8031 हो गई है। यानी इस दौरान करीब 56101 नए वोटर जुड़े हैं माना जा रहा है कि यह नए वोटर हार और जीत में नोएडा की भूमिका अदा करेंगे।

पिछले लोकसभा चुनाव में करीब साढे तीन लाख वोटों से जीती थी बीजेपी
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार आलोक संजर ने कांग्रेस उम्मीदवार और वर्तमान में कमलनाथ सरकार में मंत्री पीसी शर्मा को तीन लाख 70 हजार 696 वोटों से शिकस्त दी थी। हालांकि 2018 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में भोपाल लोकसभा क्षेत्र की 2 विधानसभा सीटें आई है। वोटरों के हिसाब से देखा जाए तो भोपाल लोकसभा क्षेत्र में करीब 5 लाख मुस्लिम मतदाता है जो कांग्रेस के परंपरागत वोटर माने जाते हैं। इसलिए कांग्रेस नेता उम्मीद जता रहे हैं की इस बार कि लोकसभा चुनाव में मुकाबला कांग्रेस के पक्ष में आएगा। वहीं मौजूदा सांसद आलोक संजर का कहना है कि भोपाल लोकसभा क्षेत्र बीजेपी का गम है और कांग्रेस का कोई भी उम्मीदवार इस सीट से उतरा हो जीत बीजेपी की झोली में ही आएगी।






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