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कर्नाटक के बाद मिशन एमपी पर बीजेपी, लगातार हो रहीं बयानबाजी

कर्नाटक की सरकार गिरते ही अब मप्र की कमलनाथ सरकार गिरने की अटकलें तेज हो गई हैं. वहीं कांग्रेस और बीजेपी के बीच सरकार गिराने को लेकर बयानबाजियां शुरू हो गई है.

सीएम कमलनाथ
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Published : Jul 24, 2019, 10:16 PM IST

भोपाल। कर्नाटक की सरकार गिरते ही अब मप्र की कमलनाथ सरकार गिरने की अटकलें तेज हो गई हैं. जिसकी बानगी बुधवार को विधानसभा में देखने को मिला, जहां सरकार गिराने को लेकर धमकी, हंगामा और चुनौती भरा माहौल नजर आया. वहीं कांग्रेस और बीजेपी के बीच सरकार गिराने को लेकर बयानबाजियां शुरू हो गई है.


प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि एक बार बीजेपी विधानसभा में फ्लोर पर आने की हिम्मत तो करे, सिर्फ बोलने से कुछ नहीं होता है. उन्होंने कहा कि सीएम कमलनाथ ने सदन में चुनौती देते हुए फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही है. वहीं दुर्गेश शर्मा ने कहा कि अभी तो बीजेपी 108 हैं लेकिन आज अगर वे फ्लोर टेस्ट कराती है तो 98 पर आ जाएंगे. बीजेपी अपनी हकीकत जानती है इसलिए सिर्फ बातें करने से कुछ नहीं होगा.

कांग्रेस-बीजेपी के बीच बयानबाजी


दुर्गेश शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश में सीएम कमलनाथ के नेतृत्व में सभी विधायक तैयार हैं. साथ ही बीजेपी के भी कुछ विधायक हमारे साथ आने को तैयार है. वहीं बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस के बीच असंतोष है. वो असंतोष कई बार सामने आ चुका है,फिर चाहे वो समर्थक और विधायकों के बीच हो. उन्होंने कहा कि अंसतोष की आग में जल रही कांग्रेस अपने ही भोज तले गिर सकती है. रजनीश अग्रवाल ने कहा कि कर्नाटक के बाद असंतोष विधायकों का उत्साह जोरों पर हैं.

भोपाल। कर्नाटक की सरकार गिरते ही अब मप्र की कमलनाथ सरकार गिरने की अटकलें तेज हो गई हैं. जिसकी बानगी बुधवार को विधानसभा में देखने को मिला, जहां सरकार गिराने को लेकर धमकी, हंगामा और चुनौती भरा माहौल नजर आया. वहीं कांग्रेस और बीजेपी के बीच सरकार गिराने को लेकर बयानबाजियां शुरू हो गई है.


प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि एक बार बीजेपी विधानसभा में फ्लोर पर आने की हिम्मत तो करे, सिर्फ बोलने से कुछ नहीं होता है. उन्होंने कहा कि सीएम कमलनाथ ने सदन में चुनौती देते हुए फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही है. वहीं दुर्गेश शर्मा ने कहा कि अभी तो बीजेपी 108 हैं लेकिन आज अगर वे फ्लोर टेस्ट कराती है तो 98 पर आ जाएंगे. बीजेपी अपनी हकीकत जानती है इसलिए सिर्फ बातें करने से कुछ नहीं होगा.

कांग्रेस-बीजेपी के बीच बयानबाजी


दुर्गेश शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश में सीएम कमलनाथ के नेतृत्व में सभी विधायक तैयार हैं. साथ ही बीजेपी के भी कुछ विधायक हमारे साथ आने को तैयार है. वहीं बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस के बीच असंतोष है. वो असंतोष कई बार सामने आ चुका है,फिर चाहे वो समर्थक और विधायकों के बीच हो. उन्होंने कहा कि अंसतोष की आग में जल रही कांग्रेस अपने ही भोज तले गिर सकती है. रजनीश अग्रवाल ने कहा कि कर्नाटक के बाद असंतोष विधायकों का उत्साह जोरों पर हैं.

Intro:भोपाल। कर्नाटक की सरकार गिरते ही अब मप्र की कमलनाथ सरकार गिरने की अटकलें तेज हो गई हैं। आज ही विधानसभा में सरकार गिराने को लेकर धमकी, हंगामा और चुनौती भरा माहौल नजर आया। हालांकि कमलनाथ की सरकार बनते ही बीजेपी शुरुआत से ही सरकार गिराने की धमकी दे रही है और कभी कभार कमलनाथ के सहयोगी भी नाराजगी जताकर इन आशंकाओं को बल दे देते हैं। ऐसे में कमलनाथ सरकार गिरने की अटकलें तेज हो जाती हैं. दूसरी तरफ बीजेपी सरकार गिराना तो चाहती है, लेकिन सरकार गिराने का पाप उसके माथे नहीं आए इसलिए अपने आप सरकार गिरने की बात कहने लगी है। वहीं दूसरी तरफ कमलनाथ हरदम फ्लोर टेस्ट कराने के लिए तैयार रहते हैं। कुल मिलाकर मप्र की कमलनाथ सरकार के सामने चुनौती है। लेकिन यहां के समीकरण कर्नाटक से हटकर होने के कारण सरकार आसानी से गिर जाए,ऐसा नजर नहीं आता है। बीजेपी अगर कमलनाथ सरकार गिराना चाहती है, तो उसे कई गुना मशक्कत करना होगी।क्योंकि उसका मुकाबला कमलनाथ जैसे अनुभवी नेता से है।


Body:दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा के संख्या बल की बात करें।तो मध्यप्रदेश में फिलहाल 229 विधायक हैं।जिनमें से कांग्रेस के 114, बीजेपी के 108, बसपा के दो, सपा के एक के अलावा चार निर्दलीय हैं। फिलहाल बीजेपी के खाते में गई झाबुआ सीट खाली हो चुकी है,जहां उपचुनाव होना है। कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से 2 सीट पीछे है। ऐसी स्थिति में उसे चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक का समर्थन है। कमलनाथ के लिए राहत की बात यह है कि चारों निर्दलीय कांग्रेस से नाराज होकर चुनाव लड़ने वाले पुराने नेता हैं। इनमें से एक प्रदीप जयसवाल को तो कमलनाथ खनिज जैसा विभाग देकर कैबिनेट मंत्री बना चुके हैं। तो दूसरे निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा का भी मंत्री बनना तय है। इसके अलावा निगम- मंडल और आयोग की नियुक्ति अभी बड़े पैमाने पर होना है. जहां तक दो बसपा और एक सपा विधायक की बात है, तो बसपा की राम भाई जहां हमेशा कमलनाथ का साथ देने का ऐलान कर चुकी है. तो संजीव सिंह संजू मंत्रियों से नाराजगी भले जता चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री से उन्हें कोई शिकवा नहीं है। वहीं सपा के एकमात्र विधायक राजेश कुमार बबलू भैया भी कमलनाथ के करीबी बने हुए हैं।

कुल मिलाकर देखा जाए तो मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार गिराना बीजेपी के लिए इतना आसान नहीं है।क्योंकि एक तरफ जहां कमलनाथ खुद मैनेजमेंट में माहिर हैं,तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज अपने अपने समर्थक विधायकों को एकजुट रखने में मदद कर रहे हैं। खासकर दिग्विजय सिंह जैसे नेता समन्वय का काम संभाल रहे हैं। लेकिन इन पर सब परिस्थितियों के बीच कमलनाथ के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है। कमलनाथ को निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों को तो एक साथ रखना ही होगा, वहीं कांग्रेस के विधायकों पर भी नजर रखनी होगी। क्योंकि कई वरिष्ठ विधायक मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से अंदरूनी तौर पर नाराज बताए जा रहे हैं। इसके अलावा कमलनाथ को बीजेपी पर पैनी नजर रखनी होगी, क्योंकि कांग्रेस का समर्थन करने वाले या कांग्रेस के विधायकों पर दबाव बनाने के लिए बीजेपी तरह-तरह के हथकंडे अपनाएगी। वहीं बीजेपी सरकार गिराने का दावा जरूर कर ले, लेकिन मौजूदा संख्या बल के आधार पर उसे बहुमत का आंकड़ा छूने के लिए 8 विधायकों की तो जरूरत होगी। साथ में निर्दलीय और अन्य विधायकों को तोड़ना होगा। यह बीजेपी के लिए काफी मुश्किल चुनौती होगी।हालांकि लालजी टंडन की राज्यपाल के रूप में आमद बीजेपी की तिकड़मों की तरफ इशारा कर रहे हैं।


Conclusion:इस बारे में मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि एक बार भाजपा मध्यप्रदेश के अंदर फ्लोर पर आने की हिम्मत तो करे, केवल गाल बजाने से कुछ नहीं होता है, सदन में अपनी उपस्थिति देनी होगी। मेरा दावा है कि आज भाजपा फ्लोर टेस्ट पर आएगी तो आज उसके पास 108 है, तो 98 रह जाएंगे। यह भाजपा की हकीकत है कि वे 99 भी पार नहीं कर पाएंगे। इस बात को अच्छी तरह जानते हैं, इसलिए सिर्फ गाल बजाते हैं। सदन पर फ्लोर में खड़े होने की हिम्मत नहीं है। जहां तक राज्यपाल के रूप में लालजी टंडन को लाने की बात है,तो अमित शाह खुद राज्यपाल बन कर आ जाएं, मध्यप्रदेश में फिर भी उनकी दाल गलने वाली नहीं है। मध्य प्रदेश के अंदर ताकत और शिद्दत के साथ सारे विधायक कमलनाथ जी के साथ तैयार हैं और भाजपा के खेमे के भी कई विधायक भी तैयार हैं कि कब मौका आए और हम कांग्रेस के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर सकें। सभी जानते हैं केवल मुंह जोरी करते हैं, मैदान में खड़े होने की हिम्मत नहीं है। यदि हिम्मत होती तो जब हमने विधानसभा अध्यक्ष, विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ा और बजट लेकर आए, तो कई ऐसे मौके आए कि भाजपा सदन से भाग गई और मुकाबला करने की हिम्मत नहीं हुई। मध्य प्रदेश की सरकार गिराने की सोच बेमानी है।

वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस में असंतोष है। उनका असंतोष चाहे पार्टी के विधायकों का हो या फिर समर्थन करने वालों के विधायकों का मीडिया के सामने बार-बार उजागर हो चुका है।यह सबके सामने हैं, इसलिए असंतोष की आग में धधक रही कांग्रेस की सरकार अपने बोझ के तले दबकर गिर सकती है,इसमें कोई संदेह नहीं है। कर्नाटक के बाद असंतुष्ट विधायकों का उत्साह जोरों पर है। राज्यपाल की नियुक्ति को संदेह की नजर से देखने का कोई कारण नहीं है। राज्यपाल अपनी भूमिका के अनुसार काम करते हैं। सवाल तो कांग्रेस के अंदर भरोसे के संकट का है, जो बार-बार फ्लोर टेस्ट की बात करते हैं। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेस वार्ता कर बता रहे हैं कि हमारे पास बहुमत है। इससे साबित है कि वह स्वयं घबराए हुए हैं और अपनों पर भरोसा नहीं हैं।
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