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आदिवासियों को साधने की सीएम शिवराज की सोच सब पर भारी ! मध्य प्रदेश भाजपा में नाम बदलने की राजनीति - मध्य प्रदेश भाजपा

नाम बदलने की राजनीति बीजेपी (BJP) में सबसे से हावी रही है. पीएम मोदी (PM Modi) के भोपाल (Bhopal) दौरे से पहले भी इसे हवा मिली. लेकिन नामकरण की राजनीति में सीएम शिवराज (CM Shivraj) ने सभी को पीछे छोड़ दिया है. रानी कमलापति के नाम पर हबीबगंज रेलवे स्टेशन (Habibganj railway station) का नाम रखे जाने के अपने दांव से उन्होंने आदिवासी समाज को संदेश देने की कोशिश की है.

Name change politics in BJP
नामकरण की राजनीति
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Published : Nov 13, 2021, 8:24 PM IST

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) में स्थानों, स्टेशनों और जगहों के नाम बदलने को लेकर पिछले कई सालों से लगातार राजनीति चल रही है. अब मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में विश्व स्तरीय स्टेशन हबीबगंज का नाम बदलकर गौंड़ रानी कमलापति (Rani Kamalapati) के नाम पर किया जाना मुकर्रर हुआ है. इस नाम बदलने की राजनीति के पीछे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने अपने दांव से सभी को किनारे लगा दिया है और जनता के बीच यह संदेश दिया है कि वह आदिवासियों के नाम पर कोई समझौता नहीं करेंगे.

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सांसद और मंत्री की मांग को किया दरकिनार

भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर (MP Pragya Singh Thakur) पिछले कई महीनों से हबीबगंज स्टेशन (Habibganj railway station) का नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर करने की मांग करती रही हैं. इसको लेकर सांसद ने कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी स्टेशन का नाम अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर करने की मांग की थी. वही मंत्री विश्वास सारंग की मंशा यह थी कि उनके पिता और पूर्व राज्यसभा सांसद कैलाश सारंग के नाम पर स्टेशन का नाम हो, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दोनों की मांग को दरकिनार करते हुए रानी कमलापति के नाम पर स्टेशन का नाम रखने पर मोहर लगवा दी.

आदिवासियों को महत्त्व देने का दिया संदेश

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अजय बोकिल का कहना है कि हबीबगंज स्टेशन के नाम बदलने को लेकर राजनीति तो हुई है. इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह देखा कि बड़ा फायदा किस में है. इसके तहत ही सीएम ने आदिवासियों को महत्व देने का मैसेज दिया है. उन्होंने रानी कमलापति (Rani Kamalapati) के नाम पर स्टेशन का नाम करने को तवज्जो दी है. बोकिल मानते हैं कि राजनीतिक महत्व की दृष्टि से सीएम और सरकार का यह फैसला बिल्कुल सही है. मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार संदेश देना चाहती है कि वो आदिवासियों के साथ है, इसीलिए मध्य प्रदेश की राजधानी में जनजाति गौरव सम्मेलन का आयोजन भी किया जा रहा है.

वाजपेई व सारंग के नाम पर सहमति क्यों नहीं बनी

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर वैसे भी बहुत सारे संस्थान और जगहों के नाम कर दिए गए हैं. इसलिए किसी दूसरे नाम पर विचार करने के लिए भाजपा में सहमति बनी है. वही पूर्व राज्यसभा सांसद और भोपाल के भाजपा नेता रहे स्वर्गीय कैलाश सारंग राष्ट्रीय स्तर के नेता नहीं थे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर एक संदेश देना चाहते थे, इसी के तहत ही उन्होंने नया रास्ता निकाला है.

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नामकरण से कुछ नहीं आदिवासियों के हित में हो निर्णय

राजनीतिक विश्लेषक सही थॉमस का कहना है कि भाजपा में नामकरण की राजनीति तो चलती रही है, लेकिन नामकरण की राजनीति से कोई फायदा होने वाला नहीं है.0 भाजपा सरकार को आदिवासियों के हितों में निर्णय लेने चाहिए, जिससे आदिवासी वोट बैंक को और भी मजबूती मिलेगी और आदिवासी फिर से कांग्रेस से टूटकर उनकी तरफ हो सकेंगे.

प्रज्ञा सिंह से पीएम मोदी की नाराजगी छिपी नहीं

नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाले बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने सख्त लहजे में कहा था कि भले ही प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बयान पर माफी मांग ली हो, लेकिन मैं उन्हें दिल से माफ नहीं करूंगा. इसके चलते भी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की मांग को तवज्जो नहीं दी गई है.

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) में स्थानों, स्टेशनों और जगहों के नाम बदलने को लेकर पिछले कई सालों से लगातार राजनीति चल रही है. अब मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में विश्व स्तरीय स्टेशन हबीबगंज का नाम बदलकर गौंड़ रानी कमलापति (Rani Kamalapati) के नाम पर किया जाना मुकर्रर हुआ है. इस नाम बदलने की राजनीति के पीछे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने अपने दांव से सभी को किनारे लगा दिया है और जनता के बीच यह संदेश दिया है कि वह आदिवासियों के नाम पर कोई समझौता नहीं करेंगे.

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सांसद और मंत्री की मांग को किया दरकिनार

भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर (MP Pragya Singh Thakur) पिछले कई महीनों से हबीबगंज स्टेशन (Habibganj railway station) का नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर करने की मांग करती रही हैं. इसको लेकर सांसद ने कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी स्टेशन का नाम अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर करने की मांग की थी. वही मंत्री विश्वास सारंग की मंशा यह थी कि उनके पिता और पूर्व राज्यसभा सांसद कैलाश सारंग के नाम पर स्टेशन का नाम हो, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दोनों की मांग को दरकिनार करते हुए रानी कमलापति के नाम पर स्टेशन का नाम रखने पर मोहर लगवा दी.

आदिवासियों को महत्त्व देने का दिया संदेश

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अजय बोकिल का कहना है कि हबीबगंज स्टेशन के नाम बदलने को लेकर राजनीति तो हुई है. इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह देखा कि बड़ा फायदा किस में है. इसके तहत ही सीएम ने आदिवासियों को महत्व देने का मैसेज दिया है. उन्होंने रानी कमलापति (Rani Kamalapati) के नाम पर स्टेशन का नाम करने को तवज्जो दी है. बोकिल मानते हैं कि राजनीतिक महत्व की दृष्टि से सीएम और सरकार का यह फैसला बिल्कुल सही है. मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार संदेश देना चाहती है कि वो आदिवासियों के साथ है, इसीलिए मध्य प्रदेश की राजधानी में जनजाति गौरव सम्मेलन का आयोजन भी किया जा रहा है.

वाजपेई व सारंग के नाम पर सहमति क्यों नहीं बनी

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर वैसे भी बहुत सारे संस्थान और जगहों के नाम कर दिए गए हैं. इसलिए किसी दूसरे नाम पर विचार करने के लिए भाजपा में सहमति बनी है. वही पूर्व राज्यसभा सांसद और भोपाल के भाजपा नेता रहे स्वर्गीय कैलाश सारंग राष्ट्रीय स्तर के नेता नहीं थे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर एक संदेश देना चाहते थे, इसी के तहत ही उन्होंने नया रास्ता निकाला है.

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नामकरण से कुछ नहीं आदिवासियों के हित में हो निर्णय

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प्रज्ञा सिंह से पीएम मोदी की नाराजगी छिपी नहीं

नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाले बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने सख्त लहजे में कहा था कि भले ही प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बयान पर माफी मांग ली हो, लेकिन मैं उन्हें दिल से माफ नहीं करूंगा. इसके चलते भी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की मांग को तवज्जो नहीं दी गई है.

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