भोपाल। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हुए बंपर मतदान के बाद बीजेपी नेताओं में खलबली मची हुई है. जिसको लेकर बंपर मतदान का फीडबैक लेने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान प्रबंधन समिति के सदस्यों के साथ लंच के बहाने फीडबैक लेने एक निजी होटल पहुंचे. जहां पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक भूपेंद्र सिंह, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री सुहास भगत के अलावा प्रबंधन समिति के सभी सदस्यों से एक-एक सीट पर मतदान को लेकर फीडबैक ले रहे हैं.
दरअसल 28 सीटों में हुए मतदान को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में संशय का माहौल बन गया है. पार्टी नेताओं के अंदर चर्चा है कि आखिर उपचुनाव में इतना बंपर मतदान कैसे संभव है. दरअसल माना जाता है कि उपचुनाव में बंपर मतदान का मतलब सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा है और यही वजह है कि कि आनन-फानन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव प्रबंधन समिति के सदस्यों के साथ बैठक कर एक ही सीट पर हुए मतदान का फीडबैक ले रहे हैं. क्योंकि उपचुनाव के दौरान कांग्रेस ने बीजेपी में शामिल सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के खिलाफ बिकाऊ का नारा दिया था और एक विधायक को 35 करोड़ रुपए में खरीद-फरोख्त का आरोप बीजेपी पर लगाया था. यही वजह है कि भारी मतदान के बाद अब बीजेपी के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी है. वहीं सरकार बचाने के लिए बीजेपी को इस चुनाव में जीतना बहुत जरूरी है.
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उपचुनावों में सामान्य मतदान सरकार के लिए फायदेमंद होता है और मतदान के प्रतिशत बढ़ने के साथ ही सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा नजर आने लगता है. 28 सीटों पर हुआ मतदान भी यही बता रहा है कि क्या कहीं जनता का गुस्सा सरकार के खिलाफ तो नहीं है. यही वजह है कि मतगढ़ना से 4 दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रबंध समितियों के सदस्यों से एक ही सीट पर हुए मतदान को लेकर ही बैठे रहे हैं.
बंपर वोटिंग पर कांग्रेस के मायने
पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने दावा किया है कि प्रदेश की 28 सीाटों पर हुए मतदान में जनता ने दिखा दिया है कि उनके साथ छल और महापाप करने वाले नेताओं को सबक सिखाना है. कोरोना काल में भी लोग घरों से निकलकर वोट करने पहुंचे, क्योंकि उन्हें उनमें गद्दारों के खिलाफ गुस्सा है. इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस की जीत सुनिश्चित है.
राजनीतिक जानकारों का नजरिया
हालांकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर मतदान पिछले आंकड़ों की तुलना में ज्यादा होता तो मान सकते थे कि जनता में रोष है, इसलिए सत्ता परिवर्तन के लिए बंपर वोटिंग हुई है. लेकिन उपुचनाव में 2018 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले मतदान करीब 3 फीसदी कम हुआ है. इसलिए ये नहीं कह सकते है कि ये कांग्रेस या बीजेपी के पक्ष में है. अक्सर उपचुनाव में मतदान कम ही होता है.
विधानसभा की वर्तमान स्थिति
मध्यप्रदेश में कुल 230 सीटें हैं. सत्ताधारी बीजेपी के पास 107 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 87 विधायक हैं. वहीं दो बसपा, एक सपा और चार निर्दलीय विधायक हैं. दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी ने इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली. लिहाजा वर्तमान में बीजेपी को बहुमत के लिए महज 8 सीटों की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत के लिए सभी 28 सीटें जीतनी होंगी.