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सीएम ने वन अधिकार पट्टों को लेकर दिए सख्त निर्देश, अधिकारों से वंचित न होने पायें आदिवासी

शनिवार को सीएम शिवराज सिंह ने मंत्रालय जाकर वनाधिकार पट्टों की समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्होंने कलेक्टर और डीएफओ को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि गरीब और आदिवासी अधिकारों से वंचित न होने पायें. इसके अलावा उन्होंने बहुत जल्द आदिवासी पंचायत आयोजित करने की बात कही.

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Published : Jun 28, 2020, 6:51 AM IST

Updated : Jun 28, 2020, 7:37 AM IST

CM Shivraj attends review meeting
समीक्षा बैठक में भाग लेते सीएम शिवराज

भोपाल। तीन दिनों की यात्रा से लौटे मुख्यमंत्री ने मंत्रालय पहुंचकर वनाधिकार पट्टों के निराकरण की समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों की भी जमकर क्लास ली. साथ ही उन्होंने साफ किया कि जो भी पात्र आदिवासी हैं, उन्हें हर हाल में पट्टा मिलना ही चाहिए. इस काम में किसी के द्वारा भी लापरवाही बरतने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. समीक्षा बैठक में आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल आदि उपस्थित थे.

समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अधिकारी माइंडसेट बना लें. गरीबों के अधिकार को मैं छिनने नहीं दूंगा. कलेक्टर और वनमंडलधिकारी भी ध्यान से सुन लें. कोई भी आदिवासी जो 31 दिसम्बर 2005 को या उससे पहले से भूमि पर काबिज है, उसे अनिवार्य रूप से भूमि का पट्टा दिया जाए. कोई पात्र आदिवासी पट्टे से वंचित न रहे. सीएम ने कहा कि यदि इस काम में थोड़ी भी लापरवाही बरती गई तो सख्त कार्रवाई होगी. सीएम ने कहा कि प्रदेश में 3 लाख 58 हजार 339 आदिवासियों के वनाधिकार दावों को निरस्त किया जाना दर्शाता है कि अधिकारियों ने कार्य को गंभीरता से लिया ही नहीं है. आदिवासी समाज ऐसा वर्ग है, जो अपनी बात ढंग से बता भी नहीं पाता. ऐसे में उनसे पट्टों के साक्ष्य मांगना और उसके आधार पर पट्टों को निरस्त करना नितांत अनुचित है.

बैठक में वनाधिकार दावों की समीक्षा में आए कई तथ्य

बैठक के दौरान वनाधिकार दावों की समीक्षा में यह तथ्य सामने आया कि बहुत से ऐसे प्रकरण हैं, जिनमें आदिवासी राजस्व भूमि पर काबिज हैं. मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि परीक्षण कराकर ऐसे आदिवासियों को राजस्व भूमि के पट्टे प्रदान किए जाए. मुरैना जिले की समीक्षा में पाया गया कि वहां 160 दावों में से 153 दावे निरस्त कर दिए गए. इस पर मुख्यमंत्री ने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अधिकारी पट्टे देना चाहते हैं कि नहीं. गरीबों के लिए यदि इस प्रकार का कार्य किया तो सख्त कार्रवाई होगी. कटनी और सिवनी जिलों में भी कार्य में खराब प्रगति पर चेतावनी दी गई. बड़वानी जिले में 10 हजार 438 वनाधिकार पट्टों के दावों में से 9,764 आदिवासियों के पट्टे स्वीकृत किए गए. इस पर सीएम ने बड़वानी जिले के कलेक्टर और डीएफओ की सराहना करते हुए बधाई दी. इंदौर जिले को भी इस कार्य में अच्छी उपलब्धि के लिए बधाई दी गई. भोपाल जिले की समीक्षा में पाया गया कि यहां 6 हजार 794 वनाधिकार पट्टों के दावों को निरस्त किया गया है, इनमें 404 आदिवासियों के हैं, शेष सभी गैर आदिवासी हैं.

अति शीघ्र आयोजित की जाएगी आदिवासी पंचायतें: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि शीघ्र ही आदिवासी अंचलों में आदिवासी पंचायतें आयोजित की जाएंगी, जिनमें उनके साथ आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह भी जाएंगी. इनमें आदिवासियों को वनाधिकार पट्टों का वितरण किया जाएगा. सीएम ने आगे निर्देश दिए कि जो गैर आदिवासी पात्र हैं, उनके प्रकरणों को भी अकारण निरस्त न करें. उनके प्रकरणों का परीक्षण करें और प्रावधानों के अनुसार उन्हें भी पट्टे दिए जाए.

भोपाल। तीन दिनों की यात्रा से लौटे मुख्यमंत्री ने मंत्रालय पहुंचकर वनाधिकार पट्टों के निराकरण की समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों की भी जमकर क्लास ली. साथ ही उन्होंने साफ किया कि जो भी पात्र आदिवासी हैं, उन्हें हर हाल में पट्टा मिलना ही चाहिए. इस काम में किसी के द्वारा भी लापरवाही बरतने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. समीक्षा बैठक में आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल आदि उपस्थित थे.

समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अधिकारी माइंडसेट बना लें. गरीबों के अधिकार को मैं छिनने नहीं दूंगा. कलेक्टर और वनमंडलधिकारी भी ध्यान से सुन लें. कोई भी आदिवासी जो 31 दिसम्बर 2005 को या उससे पहले से भूमि पर काबिज है, उसे अनिवार्य रूप से भूमि का पट्टा दिया जाए. कोई पात्र आदिवासी पट्टे से वंचित न रहे. सीएम ने कहा कि यदि इस काम में थोड़ी भी लापरवाही बरती गई तो सख्त कार्रवाई होगी. सीएम ने कहा कि प्रदेश में 3 लाख 58 हजार 339 आदिवासियों के वनाधिकार दावों को निरस्त किया जाना दर्शाता है कि अधिकारियों ने कार्य को गंभीरता से लिया ही नहीं है. आदिवासी समाज ऐसा वर्ग है, जो अपनी बात ढंग से बता भी नहीं पाता. ऐसे में उनसे पट्टों के साक्ष्य मांगना और उसके आधार पर पट्टों को निरस्त करना नितांत अनुचित है.

बैठक में वनाधिकार दावों की समीक्षा में आए कई तथ्य

बैठक के दौरान वनाधिकार दावों की समीक्षा में यह तथ्य सामने आया कि बहुत से ऐसे प्रकरण हैं, जिनमें आदिवासी राजस्व भूमि पर काबिज हैं. मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि परीक्षण कराकर ऐसे आदिवासियों को राजस्व भूमि के पट्टे प्रदान किए जाए. मुरैना जिले की समीक्षा में पाया गया कि वहां 160 दावों में से 153 दावे निरस्त कर दिए गए. इस पर मुख्यमंत्री ने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अधिकारी पट्टे देना चाहते हैं कि नहीं. गरीबों के लिए यदि इस प्रकार का कार्य किया तो सख्त कार्रवाई होगी. कटनी और सिवनी जिलों में भी कार्य में खराब प्रगति पर चेतावनी दी गई. बड़वानी जिले में 10 हजार 438 वनाधिकार पट्टों के दावों में से 9,764 आदिवासियों के पट्टे स्वीकृत किए गए. इस पर सीएम ने बड़वानी जिले के कलेक्टर और डीएफओ की सराहना करते हुए बधाई दी. इंदौर जिले को भी इस कार्य में अच्छी उपलब्धि के लिए बधाई दी गई. भोपाल जिले की समीक्षा में पाया गया कि यहां 6 हजार 794 वनाधिकार पट्टों के दावों को निरस्त किया गया है, इनमें 404 आदिवासियों के हैं, शेष सभी गैर आदिवासी हैं.

अति शीघ्र आयोजित की जाएगी आदिवासी पंचायतें: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि शीघ्र ही आदिवासी अंचलों में आदिवासी पंचायतें आयोजित की जाएंगी, जिनमें उनके साथ आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह भी जाएंगी. इनमें आदिवासियों को वनाधिकार पट्टों का वितरण किया जाएगा. सीएम ने आगे निर्देश दिए कि जो गैर आदिवासी पात्र हैं, उनके प्रकरणों को भी अकारण निरस्त न करें. उनके प्रकरणों का परीक्षण करें और प्रावधानों के अनुसार उन्हें भी पट्टे दिए जाए.

Last Updated : Jun 28, 2020, 7:37 AM IST
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