भोपाल। 27 फीसदी आरक्षण को लेकर बीजेपी-कांग्रेस के बीच सियासी बयानबाजी जारी है. अब इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है. मुख्यमंत्री ने पत्र में आरोप लगाया है कि 27 फीसदी आरक्षण को लेकर कमलनाथ सरकार ने कोर्ट में जवाब ही प्रस्तुत नहीं किया और स्टे को खत्म कराने की भी कोशिश नहीं की. कमलनाथ सरकार ने 8 महीने तक इस मुद्दे को कोर्ट में लटकाए रखा.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को भेजे अपने पत्र में लिखा है कि पिछड़े वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को लेकर कोर्ट में चुनौती दी गई थी. 14 मार्च से 19 मार्च 2019 तक याचिका में आपकी सरकार ने कोर्ट में कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया था, जिस वजह से ये निर्णय स्थगित कर दिया गया था. 19 मार्च की सुनवाई के दौरान भी सरकार के महाधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए. यहां तक की करीब 8 महीने तक न्यायालय के सामने सरकार ने कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया और न ही स्टे को भी खत्म कराने का कोई प्रयास किया गया.
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पत्र में लिखा है कि कांग्रेस सरकार ने एक साल तक इस मामले में ऐसी कोई कोशिश नहीं की जिससे स्टेट खत्म हो और आरक्षण के निर्णय को क्रियान्वित किया जा सके. सरकार को इस मामले में जो गंभीरता दिखानी चाहिए थी, वह नहीं दिखाई गई. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बीजेपी की सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है और इस याचिका में प्रभावी रूप से अपना पक्ष रखेंगे.
गौरतलब है कि पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर पिछड़ा वर्ग को दिए गए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था को प्रदेश में सुचारू रूप से लागू कराने की पैरवी की थी और कहा था कि मामला हाईकोर्ट में लंबित है. राज्य सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग को इस आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए अदालत में मजबूती से अपना पक्ष रखें.