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Children In Stress: मां-बाप का झगड़ा कैसे बढ़ा देता है बच्चे का तनाव, 3 से 4 साल की उम्र के बच्चे भी हो रहे मनोरोग का शिकार

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Published : Aug 7, 2023, 10:48 PM IST

Updated : Aug 7, 2023, 11:02 PM IST

राष्ट्रीय स्तर के बाल रोग विशेषज्ञ शेखर शेषाद्री ने ईटीवी भारत से बात की. जहां उन्होंने बच्चों के तनाव के बारे में बताया.

Children In Stress
बाल रोग विशेषज्ञ से ईटीवी भारत की बात
बाल रोग विशेषज्ञ से ईटीवी भारत की बात

भोपाल। छोटेपन में जिन चीजों से हम गुजरते हैं. उसका समाधान नहीं हो तो, बड़े समय बाद उसका लक्षण निकल कर आता है. उसका असर भावना व्यवहार पर पड़ता है. यह कहना है राष्ट्रीय स्तर के बाल रोग विशेषज्ञ शेखर शेषाद्री का. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कई बात कहीं. "उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि बच्चे जो हैं या किशोर, पहले उनके जीवन में समस्या नहीं थी. लोग कहते हैं कि बड़े बच्चों और युवाओं में मानसिक रूप से मानसिकता बदल रही है, लेकिन मानसिक बदलाव या मानसिक रोग 3,4,5 साल के बच्चों में भी देखा जा रहा है. माता-पिता के बीच झगड़ा होने का असर छोटे बच्चों पर पड़ रहा है. इस वजह से वह मानसिक रूप से शिकार भी हो रहे हैं. इसके लिए जरूरी है कि ऑफिस और बाहर के तनाव को घर पर ना लेकर आए. यह कहना है मनोरोग बाल मनोरोग विशेषज्ञ डॉ शेखर शेषाद्री का.

सुसाइड केस में आएगी कमी: जीवन कौशल अलग-अलग तरीके का होता है. समस्या का समाधान, आत्मज्ञान, तनाव झेलना, भावनाओं को छेड़ना. यार दोस्त हम पर दबाव डालते हैं, ऐसा करना लेकिन एक समय लगता है करें या ना करें. यह जब लड़ाई होती है दर्द होता है. इस चीज का तो समाधान हो. इसका प्रशिक्षण अगर स्कूल में ही दिया जाए तो बेहतर होगा. स्कूल के शिक्षक अगर जीवन कौशल, जीवन को जीने के तरीके के बारे में बच्चों को बताएंगे. तो निश्चित ही आने वाले समय में आत्महत्या की घटनाएं जो बच्चे और युवाओं में हो रही है वह कमी होगी.

अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्री के भाई हैं शेखर: मध्य प्रदेश सरकार के आनंद मंत्रालय को लेकर डॉक्टर शेखर का कहना था कि संवाद बेहद जरूरी है. शेखर फिल्म अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्री के भाई हैं. उनसे पूछा गया कि अगर आप डॉक्टर नहीं बनते तो क्या फिल्मी दुनिया में जाते तो उनका "कहना था कि वह आज भी थिएटर कर रहे हैं और कला से उनके परिवार का पुराना नाता है, लेकिन मैं डॉक्टर ही बनना चाहता था. वही अपनी बहन मीनाक्षी के बारे में चर्चा करते हुए कहते हैं कि उनकी बहन की फिल्म दामिनी जब आई थी और आज के समय में वन स्टॉप सेंटर जो बने हुए हैं. देश भर में जिसे दामिनी के नाम से भी जाना जाता हैय जिसके चलते हमें अच्छा लगता है. खुशी की बात है कि इस मुद्दे से चेंज आया, लेकिन अन्याय जो करते हैं उसके बराबर वह अपराधी भी हैं, जो अन्याय को देखते हैं.

यहां पढ़ें...

संवाद बहुत जरूरी: करोना के समय बच्चे घर पर ही रहे और अधिकतर टीवी और मोबाइल गेम से जुड़े रहे. इसके चलते वह एकांत में रहना सीख गए और उनमें उदासी, किसी से बात ना करने का व्यवहार आ गया. जिसके चलते बच्चों में मनोरोग बढ़ा है और वह डिप्रेशन की और चले गए हैं. इसलिए बच्चों को ज्यादा से ज्यादा संवाद करने की जरूरत है. अगर उनसे हम संवाद करते रहेंगे, उनके साथ बैठकर बातें करेंगे तो निश्चित ही हम उन्हें स्वस्थ वातावरण दे पाएंगे. अभिभावक का संतान के साथ रिश्ता हो या शिक्षक का. सत्य है कि बच्चों के साथ बड़ों का जो रिश्ता है, उसकी संस्कृति, आदेश, उद्देश्य पर आधारित है. चर्चा की संस्कृति नहीं है. आपने कभी बच्चे से पूछा क्या हुआ, अपने विचार बताओ. बैठ कर बात करें. प्रोत्साहन दें. यह सब चीजें जरूरी हैं. यह सब चीजें खत्म हो गई हैं. जिस वजह से बच्चे तनाव में हैं.

बाल रोग विशेषज्ञ से ईटीवी भारत की बात

भोपाल। छोटेपन में जिन चीजों से हम गुजरते हैं. उसका समाधान नहीं हो तो, बड़े समय बाद उसका लक्षण निकल कर आता है. उसका असर भावना व्यवहार पर पड़ता है. यह कहना है राष्ट्रीय स्तर के बाल रोग विशेषज्ञ शेखर शेषाद्री का. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कई बात कहीं. "उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि बच्चे जो हैं या किशोर, पहले उनके जीवन में समस्या नहीं थी. लोग कहते हैं कि बड़े बच्चों और युवाओं में मानसिक रूप से मानसिकता बदल रही है, लेकिन मानसिक बदलाव या मानसिक रोग 3,4,5 साल के बच्चों में भी देखा जा रहा है. माता-पिता के बीच झगड़ा होने का असर छोटे बच्चों पर पड़ रहा है. इस वजह से वह मानसिक रूप से शिकार भी हो रहे हैं. इसके लिए जरूरी है कि ऑफिस और बाहर के तनाव को घर पर ना लेकर आए. यह कहना है मनोरोग बाल मनोरोग विशेषज्ञ डॉ शेखर शेषाद्री का.

सुसाइड केस में आएगी कमी: जीवन कौशल अलग-अलग तरीके का होता है. समस्या का समाधान, आत्मज्ञान, तनाव झेलना, भावनाओं को छेड़ना. यार दोस्त हम पर दबाव डालते हैं, ऐसा करना लेकिन एक समय लगता है करें या ना करें. यह जब लड़ाई होती है दर्द होता है. इस चीज का तो समाधान हो. इसका प्रशिक्षण अगर स्कूल में ही दिया जाए तो बेहतर होगा. स्कूल के शिक्षक अगर जीवन कौशल, जीवन को जीने के तरीके के बारे में बच्चों को बताएंगे. तो निश्चित ही आने वाले समय में आत्महत्या की घटनाएं जो बच्चे और युवाओं में हो रही है वह कमी होगी.

अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्री के भाई हैं शेखर: मध्य प्रदेश सरकार के आनंद मंत्रालय को लेकर डॉक्टर शेखर का कहना था कि संवाद बेहद जरूरी है. शेखर फिल्म अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्री के भाई हैं. उनसे पूछा गया कि अगर आप डॉक्टर नहीं बनते तो क्या फिल्मी दुनिया में जाते तो उनका "कहना था कि वह आज भी थिएटर कर रहे हैं और कला से उनके परिवार का पुराना नाता है, लेकिन मैं डॉक्टर ही बनना चाहता था. वही अपनी बहन मीनाक्षी के बारे में चर्चा करते हुए कहते हैं कि उनकी बहन की फिल्म दामिनी जब आई थी और आज के समय में वन स्टॉप सेंटर जो बने हुए हैं. देश भर में जिसे दामिनी के नाम से भी जाना जाता हैय जिसके चलते हमें अच्छा लगता है. खुशी की बात है कि इस मुद्दे से चेंज आया, लेकिन अन्याय जो करते हैं उसके बराबर वह अपराधी भी हैं, जो अन्याय को देखते हैं.

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संवाद बहुत जरूरी: करोना के समय बच्चे घर पर ही रहे और अधिकतर टीवी और मोबाइल गेम से जुड़े रहे. इसके चलते वह एकांत में रहना सीख गए और उनमें उदासी, किसी से बात ना करने का व्यवहार आ गया. जिसके चलते बच्चों में मनोरोग बढ़ा है और वह डिप्रेशन की और चले गए हैं. इसलिए बच्चों को ज्यादा से ज्यादा संवाद करने की जरूरत है. अगर उनसे हम संवाद करते रहेंगे, उनके साथ बैठकर बातें करेंगे तो निश्चित ही हम उन्हें स्वस्थ वातावरण दे पाएंगे. अभिभावक का संतान के साथ रिश्ता हो या शिक्षक का. सत्य है कि बच्चों के साथ बड़ों का जो रिश्ता है, उसकी संस्कृति, आदेश, उद्देश्य पर आधारित है. चर्चा की संस्कृति नहीं है. आपने कभी बच्चे से पूछा क्या हुआ, अपने विचार बताओ. बैठ कर बात करें. प्रोत्साहन दें. यह सब चीजें जरूरी हैं. यह सब चीजें खत्म हो गई हैं. जिस वजह से बच्चे तनाव में हैं.

Last Updated : Aug 7, 2023, 11:02 PM IST
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