ETV Bharat / state

धार्मिक संस्थान से जुड़ने के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट ने अपने परिवार का किया त्याग - चार्टर्ड अकाउंटेंट ने त्यागा परिवार

भोपाल के फैमिली कोर्ट की काउंसलर सरिता राजानी के पास एक ऐसा मामला आया है, जिसमें एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ने 6 महीने पहले एक धार्मिक संस्थान को ज्वाइन किया था. जहां उनको मानसिक तनाव दूर करने के लिए व्यायाम, प्राणायाम बताए जाते थे. लेकिन अब वो वैराग्य की दुनिया में जा पहुंचा.

Counselor Sarita Rajani
काउंसलर सरिता राजानी
author img

By

Published : Jun 15, 2020, 12:50 PM IST

Updated : Jun 15, 2020, 1:23 PM IST

भोपाल। धार्मिक संस्थानों से जुड़ने के बाद लोग वैराग्य की दुनिया में जा रहे हैं. राजधानी में इन दिनों इस तरह के कई मामले देखने को मिले हैं. राजधानी में धार्मिक संस्थाओं की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. भोपाल में ऐसे कई संस्थान हैं, जहां लोगों को मानसिक तनाव से मुक्त करने के नाम पर असल जिंदगी से ही मुक्त कर दिया जाता है. ऐसे ही कई मामले राजधानी के फैमिली कोर्ट में भी आ रहे हैं. जहां धार्मिक संस्थानों से जुड़ने के बाद पढ़ा-लिखा व्यक्ति अपने जीवन को मोह-माया समझकर घर परिवार त्याग कर मंदिरों में पाठ करने में जीवन बिताने लगे हैं.

काउंसलर सरिता राजानी

चार्टर्ड अकाउंटेंट ने त्याग दिया अपना परिवार-

फैमिली कोर्ट की काउंसलर सरिता राजानी के पास इन दिनों ऐसे ही मामलों की काउंसलिंग चल रही है, जिसे देखकर वो खुद हैरान हो जाती हैं. काउंसलर सरिता राजानी ने बताया कि ये ऐसे मामले हैं जिनकी सुनवाई करने के लिए वो सबसे ज्यादा वक्त देती हैं, बावजूद इसके इसका कोई हल नहीं निकल पाता. हाल ही में एक सीनियर चार्टर्ड अकाउंटेंट का केस काउंसलर के पास आया है. चार्टर्ड अकाउंटेंट एक धार्मिक संस्था से जुड़ने के बाद घर परिवार को भी मोह-माया समझने लगा है और प्रतिदिन 16 हजार पाठ करने के लिए खुद को त्याग देता है. ऐसे कई मामले हैं, जहां व्यक्ति धार्मिक संस्थान से जुड़ने के बाद खुद को समर्पित करने लगता है. हालात ये हैं कि कहीं पति अपनी पत्नी को बहन बताने लगता है तो कहीं एक व्यक्ति अपने बच्चों को मोह माया की दुनिया बता कर छोड़ देता है.

मानसिक तनाव दूर करने चार्टर्ड अकाउंटेंट ने ज्वाइन किया था धार्मिक संस्थान-

भोपाल के सीनियर चार्टर्ड अकाउंटेंट के अंडर में बड़ी संख्या में एंप्लाइज काम करते हैं, उन्होंने 6 महीने पहले एक धार्मिक संस्थान को ज्वाइन किया था. जहां उनको मानसिक तनाव दूर करने के लिए व्यायाम, प्राणायाम बताए जाते थे. इस संस्थान से जुड़ने के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट ने धीरे-धीरे अपने परिवार को अपने से दूर कर दिया. जिससे परेशान उनकी पत्नी ने याचिका दायर की और फिर फैमिली कोर्ट में मामला आया. जिसमें काउंसलर सरिता राजानी ने इस मामले की काउंसलिंग की.

जब चार्टर्ड अकाउंटेंट को कहा गया कि धार्मिक संस्थान एक अलग चीज है, ध्यान करना एक अलग चीज है, लेकिन अपना परिवार जिसकी जिम्मेदारी उन पर है, उसको त्याग देना ये कोई समझदारी नहीं है, तो उसने कहा सिमरन और जाप में जो सुकून है, वो किसी चीज में नहीं इसीलिए वो अपना सारा जीवन केवल जाप और सिमरन में बिताना चाहते हैं.

वैराग्य की दुनिया में जा पहुंचा चार्टर्ड अकाउंटेंट-

अब स्थिति ये है की चार्टर्ड अकाउंटेंट जो अपने घर परिवार के साथ सुखी जीवन बिता रहा था. अब वो वैराग्य की दुनिया में जा पहुंचा है और उनके पत्नी और बच्चे सड़क पर आ गए हैं. उनकी जिम्मेदारी कौन उठाएगा, यही सवाल पूछने के लिए उन्होंने अपने पति की काउंसलिंग कराई, लेकिन लंबे समय तक काउंसलिंग चलने के बाद भी इसका कोई नतीजा सामने नहीं आया. आखिर चार्टर्ड अकाउंटेंट ने कहा उसे प्रतिदिन 16 हजार जाप करने हैं.


काउंसलर ने बताया ऐसा बहुत कम होता है जब वो किसी मामले की काउंसलिंग करते हैं और उसमें समझौता नहीं हो पाता, लेकिन इस तरह के जितने भी मामले अब तक फैमिली कोर्ट में आए हैं. इनमें समझौता नहीं हुआ है, धार्मिक संस्थान से जुड़ने वाले व्यक्ति ने अपने आप को वैराग्य की दुनिया में डालकर धार्मिक चादर ओढ़ कर अपने परिवार को त्याग देते हैं. इससे न जाने कितने परिवार प्रभावित हैं.

भोपाल। धार्मिक संस्थानों से जुड़ने के बाद लोग वैराग्य की दुनिया में जा रहे हैं. राजधानी में इन दिनों इस तरह के कई मामले देखने को मिले हैं. राजधानी में धार्मिक संस्थाओं की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. भोपाल में ऐसे कई संस्थान हैं, जहां लोगों को मानसिक तनाव से मुक्त करने के नाम पर असल जिंदगी से ही मुक्त कर दिया जाता है. ऐसे ही कई मामले राजधानी के फैमिली कोर्ट में भी आ रहे हैं. जहां धार्मिक संस्थानों से जुड़ने के बाद पढ़ा-लिखा व्यक्ति अपने जीवन को मोह-माया समझकर घर परिवार त्याग कर मंदिरों में पाठ करने में जीवन बिताने लगे हैं.

काउंसलर सरिता राजानी

चार्टर्ड अकाउंटेंट ने त्याग दिया अपना परिवार-

फैमिली कोर्ट की काउंसलर सरिता राजानी के पास इन दिनों ऐसे ही मामलों की काउंसलिंग चल रही है, जिसे देखकर वो खुद हैरान हो जाती हैं. काउंसलर सरिता राजानी ने बताया कि ये ऐसे मामले हैं जिनकी सुनवाई करने के लिए वो सबसे ज्यादा वक्त देती हैं, बावजूद इसके इसका कोई हल नहीं निकल पाता. हाल ही में एक सीनियर चार्टर्ड अकाउंटेंट का केस काउंसलर के पास आया है. चार्टर्ड अकाउंटेंट एक धार्मिक संस्था से जुड़ने के बाद घर परिवार को भी मोह-माया समझने लगा है और प्रतिदिन 16 हजार पाठ करने के लिए खुद को त्याग देता है. ऐसे कई मामले हैं, जहां व्यक्ति धार्मिक संस्थान से जुड़ने के बाद खुद को समर्पित करने लगता है. हालात ये हैं कि कहीं पति अपनी पत्नी को बहन बताने लगता है तो कहीं एक व्यक्ति अपने बच्चों को मोह माया की दुनिया बता कर छोड़ देता है.

मानसिक तनाव दूर करने चार्टर्ड अकाउंटेंट ने ज्वाइन किया था धार्मिक संस्थान-

भोपाल के सीनियर चार्टर्ड अकाउंटेंट के अंडर में बड़ी संख्या में एंप्लाइज काम करते हैं, उन्होंने 6 महीने पहले एक धार्मिक संस्थान को ज्वाइन किया था. जहां उनको मानसिक तनाव दूर करने के लिए व्यायाम, प्राणायाम बताए जाते थे. इस संस्थान से जुड़ने के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट ने धीरे-धीरे अपने परिवार को अपने से दूर कर दिया. जिससे परेशान उनकी पत्नी ने याचिका दायर की और फिर फैमिली कोर्ट में मामला आया. जिसमें काउंसलर सरिता राजानी ने इस मामले की काउंसलिंग की.

जब चार्टर्ड अकाउंटेंट को कहा गया कि धार्मिक संस्थान एक अलग चीज है, ध्यान करना एक अलग चीज है, लेकिन अपना परिवार जिसकी जिम्मेदारी उन पर है, उसको त्याग देना ये कोई समझदारी नहीं है, तो उसने कहा सिमरन और जाप में जो सुकून है, वो किसी चीज में नहीं इसीलिए वो अपना सारा जीवन केवल जाप और सिमरन में बिताना चाहते हैं.

वैराग्य की दुनिया में जा पहुंचा चार्टर्ड अकाउंटेंट-

अब स्थिति ये है की चार्टर्ड अकाउंटेंट जो अपने घर परिवार के साथ सुखी जीवन बिता रहा था. अब वो वैराग्य की दुनिया में जा पहुंचा है और उनके पत्नी और बच्चे सड़क पर आ गए हैं. उनकी जिम्मेदारी कौन उठाएगा, यही सवाल पूछने के लिए उन्होंने अपने पति की काउंसलिंग कराई, लेकिन लंबे समय तक काउंसलिंग चलने के बाद भी इसका कोई नतीजा सामने नहीं आया. आखिर चार्टर्ड अकाउंटेंट ने कहा उसे प्रतिदिन 16 हजार जाप करने हैं.


काउंसलर ने बताया ऐसा बहुत कम होता है जब वो किसी मामले की काउंसलिंग करते हैं और उसमें समझौता नहीं हो पाता, लेकिन इस तरह के जितने भी मामले अब तक फैमिली कोर्ट में आए हैं. इनमें समझौता नहीं हुआ है, धार्मिक संस्थान से जुड़ने वाले व्यक्ति ने अपने आप को वैराग्य की दुनिया में डालकर धार्मिक चादर ओढ़ कर अपने परिवार को त्याग देते हैं. इससे न जाने कितने परिवार प्रभावित हैं.

Last Updated : Jun 15, 2020, 1:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.