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RTO दफ्तर के बाहर ग्राहकों से लूट-खसोट, दलालों को अधिकृत करने पर विचार कर रही सरकार - आरटीओ के बाहर सक्रिय दलाल

राजधानी भोपाल का परिवहन कार्यालय सत्ताधारी दल बीजेपी कार्यालय के दफ्तर से चंद कदम की दूरी पर है. इसके बावजूद आरटीओ कार्यालय दलालों का अड्डा बन कर रह गया है. जहां पर लोगों से धड़ल्ले से अवैध वसूली की जाती है और कोई रोकने टोकने वाला भी नहीं है.

Brokers active outside the RTO office of Rajdhani Bhopal
आरटीओ के बाहर सक्रिय दलाल
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Published : Aug 19, 2020, 10:39 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल में आरटीओ कार्यालय के बाहर दलालों का जमावड़ा इस कदर लगा रहता है कि यहां आने वाले ग्राहक कार्यालय पहुंचने से पहले ही दलालों के चंगुल में फंस जाते हैं और दलाल लाइसेंस के नाम पर ग्राहकों से मोटी रकम वसूलते हैं. यह सिलसिला सालों से चलता आ रहा है. कई सरकारें आई और गईं, हर सरकार में ये मुद्दा उठाया जाता रहा कि दलालों को हटाया जाए या उनके लिए कोई उचित व्यवस्था आरटीओ के बाहर किया जाए, लेकिन सरकार के दावे केवल बयानों में ही उलझ कर रह जाते हैं. आज की स्थिति में भी परिवहन कार्यालय के बाहर दलालों का जमावड़ा लगा रहता है, जहां इतनी बड़ी संख्या में दलाल बैठे हुए हैं कि बाहर रोड पर भी इनकी वजह से चक्का जाम रहता है.

आरटीओ के बाहर सक्रिय दलाल

भोपाल के 7 नंबर स्थित बीजेपी कार्यालय के सामने परिवहन कार्यालय है. इस कार्यालय के बाहर तम्बू गाड़े एजेंट बैठे रहते हैं, ये एजेंट ग्राहकों को आरटीओ आफिस के अंदर जाने से पहले ही रोक लेते हैं और उनकी समस्याओं को हल करने का दिलासा देते हुए अपनी बातों में फंसा लेते हैं. इस तरह ग्राहक एजेंट की बातों में उलझ कर ऑफिस तक नहीं पहुंच पाते और जो काम कम पैसों में होना होता है, उसके लिए दोगुनी कीमत देने को मजबूर हो जाते हैं. आरटीओ में जो लाइसेंस 1100 रुपये में बनता है, उसे दलाल 2100 या 2500 में बनवाते हैं, इसी तरह फिटनेस सर्टिफिकेट और आरटीओ से जुड़े अन्य कार्यों में भी दलाल मोटी रकम वसूलते हैं. इस पर आज तक कोई रोक नहीं लग पाई है. दलाल धड़ल्ले से ग्राहकों को लूट रहे हैं और सरकार मौन है.

कोरोना के बीच भी दलाली चालू

कोरोना संक्रमण के बीच भी आरटीओ ऑफिस के बाहर बड़ी संख्या में दलाल सक्रिय हैं. यहां सोशल डिस्टेंसिंग जैसा कुछ नजर नहीं आता. ऑफिस के अंदर 1-1 हाथ की दूरी पर ही दलाल बैठे हुए हैं और ग्राहकों की भी लाइन लगी है. हालांकि, ये एजेंट बताते हैं कि लॉकडाउन में 65% प्रतिशत मार्केट डाउन हो गया है. पहले जहां एक दिन में 15 से 20 ग्राहक मिल जाते थे. अब 6 या 7 से ज्यादा ग्राहक नहीं मिलते. ऐसे में लॉकडाउन में बहुत नुकसान परिवहन को उठाना पड़ा है.

आरटीओ के बाहर दलालों की सक्रियता पर खुद दलाल कहते हैं कि सुबह से शाम तक यहां धूप में बैठकर जो भी कमाते हैं. उसका कलेक्शन आरटीओ को देते हैं, बावजूद इसके विभाग हम लोगों के लिए कोई खास कदम नहीं उठाता, सरकार को एजेंट्स को अधिकृत करना चाहिए. यहां बैठे एजेंट्स लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं और सरकार के लिए ही काम करते हैं.

उनका कहना है कि ऐसे तो हर ऑफिस के बाहर दलाल होते हैं और अधिकतर ऑफिस का काम एजेंट्स के माध्यम से ही होता है. एजेंट का कहना है कि दिग्विजय सिंह की सरकार में भी एजेंट को अधिकृत करने की बात उठी थी, शिवराज सरकार में भी उठी, लेकिन अब तक किसी सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की. सरकार अधिकृत करे तो हम भी अपना घर परिवार अच्छे से चला पाएं.

परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का कहना है कि इन एजेंट्स के लिए अलग व्यवस्था करेंगे, इसको लेकर सरकार विचार कर रही है. मंत्री का कहना है कि आरटीओ के बाहर बैठे एजेंट को हटाया नहीं जाएगा, बल्कि उनके लिए उचित व्यवस्था की जाएगी. जल्द नई बिल्डिंग में ऑफिस शिफ्ट किया जाएगा. जिनमें एजेंट के लिए भी व्यवस्था की जाएगी.

भोपाल। राजधानी भोपाल में आरटीओ कार्यालय के बाहर दलालों का जमावड़ा इस कदर लगा रहता है कि यहां आने वाले ग्राहक कार्यालय पहुंचने से पहले ही दलालों के चंगुल में फंस जाते हैं और दलाल लाइसेंस के नाम पर ग्राहकों से मोटी रकम वसूलते हैं. यह सिलसिला सालों से चलता आ रहा है. कई सरकारें आई और गईं, हर सरकार में ये मुद्दा उठाया जाता रहा कि दलालों को हटाया जाए या उनके लिए कोई उचित व्यवस्था आरटीओ के बाहर किया जाए, लेकिन सरकार के दावे केवल बयानों में ही उलझ कर रह जाते हैं. आज की स्थिति में भी परिवहन कार्यालय के बाहर दलालों का जमावड़ा लगा रहता है, जहां इतनी बड़ी संख्या में दलाल बैठे हुए हैं कि बाहर रोड पर भी इनकी वजह से चक्का जाम रहता है.

आरटीओ के बाहर सक्रिय दलाल

भोपाल के 7 नंबर स्थित बीजेपी कार्यालय के सामने परिवहन कार्यालय है. इस कार्यालय के बाहर तम्बू गाड़े एजेंट बैठे रहते हैं, ये एजेंट ग्राहकों को आरटीओ आफिस के अंदर जाने से पहले ही रोक लेते हैं और उनकी समस्याओं को हल करने का दिलासा देते हुए अपनी बातों में फंसा लेते हैं. इस तरह ग्राहक एजेंट की बातों में उलझ कर ऑफिस तक नहीं पहुंच पाते और जो काम कम पैसों में होना होता है, उसके लिए दोगुनी कीमत देने को मजबूर हो जाते हैं. आरटीओ में जो लाइसेंस 1100 रुपये में बनता है, उसे दलाल 2100 या 2500 में बनवाते हैं, इसी तरह फिटनेस सर्टिफिकेट और आरटीओ से जुड़े अन्य कार्यों में भी दलाल मोटी रकम वसूलते हैं. इस पर आज तक कोई रोक नहीं लग पाई है. दलाल धड़ल्ले से ग्राहकों को लूट रहे हैं और सरकार मौन है.

कोरोना के बीच भी दलाली चालू

कोरोना संक्रमण के बीच भी आरटीओ ऑफिस के बाहर बड़ी संख्या में दलाल सक्रिय हैं. यहां सोशल डिस्टेंसिंग जैसा कुछ नजर नहीं आता. ऑफिस के अंदर 1-1 हाथ की दूरी पर ही दलाल बैठे हुए हैं और ग्राहकों की भी लाइन लगी है. हालांकि, ये एजेंट बताते हैं कि लॉकडाउन में 65% प्रतिशत मार्केट डाउन हो गया है. पहले जहां एक दिन में 15 से 20 ग्राहक मिल जाते थे. अब 6 या 7 से ज्यादा ग्राहक नहीं मिलते. ऐसे में लॉकडाउन में बहुत नुकसान परिवहन को उठाना पड़ा है.

आरटीओ के बाहर दलालों की सक्रियता पर खुद दलाल कहते हैं कि सुबह से शाम तक यहां धूप में बैठकर जो भी कमाते हैं. उसका कलेक्शन आरटीओ को देते हैं, बावजूद इसके विभाग हम लोगों के लिए कोई खास कदम नहीं उठाता, सरकार को एजेंट्स को अधिकृत करना चाहिए. यहां बैठे एजेंट्स लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं और सरकार के लिए ही काम करते हैं.

उनका कहना है कि ऐसे तो हर ऑफिस के बाहर दलाल होते हैं और अधिकतर ऑफिस का काम एजेंट्स के माध्यम से ही होता है. एजेंट का कहना है कि दिग्विजय सिंह की सरकार में भी एजेंट को अधिकृत करने की बात उठी थी, शिवराज सरकार में भी उठी, लेकिन अब तक किसी सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की. सरकार अधिकृत करे तो हम भी अपना घर परिवार अच्छे से चला पाएं.

परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का कहना है कि इन एजेंट्स के लिए अलग व्यवस्था करेंगे, इसको लेकर सरकार विचार कर रही है. मंत्री का कहना है कि आरटीओ के बाहर बैठे एजेंट को हटाया नहीं जाएगा, बल्कि उनके लिए उचित व्यवस्था की जाएगी. जल्द नई बिल्डिंग में ऑफिस शिफ्ट किया जाएगा. जिनमें एजेंट के लिए भी व्यवस्था की जाएगी.

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