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कार्यकर्ताओं से मारपीट के मामले में बीजेपी की बयानबाजी, कांग्रेस ने खड़े किए सवाल

राजगढ़ में बीजेपी कार्यकर्ताओं से डीएम द्वारा मारपीट किए जाने के मामले में बीजेपी ने मोर्चा खोलते हुए बयानबाजी शुरू कर दी है. वहीं मामले में कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए बीजेपी पर कई सवाल खड़े किए हैं.

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कार्यकर्ताओं से मारपीट के मामले में बीजेपी की बयानबाजी
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Published : Jan 20, 2020, 5:33 PM IST

भोपाल। राजगढ़ में बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ हुए डीएम द्वारा मारपीट को लेकर जहां बीजेपी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं राजगढ़ जिला प्रशासन ने बीजेपी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर प्रकरण दर्ज कराएं हैं.वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी दल कांग्रेस पूरे घटनाक्रम को लेकर कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है. कांग्रेस ने कुछ सवालों की सूची जारी कर बीजेपी से पूछा है कि 15 साल में हम लोगों ने भी विरोध प्रदर्शन किए, लेकिन अनुमति लेकर नियम अनुसार किए. वही मंदसौर गोलीकांड याद दिलाते हुए कांग्रेस ने बीजेपी से पूछा है कि जब किसानों पर गोली चल रही थी, तब कहां थे. कांग्रेस ने राजगढ़ घटनाक्रम के लिए पूरी तरह से बीजेपी और आरएसएस के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

कार्यकर्ताओं से मारपीट के मामले में बीजेपी की बयानबाजी

ये सवाल पूछे...

  • संघ के एजेंडे पर देश के टुकड़े करने के उद्देश्य से लागू सीएए, एनआरसी और एनपीआर के समर्थन को लेकर यदि भाजपा फायदा लेना चाह रही है, तो स्वयं के बैनर से परहेज क्यों?
  • रविवार को ही बरेली यूपी में "भविष्य का भारत-आरएसएस का दृष्टिकोण" विषय पर गोष्ठी में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संविधान से इतर कोई शक्ति केंद्र नहीं चाहते. तब आज उनकी विचारधारा निर्मित की जा रही यह स्थितियां क्या संवैधानिक है?
  • देश-प्रदेश के जिन शहरों जिलों में यह प्रायोजित आग फैलाई जा रही है, यदि वह एक विचारधारा द्वारा आयोजित है. तो उसमें पिछले दरवाजे से संघ भाजपा नेताओं का प्रवेश क्यों? पार्टी बैनर का उपयोग करने से भय क्यों ?
  • जैसा कि आपने बरेली में कहा कि संघ को कोई एजेंडा नहीं है, हम देश के संविधान को मानते हैं, तब बिना अनुमति के विरोध-प्रदर्शन क्या संविधान की आत्मा का सम्मान है ?
  • जिस तिरंगे का दुरुपयोग कर आज आपकी विचारधारा के रिमोट से संचालित समूह देश को बारूद के ढेर पर खड़ा कर चुका है. क्या आप ये जवाब देने की स्थिति में है कि स्वतंत्रता संग्राम के झंडे की रक्षा के लिए आप के पुरोधाओं की भूमिका क्या थी. यही नहीं देश आजाद होने के बाद दशकों तक हमारे सम्मान के प्रति किस तिरंगे की जगह 'भगवा ध्वज' संघ मुख्यालय में क्यों लहराता रहा? आज तिरंगे विरोध-प्रदर्शन में उपयोग कितना जायज है?
  • राजगढ़ की घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिन घृणित शब्दों में प्रशासनिक अधिकारियों को ललकार रहे हैं, मंदसौर में अनुमति लेकर प्रदर्शन करने वाले निहत्थे किसानों को पुलिस की गोलियों से भुनवा देने की अपनी किस शौर्य गाथा के रूप में लेते हैं?
  • महिला सशक्तिकरण, बेटी बचाओ को लेकर करोड़ों के खर्च कथित प्रचार से सिर्फ अपनी छवि चमकने वाले शिवराज क्या किसी एडीएम बेटी की कमर पर लात मारने, उस बेटी की सरेराय चोटी खींचने वालों को केंद्र से भारत रत्न दिलाने की अनुशंसा करेंगे.
  • इंदौर में घटित ऐसे ही दुर्भाग्यपूर्ण प्रसंग पर आप और आपकी विचारधारा अधिकारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई को अनुचित बता रही है और राजगढ़ में अपमान के साथ अपने कर्तव्य करने वाले अधिकारियों को अपशब्द से नवाज रही है। यह दोहरा चरित्र क्यों ?
  • आप लोगों की मात्र एक साल में ही सांसे फूल आई हैं, हमने भी बिना रोना रोए 15 सालों तक आपका सामना किया, आगे भी करेंगे। बल्कि सरकार से हमारी प्रार्थना है कि पर्दे के पीछे रहकर इन दोहरे चरित्र वालों के अनैतिक दबाव में किसी भी कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही ना करें, अन्यथा उनका मनोबल खंडित होगा.

भोपाल। राजगढ़ में बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ हुए डीएम द्वारा मारपीट को लेकर जहां बीजेपी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं राजगढ़ जिला प्रशासन ने बीजेपी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर प्रकरण दर्ज कराएं हैं.वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी दल कांग्रेस पूरे घटनाक्रम को लेकर कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है. कांग्रेस ने कुछ सवालों की सूची जारी कर बीजेपी से पूछा है कि 15 साल में हम लोगों ने भी विरोध प्रदर्शन किए, लेकिन अनुमति लेकर नियम अनुसार किए. वही मंदसौर गोलीकांड याद दिलाते हुए कांग्रेस ने बीजेपी से पूछा है कि जब किसानों पर गोली चल रही थी, तब कहां थे. कांग्रेस ने राजगढ़ घटनाक्रम के लिए पूरी तरह से बीजेपी और आरएसएस के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

कार्यकर्ताओं से मारपीट के मामले में बीजेपी की बयानबाजी

ये सवाल पूछे...

  • संघ के एजेंडे पर देश के टुकड़े करने के उद्देश्य से लागू सीएए, एनआरसी और एनपीआर के समर्थन को लेकर यदि भाजपा फायदा लेना चाह रही है, तो स्वयं के बैनर से परहेज क्यों?
  • रविवार को ही बरेली यूपी में "भविष्य का भारत-आरएसएस का दृष्टिकोण" विषय पर गोष्ठी में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संविधान से इतर कोई शक्ति केंद्र नहीं चाहते. तब आज उनकी विचारधारा निर्मित की जा रही यह स्थितियां क्या संवैधानिक है?
  • देश-प्रदेश के जिन शहरों जिलों में यह प्रायोजित आग फैलाई जा रही है, यदि वह एक विचारधारा द्वारा आयोजित है. तो उसमें पिछले दरवाजे से संघ भाजपा नेताओं का प्रवेश क्यों? पार्टी बैनर का उपयोग करने से भय क्यों ?
  • जैसा कि आपने बरेली में कहा कि संघ को कोई एजेंडा नहीं है, हम देश के संविधान को मानते हैं, तब बिना अनुमति के विरोध-प्रदर्शन क्या संविधान की आत्मा का सम्मान है ?
  • जिस तिरंगे का दुरुपयोग कर आज आपकी विचारधारा के रिमोट से संचालित समूह देश को बारूद के ढेर पर खड़ा कर चुका है. क्या आप ये जवाब देने की स्थिति में है कि स्वतंत्रता संग्राम के झंडे की रक्षा के लिए आप के पुरोधाओं की भूमिका क्या थी. यही नहीं देश आजाद होने के बाद दशकों तक हमारे सम्मान के प्रति किस तिरंगे की जगह 'भगवा ध्वज' संघ मुख्यालय में क्यों लहराता रहा? आज तिरंगे विरोध-प्रदर्शन में उपयोग कितना जायज है?
  • राजगढ़ की घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिन घृणित शब्दों में प्रशासनिक अधिकारियों को ललकार रहे हैं, मंदसौर में अनुमति लेकर प्रदर्शन करने वाले निहत्थे किसानों को पुलिस की गोलियों से भुनवा देने की अपनी किस शौर्य गाथा के रूप में लेते हैं?
  • महिला सशक्तिकरण, बेटी बचाओ को लेकर करोड़ों के खर्च कथित प्रचार से सिर्फ अपनी छवि चमकने वाले शिवराज क्या किसी एडीएम बेटी की कमर पर लात मारने, उस बेटी की सरेराय चोटी खींचने वालों को केंद्र से भारत रत्न दिलाने की अनुशंसा करेंगे.
  • इंदौर में घटित ऐसे ही दुर्भाग्यपूर्ण प्रसंग पर आप और आपकी विचारधारा अधिकारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई को अनुचित बता रही है और राजगढ़ में अपमान के साथ अपने कर्तव्य करने वाले अधिकारियों को अपशब्द से नवाज रही है। यह दोहरा चरित्र क्यों ?
  • आप लोगों की मात्र एक साल में ही सांसे फूल आई हैं, हमने भी बिना रोना रोए 15 सालों तक आपका सामना किया, आगे भी करेंगे। बल्कि सरकार से हमारी प्रार्थना है कि पर्दे के पीछे रहकर इन दोहरे चरित्र वालों के अनैतिक दबाव में किसी भी कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही ना करें, अन्यथा उनका मनोबल खंडित होगा.
Intro:भोपाल। राजगढ़ में हुई घटना को लेकर सियासत तेज हो गई है। बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ हुए घटनाक्रम के बाद जहां बीजेपी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं राजगढ़ जिला प्रशासन ने बीजेपी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर प्रकरण दर्ज कहिए है। दूसरी तरफ सत्ताधारी दल कांग्रेस इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है। कांग्रेस ने कुछ सवालों की सूची जारी करके बीजेपी से पूछा है कि 15 साल में हम लोगों ने भी विरोध प्रदर्शन किए, लेकिन अनुमति लेकर नियम अनुसार किए। वही मंदसौर गोलीकांड याद दिलाते हुए कांग्रेस ने बीजेपी से पूछा है कि जब किसानों पर गोली चल रही थी, तब कहां थे। कांग्रेस ने राजगढ़ घटनाक्रम के लिए पूरी तरह से बीजेपी और आर एस एस के लिए जिम्मेदार ठहराया है।


Body:मध्यप्रदेश कांग्रेस ने सवाल खड़े करते हुए पूछा है कि

- संघ के एजेंडे पर देश के टुकड़े करने के उद्देश्य से लागू सी ए ए,एन आर सी और एनपीआर के समर्थन को लेकर यदि भाजपा फायदा लेना चाह रही है, तो स्वयं के बैनर से परहेज क्यों ?

- रविवार को ही बरेली यूपी में " भविष्य का भारत -आर एस एस का दृष्टिकोण" विषय पर गोष्ठी में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा संविधान से इतर नहीं चाहते कोई शक्ति केंद्र। तब आज उनकी विचारधारा निर्मित की जा रही यह स्थितियां क्या संवैधानिक है?

- देश प्रदेश के जिन शहरों जिलों में यह प्रायोजित आग फैलाई जा रही है, यदि वह एक विचारधारा द्वारा आयोजित है। तो उसमें पिछले दरवाजे से संघ भाजपा नेताओं का प्रवेश क्यों ? पार्टी बैनर का उपयोग करने से भय क्यों ?

- जैसा कि आपने बरेली में कहा कि संघ को कोई एजेंडा नहीं है, हम देश के संविधान को मानते हैं, तब बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन क्या संविधान की आत्मा का सम्मान है ?

- जिस तिरंगे का दुरुपयोग कर आज आपकी विचारधारा के रिमोट से संचालित समूह देश को बारूद के ढेर पर खड़ा कर चुका है। क्या आप यह जवाब देने की स्थिति में है कि स्वतंत्रता संग्राम के झंडे की रक्षा के लिए आप के पुरोधाओं की भूमिका क्या थी, यही नहीं देश आजाद होने के बाद दशकों तक हमारे सम्मान के प्रति किस तिरंगे की जगह "भगवा ध्वज" संघ मुख्यालय में क्यों लहराता रहा ? आज तिरंगे विरोध प्रदर्शन में उपयोग कितना जायज है?

राजगढ़ की घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिन घृणित शब्दों में प्रशासनिक अधिकारियों को ललकार रहे हैं, मंदसौर में अनुमति लेकर अपनी वाजिव मांगों को प्रदर्शन करने वाले निहत्थे किसानों को पुलिस की गोलियों से भुनवा देने की अपनी किस शौर्य गाथा के रूप में लेते हैं?

- महिला सशक्तिकरण बेटी बचाओ को लेकर करोड़ों के खर्च कथित प्रचार से सिर्फ अपनी छवि चमकने वाले शिवराज जी क्या किसी एडीएम बेटी की कमर पर लात मारने उस बेटी की सरेराय चोटी खींचने वालों को केंद्र से भारत रत्न दिलाने की अनुशंसा करेंगे, शायद नहीं क्योंकि आपकी कोई बेटी नहीं है?


Conclusion:इंदौर में घटित ऐसे ही दुर्भाग्यपूर्ण प्रसंग पर आप और आपकी विचारधारा अधिकारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई को अनुचित बता रही है और राजगढ़ में अपमान के साथ अपने कर्तव्य करने वाले अधिकारियों को अपशब्द से नवाज रही है। यह दोहरा चरित्र क्यों ? आप लोगों की मात्र एक साल में ही सांसे फूल आई हैं। हमने भी बिना रोना रोए 15 सालों तक आपका सामना किया, आगे भी करेंगे। बल्कि सरकार से हमारी प्रार्थना है कि पर्दे के पीछे रहकर इन दोहरे चरित्र बालों के अनैतिक दबाव में किसी भी कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही ना करें,अन्यथा उनका मनोबल खंडित होगा।
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