भोपाल। कमलनाथ सरकार रेत उत्खनन को लेकर एक नया फैसला लेने जा रही है. इस फैसले के तहत प्रदेश के बड़े बांधों से रेत उत्खनन के ठेके 15 साल तक के लिए दिए जा सकते हैं. इतनी लंबी अवधि के लिए रेत उत्खनन के ठेके दिए जाने पर बीजेपी ने ऐतराज जताया है.
बीजेपी का कहना है कि बांधों की सुरक्षा के लिहाज से ये फैसला काफी गंभीर हो सकता है. ऐसा फैसला लेने के पहले इकोलॉजिकल और एनवायर्नमेंटल विशेषज्ञों की राय लेना चाहिए. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने बीजेपी के विरोध को फिजूल बताया है. कांग्रेस का कहना है कि इस प्रक्रिया से बांधों की स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ेगी और रेत उत्खनन के कारण जो सिल्ट निकलेगी, वो किसानों को खाद के रूप में काम आएगी.
सरकार के फैसले पर बीजेपी ने उठाए सवाल
सरकार की इस नीति को लेकर बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस सरकार जिस प्रकार बरगी, तवा, इंदिरा सागर और बाणसागर बांधों से रेत निकालने का ठेका देने का फैसला कर रही है वो काफी गंभीर है. इकोलॉजी, एनवायरनमेंट और बांधों की सुरक्षा के लिहाज से काफी संवेदनशील है. साथ ही मानव समाज के लिए भी संवेदनशील है. जिस प्रकार कमलनाथ सरकार बिना वैज्ञानिक जांच पड़ताल के जल्दबाजी दिखा रही है.
कांग्रेस ने दिए अपने तर्क
वहीं इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि इस फैसले से हमारे बांधों में पानी का स्टोरेज बढ़ रहा है. निर्माण कार्य के लिए रेत उपलब्ध हो रही है और खेतों को गाद के रूप में खाद मिल रहा है. बीजेपी बेवजह का ड्रामा कर रही है.