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रेत निकालने के लिए 15 साल के ठेके दे सकती है सरकार, बीजेपी ने उठाए सवाल - Sand quarrying

प्रदेश के बड़े बांधों से रेत निकालने के 15 साल के ठेके पर बीजेपी ने कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. वहीं कांग्रेस प्रदेश सरकार के इस फैसले को सही और किसानो के हित में बता रही है.

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बांधों से रेत निकालने के 15 साल के ठेके पर बीजेपी ने उठाए सवाल
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Published : Nov 29, 2019, 12:54 PM IST

भोपाल। कमलनाथ सरकार रेत उत्खनन को लेकर एक नया फैसला लेने जा रही है. इस फैसले के तहत प्रदेश के बड़े बांधों से रेत उत्खनन के ठेके 15 साल तक के लिए दिए जा सकते हैं. इतनी लंबी अवधि के लिए रेत उत्खनन के ठेके दिए जाने पर बीजेपी ने ऐतराज जताया है.

बीजेपी का कहना है कि बांधों की सुरक्षा के लिहाज से ये फैसला काफी गंभीर हो सकता है. ऐसा फैसला लेने के पहले इकोलॉजिकल और एनवायर्नमेंटल विशेषज्ञों की राय लेना चाहिए. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने बीजेपी के विरोध को फिजूल बताया है. कांग्रेस का कहना है कि इस प्रक्रिया से बांधों की स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ेगी और रेत उत्खनन के कारण जो सिल्ट निकलेगी, वो किसानों को खाद के रूप में काम आएगी.

रेत निकालने के लिए 15 साल के ठेके दे सकती है सरकार

सरकार के फैसले पर बीजेपी ने उठाए सवाल
सरकार की इस नीति को लेकर बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस सरकार जिस प्रकार बरगी, तवा, इंदिरा सागर और बाणसागर बांधों से रेत निकालने का ठेका देने का फैसला कर रही है वो काफी गंभीर है. इकोलॉजी, एनवायरनमेंट और बांधों की सुरक्षा के लिहाज से काफी संवेदनशील है. साथ ही मानव समाज के लिए भी संवेदनशील है. जिस प्रकार कमलनाथ सरकार बिना वैज्ञानिक जांच पड़ताल के जल्दबाजी दिखा रही है.

कांग्रेस ने दिए अपने तर्क
वहीं इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि इस फैसले से हमारे बांधों में पानी का स्टोरेज बढ़ रहा है. निर्माण कार्य के लिए रेत उपलब्ध हो रही है और खेतों को गाद के रूप में खाद मिल रहा है. बीजेपी बेवजह का ड्रामा कर रही है.

भोपाल। कमलनाथ सरकार रेत उत्खनन को लेकर एक नया फैसला लेने जा रही है. इस फैसले के तहत प्रदेश के बड़े बांधों से रेत उत्खनन के ठेके 15 साल तक के लिए दिए जा सकते हैं. इतनी लंबी अवधि के लिए रेत उत्खनन के ठेके दिए जाने पर बीजेपी ने ऐतराज जताया है.

बीजेपी का कहना है कि बांधों की सुरक्षा के लिहाज से ये फैसला काफी गंभीर हो सकता है. ऐसा फैसला लेने के पहले इकोलॉजिकल और एनवायर्नमेंटल विशेषज्ञों की राय लेना चाहिए. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने बीजेपी के विरोध को फिजूल बताया है. कांग्रेस का कहना है कि इस प्रक्रिया से बांधों की स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ेगी और रेत उत्खनन के कारण जो सिल्ट निकलेगी, वो किसानों को खाद के रूप में काम आएगी.

रेत निकालने के लिए 15 साल के ठेके दे सकती है सरकार

सरकार के फैसले पर बीजेपी ने उठाए सवाल
सरकार की इस नीति को लेकर बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस सरकार जिस प्रकार बरगी, तवा, इंदिरा सागर और बाणसागर बांधों से रेत निकालने का ठेका देने का फैसला कर रही है वो काफी गंभीर है. इकोलॉजी, एनवायरनमेंट और बांधों की सुरक्षा के लिहाज से काफी संवेदनशील है. साथ ही मानव समाज के लिए भी संवेदनशील है. जिस प्रकार कमलनाथ सरकार बिना वैज्ञानिक जांच पड़ताल के जल्दबाजी दिखा रही है.

कांग्रेस ने दिए अपने तर्क
वहीं इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि इस फैसले से हमारे बांधों में पानी का स्टोरेज बढ़ रहा है. निर्माण कार्य के लिए रेत उपलब्ध हो रही है और खेतों को गाद के रूप में खाद मिल रहा है. बीजेपी बेवजह का ड्रामा कर रही है.

Intro:भोपाल। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार रेत उत्खनन को लेकर एक नया फैसला लेने जा रही है। इस फैसले के तहत प्रदेश के बड़े बांधों में रेत उत्खनन के ठेके 15 साल तक के लिए दिए जा सकते हैं। इतनी लंबी अवधि के लिए रेत उत्खनन के ठेके दिए जाने पर भाजपा ने एतराज जताया है। भाजपा का कहना है कि बांधों की सुरक्षा के लिहाज से यह फैसला काफी गंभीर हो सकता है। ऐसा फैसला लेने के पहले इकोलॉजिकल और एनवायर्नमेंटल विशेषज्ञों की राय लेना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस बीजेपी के विरोध को फिजूल बता रही है और काग्रेस का कहना है कि इस प्रक्रिया से बांधों की स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ेगी और रेत उत्खनन के कारण जो सिल्ट निकलेगी, वह किसानों को खाद के रूप में काम आएगी।


Body:सरकार की इस नीति को लेकर मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि मध्यप्रदेश की काग्रेस सरकार जिस प्रकार बरगी,तवा, इंदिरा सागर और बाणसागर बांधों में रेत निकालने का ठेका देने का निर्णय कर रही है।वह भी 15 साल के लिए, यह काफी गंभीर मामला है। इकोलॉजी, एनवायरनमेंट और बांधों की सुरक्षा के लिहाज से काफी संवेदनशील है। साथ ही मानव समाज के लिए भी संवेदनशील है। जिस प्रकार कमलनाथ सरकार बिना वैज्ञानिक तौर पर जांच पड़ताल के जल्दबाजी दिखा रही है। कई तरह के संदेह जन्म ले रहे हैं,लग रहा है कि मामला गड़बड़ है। क्योंकि बांधों से 15 साल के लिए रेत निकालने का निर्णय किसी इकोलॉजी और एनवायरनमेंट की जानकारी लिए बिना,वैज्ञानिक आधार पर जांच किए बिना लिया जा रहा है। ऐसी क्या जल्दी आ गई है, जो सरकार 15 साल का ठेका देने पर तुल गई है। मामला कुछ तो गड़बड़ है।


Conclusion:वह इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि जब इस फैसले से हमारे बांधों में पानी का स्टोरेज बढ़ रहा है, निर्माण कार्य के लिए रेत उपलब्ध हो रही है और खेतों को गाद के रूप में खाद मिल रही है। तो किसानों का पैसा बचने और बांधों में पानी बढ़ने से उनको तकलीफ है।कांग्रेस की सरकार में लोग सांस ले, तो भी उनको तकलीफ है कि सांस क्यों ले रहे हो, सांस लेने से प्रदूषण बढ़ जाएगा। तो इन तमाम मुद्दों पर कोई मतलब नहीं है। जैसे जैसे लोग शिक्षित और बुद्धिमान हो रहे हैं और इनकी तमाम फिजूल की बातों को समझ रहे हैं।साथ ही यह लोग खुद एक्सपोज हो रहे हैं।
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