भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही पूर्व की शिवराज सरकार के द्वारा शुरू की गई योजनाओं की लगातार समीक्षा की जा रही है और कई योजनाओं को बंद भी किया जा रहा है. जिस पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है. बीजेपी ने आरोप लगाया कि सीएम कमलनाथ युवाओं के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं.
प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन और कौशल्या योजना 31 मार्च 2019 से बंद हो जाएगी. इसके बाद इस योजनाओं के तहत नए लोगों को लाभ नहीं मिल पाएगा. बताया जा रहा है कि इस योजना को लेकर कई शिकायतें सरकार को मिल रही थी. इसी के चलते कांग्रेस सरकार ने इसे जारी रखने से इंकार कर दिया है. हालांकि संचालनालय कौशल विकास की तरफ से इसे निरंतर लागू रखने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया है.
बीजेपी प्रवक्ता राकेश शर्मा का कहना है कि अभी कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के युवाओं को एक झुनझुना पकड़ाया था. जिसमें कहा गया था कि मध्यप्रदेश में जितने भी उद्योग स्थापित किए जाएंगे, उनमें प्रदेश के 70 प्रतिशत युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. उसके बाद कई बड़े उद्योगपतियों के बयान भी सामने आए थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें कुशल युवाओं की जरूरत है. अब यदि पिछली सरकार युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने का काम करती थी, तो इन योजनाओं को बंद करके सीएम कमलनाथ युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. बीजेपी ने आरोप लगाया कि योजनाओं को केवल इसलिए बंद किया जा रहा है, क्योंकि यह शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल की योजनाएं हैं.
कांग्रेस ने दिया आरोपों पर जवाब
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि भाजपा के शासनकाल में चलाई गई सभी योजनाओं को बंद नहीं किया जा रहा है, केवल वही योजनाएं बंद की जा रही हैं, जिनमें भ्रष्टाचार किया गया है या फिर उन योजनाओं का लाभ कभी आम जनता तक पहुंचा ही नहीं है.
बता दें कि कौशल विकास विभाग ने यही योजना 2 वर्ष पहले शुरू की थी मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन और कौशल्या योजना युवाओं को दृष्टिगत रखते हुए बनाई गई थी इन योजनाओं से हर वर्ष करीब 1 लाख युवा एक दर्जन से अधिक अलग अलग ट्रेंड की ट्रेनिंग ले रहे हैं इन्हें देश की 40 निजी संस्थाओं के साथ सरकारी आईआईटी पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेज में भी ट्रेनिंग दी जा रही है योजना पर करीब 1 वर्ष में 100 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा रही है इसी राशि में से एडमिशन होते ही संस्था को 30% की राशि जारी कर दी जाती है 50% राशि बैच के पास होने पर दी जाती है इसके बाद संस्थाएं रोजगार दिलाती हैं तो बाकी 20 फ़ीसदी राशि भी दे दी जाती है ऐसे में यदि संस्थाएं नौकरी नहीं दिला पाती है तो उनसे राशि वसूल करने का कोई प्रावधान नहीं है .