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उपचुनाव: कांग्रेस नेताओं ने ली बीजेपी की सदस्यता, तो बीजेपी नेताओं से संपर्क साध रही है कांग्रेस - कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह

उपचुनाव जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने जोर लगाना शुरु कर दिया है. सोमवार को इंदौर के सांवेर विधानसभा के कई कांग्रेसी नेताओं ने बीजेपी की सदस्यता ली है, तो वहीं कांग्रेस ने बीजेपी के उन प्रत्याशियों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है, जो 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों से मामूली अंतर से हार गए थे.

Preparations for the by-election fast
उपचुनाव की तैयारियां तेज
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Published : May 19, 2020, 12:00 PM IST

Updated : May 19, 2020, 1:03 PM IST

भोपाल। विधानसभा उपचुनाव को लेकर बीजेपी अब आक्रमक नजर आ रही है. कोरोना संकट को हाशिए पर रख बीजेपी ने उपचुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं. इसी कड़ी में इंदौर के सांवेर विधानसभा के कई कांग्रेसी नेताओं ने बीजेपी की सदस्यता ली है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस गुपचुप तरीके से उपचुनाव की तैयारियां कर रही है. बीजेपी के इस ऐलान के बाद की उपचुनाव में सिंधिया समर्थक सभी 22 पूर्व विधायकों को टिकट दिए जाएंगे. कांग्रेस ने रणनीति के तहत बीजेपी के उन प्रत्याशियों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है, जो 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों से मामूली अंतर से हार गए थे. बहरहाल कांग्रेस की रणनीति कारगर साबित होती है कि नहीं, लेकिन दोनों दलों की सरगर्मियों से साफ हो गया है कि, जल्द ही मध्य प्रदेश में उप चुनाव का माहौल चरम पर होगा.

उपचुनाव की तैयारियां तेज

दरअसल, जबसे बीजेपी ने साफ तौर पर ऐलान किया है और उपचुनाव वाली सभी विधानसभा सीटों के बीजेपी नेता और पूर्व प्रत्याशियों को ताकीद कर दिया है, कि उपचुनाव में उन 22 लोगों को टिकिट जरूर दिया जाएगा. जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सरकार बनवाई है. कई बीजेपी नेता अलग-अलग समय पर कांग्रेस नेताओं को टिकट दिए जाने पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं. हालांकि पार्टी के ऐलान के बाद भले ही चुप्पी साध ली हो, लेकिन इनकी नाराजगी को भांपते हुए कांग्रेस इन नेताओं से संपर्क करने कि कोशिश कर रही है. कांग्रेस अपनी रणनीति के तहत इन्हें भले ही पार्टी में शामिल ना कराएं, लेकिन चुनाव में अंदरूनी तौर पर कांग्रेस की मदद के लिए संपर्क कर रही है. राजनीतिक सूत्रों की मानें, तो बीजेपी के कई नाराज नेताओं से खुद कमलनाथ की बात हो चुकी है. गुपचुप तरीके से इस रणनीति को अंजाम देने के लिए कांग्रेस के कई दिग्गज नेता सक्रिय हैं.

कांग्रेस का आरोप

इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि, बीजेपी ने सत्ता प्राप्ति के लिए जो खरीद-फरोख्त और उठापटक की है, अब वही बीजेपी को भारनी पड़गी. बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं में भारी असंतोष दिखने लगा है. जिन विधान सभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता कांग्रेस नेताओं के खिलाफ दशकों से संघर्ष कर रहे थे, उन्हीं नेताओं को अब बीजेपी डील के तहत उपचुनाव में उम्मीदवार घोषित कर रही है. ऐसी स्थिति में बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता पार्टी में अंदर घुटन महसूस कर रहे हैं. विशेषकर जिन विधानसभा क्षेत्र में हार जीत का अंतर बहुत कम था. चाहे सांवेर हो या सुवासरा या फिर ग्वालियर चंबल क्षेत्र की कई विधानसभा सीटें. जहां हार जीत का अंतर 2-3 हजार से कम था.

बीजेपी का तंज

वहीं बीजेपी के प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी का कहना है कि, कमलनाथ के अनुभव की तारीफ उनके कांग्रेस के प्रवक्ता और नेता टीवी चैनल और बातचीत में करते थे. कमलनाथ का अनुभव तब दिखा, जब उनके विधायक उनको अलविदा कह गए. साथ ही महाराजा ने भी कमलनाथ और कांग्रेस को अलविदा कह दिया. कमलनाथ बीजेपी के प्रत्याशियों पर डोरे डाल रहे हैं. निश्चित रूप से कांग्रेस से महाराजा के समर्थक इस्तीफा दे चुके हैं. उनके पास कोई कार्यकर्ता और नेता बचा नहीं है. इसलिए वह भाजपा के नेताओं की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं. केसवानी का कहना है, मैं आपके माध्यम से कमलनाथ से कहना चाहता हूं कि भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता कर्मठ कार्यकर्ता है. कार्यकर्ता संगठन के प्रति प्रतिबद्ध है. अपने संगठन के हर निर्देशों का पालन करता है. कमलनाथ को नए प्रत्याशी ढूंढना चाहिए.

भोपाल। विधानसभा उपचुनाव को लेकर बीजेपी अब आक्रमक नजर आ रही है. कोरोना संकट को हाशिए पर रख बीजेपी ने उपचुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं. इसी कड़ी में इंदौर के सांवेर विधानसभा के कई कांग्रेसी नेताओं ने बीजेपी की सदस्यता ली है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस गुपचुप तरीके से उपचुनाव की तैयारियां कर रही है. बीजेपी के इस ऐलान के बाद की उपचुनाव में सिंधिया समर्थक सभी 22 पूर्व विधायकों को टिकट दिए जाएंगे. कांग्रेस ने रणनीति के तहत बीजेपी के उन प्रत्याशियों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है, जो 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों से मामूली अंतर से हार गए थे. बहरहाल कांग्रेस की रणनीति कारगर साबित होती है कि नहीं, लेकिन दोनों दलों की सरगर्मियों से साफ हो गया है कि, जल्द ही मध्य प्रदेश में उप चुनाव का माहौल चरम पर होगा.

उपचुनाव की तैयारियां तेज

दरअसल, जबसे बीजेपी ने साफ तौर पर ऐलान किया है और उपचुनाव वाली सभी विधानसभा सीटों के बीजेपी नेता और पूर्व प्रत्याशियों को ताकीद कर दिया है, कि उपचुनाव में उन 22 लोगों को टिकिट जरूर दिया जाएगा. जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सरकार बनवाई है. कई बीजेपी नेता अलग-अलग समय पर कांग्रेस नेताओं को टिकट दिए जाने पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं. हालांकि पार्टी के ऐलान के बाद भले ही चुप्पी साध ली हो, लेकिन इनकी नाराजगी को भांपते हुए कांग्रेस इन नेताओं से संपर्क करने कि कोशिश कर रही है. कांग्रेस अपनी रणनीति के तहत इन्हें भले ही पार्टी में शामिल ना कराएं, लेकिन चुनाव में अंदरूनी तौर पर कांग्रेस की मदद के लिए संपर्क कर रही है. राजनीतिक सूत्रों की मानें, तो बीजेपी के कई नाराज नेताओं से खुद कमलनाथ की बात हो चुकी है. गुपचुप तरीके से इस रणनीति को अंजाम देने के लिए कांग्रेस के कई दिग्गज नेता सक्रिय हैं.

कांग्रेस का आरोप

इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि, बीजेपी ने सत्ता प्राप्ति के लिए जो खरीद-फरोख्त और उठापटक की है, अब वही बीजेपी को भारनी पड़गी. बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं में भारी असंतोष दिखने लगा है. जिन विधान सभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता कांग्रेस नेताओं के खिलाफ दशकों से संघर्ष कर रहे थे, उन्हीं नेताओं को अब बीजेपी डील के तहत उपचुनाव में उम्मीदवार घोषित कर रही है. ऐसी स्थिति में बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता पार्टी में अंदर घुटन महसूस कर रहे हैं. विशेषकर जिन विधानसभा क्षेत्र में हार जीत का अंतर बहुत कम था. चाहे सांवेर हो या सुवासरा या फिर ग्वालियर चंबल क्षेत्र की कई विधानसभा सीटें. जहां हार जीत का अंतर 2-3 हजार से कम था.

बीजेपी का तंज

वहीं बीजेपी के प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी का कहना है कि, कमलनाथ के अनुभव की तारीफ उनके कांग्रेस के प्रवक्ता और नेता टीवी चैनल और बातचीत में करते थे. कमलनाथ का अनुभव तब दिखा, जब उनके विधायक उनको अलविदा कह गए. साथ ही महाराजा ने भी कमलनाथ और कांग्रेस को अलविदा कह दिया. कमलनाथ बीजेपी के प्रत्याशियों पर डोरे डाल रहे हैं. निश्चित रूप से कांग्रेस से महाराजा के समर्थक इस्तीफा दे चुके हैं. उनके पास कोई कार्यकर्ता और नेता बचा नहीं है. इसलिए वह भाजपा के नेताओं की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं. केसवानी का कहना है, मैं आपके माध्यम से कमलनाथ से कहना चाहता हूं कि भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता कर्मठ कार्यकर्ता है. कार्यकर्ता संगठन के प्रति प्रतिबद्ध है. अपने संगठन के हर निर्देशों का पालन करता है. कमलनाथ को नए प्रत्याशी ढूंढना चाहिए.

Last Updated : May 19, 2020, 1:03 PM IST
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