भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और नर्मदा बचाओ आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि नर्मदा घाटी के सबसे बड़े घोटाले पर पिछले 6 सालों में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेघा पाटकर ने कहा कि 1600 गरीब किसानों की फर्जी रजिस्ट्री करवा कर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार अधिकारियों, कर्मचारियों और दलालों ने किया है.
'महाघोटाले का दोषी कौन'
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने सवाल उठाया है कि सरदार सरोवर बांध महा घोटाले के लिए आखिर दोषी कौन है. पाटकर ने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए और सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करे. मेधा पाटकर ने घोटाला दबाने की साजिश का आरोप लगाते हुए कहा कि नर्मदा घाटी के विस्थापितों के साथ अन्याय हुआ है.।सरदार सरदार सरोवर बांध मे भ्रष्टाचार आज भी जारी है और दलाल आज भी सक्रिय हैं.
पुनर्वास के नाम पर फर्जी रजिस्ट्री!
मेघा पाटकर ने बताया कि 2005 से डूब प्रभावित किसानों को वैकल्पिक खेती लायक जमीन नर्मदा ट्रिब्यूनल और पुनर्वास नीति तथा सर्वोच्च अदालत के फैसलों के आधार पर दी जानी थी, लेकिन सैकड़ों फर्जी रजिस्ट्री के जरिए अनुदान की राशि निकाली गई. नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से 2007 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की गई. जिस पर 2008 के आदेश से जस्टिस एस एस झा की अध्यक्षता में भ्रष्टाचार जांच आयोग गठित किया गया. मेघा पाटकर ने कहा कि सर्वोच्च अदालत ने राज्य शासन से कार्रवाई की अपेक्षा की थी लेकिन वह आज तक पूरी नहीं की गई है. दलालों की सूची में 186 लोग शामिल हैं.
(Narmada Valley Project) (Sardar Sarovar Dam)