भोपाल। राजधानी भोपाल में सीवेज का काम कर रही अंकिता कंस्ट्रक्शन का एक मजदूर और एक इंजीनियर काल के गाल में समा गए. (Big Accident in Bhopal) दरअसल भोपाल नगर निगम के जोन-1 लाऊखेड़ी गांधीनगर में सीवेज लाइन डालने का काम चल रहा है. भोपाल नगर निगम ने पूरे भोपाल में सीवेज के काम के लिए अंकिता कंस्ट्रक्शन को ठेका दे रखा है.
नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, अंकिता कंस्ट्रक्शन के दो कर्मचारी वाटर लेवल चेक करने के लिए सीवेज में उतरे और वापस बाहर नहीं निकल पाए. जब उन्हें ड्राइंग दी गई है, तो उन्हें वाटर लेवल चेक करने के लिए भरे हुए सीवेज में उतरने की क्या जरूरत थी? (Laborers Fell Into gutter during work in Bhopal)
ग्रामीणों ने की मजदूरों को बचाने की कोशिश
प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीणों ने बताया कि, लाऊखेड़ी क्षेत्र में सीवेज का काम कर रही अंकिता का कंस्ट्रक्शन के दो मजदूर काम करते समय 20 फीट गहरे गड्ढे में गिर गए. गड्ढे में गिरे मजदूरों को ग्रामीणों ने बचाने की कोशिश की. घटना के काफी देर बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस की मदद से मजदूरों को सीवेज से बाहर निकाला. जहां से उन्हें हमीदिया अस्पताल ले जाया गया. इलाज के दौरान पहले एक मजदूर की मौत हुई. वहीं थोड़ी देर बाद इंजीनियर की भी मौत हो गई. (Laborer Dies After Falling Into Sewage in Bhopal)
गड्ढे में नहीं मिली ऑक्सीजन
भोपाल में हुए हादसे के बाद अधिकारियों का कहना है कि अंकिता कंस्ट्रक्शन को ड्राइंग दी गई है, तो उन्हें वाटर लेवल चेक करने के लिए भरे हुए सीवेज में उतरने की क्या जरूरत थी? वहीं स्थानीय लोगों के अनुसार सीवेज के अंदर ऑक्सीजन उपलब्ध ना होने के कारण उन दोनों को बचाया नहीं जा सका. जबकि समय रहते स्थानीय लोगों ने पुलिस और नगर निगम को इस घटना की जानकारी दे दी थी.
पहले भी उजागर हो चुकी है निगम की लापरवाही
इससे पहले भी नगर निगम भोपाल द्वारा लापरवाही के मामले सामने आ चुके है. कुछ समय पहले प्रधानमंत्री आवास योजना में बन रहे मकानों में मजदूरों के बिना सेफ्टी उपकरणों के काम करने से उनके गिरने की वजह से कई मजदूरों की मौत हो चुकी है.
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ऐसे में सवाल ये उठता है कि अंकिता कंस्ट्रक्शन के जो कर्मचारी मौके पर थे, उन्होंने समय रहते इन मजदूरों को बचाने का प्रयास क्यों नहीं किया? भोपाल नगर निगम की ओर से वहां कोई साइड इंजीनियर क्यों नहीं था? यदि पुरानी सीवेज लाइन की ड्राइंग उनके पास थी, तो उन्हें वाटर लेवल चेक करने के लिए भरे हुए सीवेज में उतारने की क्या आवश्यकता थी?