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Bhopal Traffic: भोपाल में आजकल एक ही चर्चा आम,बारिश में क्यो रेंगते हैं वाहन,क्यों लगता है जाम

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Published : Jul 13, 2023, 8:15 AM IST

राजधानी भोपाल में इन दिनों एक ही समस्या को लेकर हर तरफ चर्चा हो रही कि आखिर बारिश शुरू होने के बाद ट्रैफिक जाम क्यों लगता है और ट्रैफिक पुलिस क्यों बेबस हो जाती है. जाम की समस्या वहां ज्यादा दिखाई देती है जहां वीवीआपी मूवमेंट ज्यादा रहता है. जाम लगने की असल वजह वीवीआईपी मूवमेंट और निर्माण कार्य हैं. ट्रैफिक पुलिस का आधा स्टाफ वीआईपी मूवमेंट में व्यस्त रहता है.

Bhopal Traffic problem of jam
भोपाल में एक ही चर्चा आम, बारिश में क्यो रेंगते हैं वाहन, क्यों लगता है जाम
भोपाल में एक ही चर्चा आम, बारिश में क्यो रेंगते हैं वाहन, क्यों लगता है जाम

भोपाल। मध्यप्रदेश में इंदौर और भोपाल दो ऐसे शहर हैं, जहां सरकार ने कमिश्नर सिस्टम लागू किया, ताकि अपराध के साथ हैवी ट्रैफिक जाम से भी शहर को मुक्ति मिले. लेकिन बारिश में पूरा सिस्टम ही फेल दिखाई देता है. हालात ऐसे बन जाते हैं कि लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं. बीते दिनों सोशल मीडिया पर इसी ट्रैफिक जाम को लेकर भोपाल ट्रैफिक पुलिस खासी ट्रोल हुई. ट्रैफिक जाम भोपाल के उस एरिया में होता है, जहां सबसे अधिक वीआईपी मूवमेंट होता है. जैसे विधानसभा, मंत्रालय यानी वल्लभ भवन, सतपुड़ा और विंध्याचल भवन. इसके आलावा एमपी नगर के दोनों जोन, होशंगाबाद रोड आदि शामिल हैं.

आधा स्टाफ वीआईपी मूवमेंट में बिजी : जहां ज्यादा जाम लगता है, ये सभी इलाके कमिश्नर सिस्टम के तहत जोन 2 में आते हैं. इस जोन में कुल 9 थाना क्षेत्र हैं. यदि ट्रैफिक पुलिस की बात करें तो इस जोन में महज 62 ट्रैफिक पुलिस कर्मी हैं. इनमें से भी करीब 50 फीसदी यानी लगभग 30 से 31 ट्रैफिक पुलिसकर्मी उस रूट पर तैनात रहते हैं, जिनसे वीआईपी मूवमेंट होता है. समस्या यह है कि इस जोन में सरकारी बिल्डिंगों के साथ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का मुख्यालय भी है. यहां लगातार सीएम शिवराज सिंह चौहान और अन्य कई मंत्रियों व दूसरे केंद्रीय नेताओं का हर दिन आना जाना लगा रहता है.

कंस्ट्रक्शन वर्क भी बड़ा कारण : दूसरी कांग्रेस कार्यालय में आए दिन धरना प्रदर्शन होता है. इसके चलते आधा स्टॉफ इनके रूट का क्लीयर करवाने में लगा रहता है. जोन 2 के एसीपी संजय पवार बताते हैं कि हमारे लिए मुश्किल यह है कि जंबूरी और दशहरा मैदान जैसे इलाके भी इसी जोन में आते हैं. यहां सामाजिक व राजनैतिक कार्यक्रम लगातार होते हैं. जब उनसे पूछा कि अमला क्या पर्याप्त है तो बोले कि हां पर्याप्त है. लेकिन जब उनसे पूछा कि फिर क्यों जाम लगता है तो जवाब मिला कि कंस्ट्रक्शन वर्क अधिक होने से.

यह हैं राजधानी के जोनवार हालात : भोपाल में करीब 18.10 लाख वाहन पंजीकृत हैं और इनकी संख्या हर साल बढ़ती जा रही है. बीते साल की बात करें तो इंदौर के बाद भोपाल में सर्वाधिक 56343 वाहन पंजीकृत हुए. लेकिन इसके विपरीत पूरे शहर में यदि ट्रैफिक अमले की बात करें तो चार जोन में करीब 300 का स्टॉफ है. इसमें से भी अधिकतर वीआईपी ड्यूटी में तैनात रहता है. ऐसे में जाम लगने के बाद थाने की पुलिस से मदद ली जाती है. जिस जोन 2 में सबसे अधिक जाम लगता है, उसके अंतर्गत नौ थाने आते हैं. इनमें गोविंदपुरा थाना, पिपलानी थाना, अवधपुरी थाना, एमपी नगर, अरेरा हिल्स, अयोध्या नगर, मिसरोद, कटारा हिल्स और बाग सेवनिया थाने शामिल हैं.

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इन आठ थाना क्षेत्रों में भी स्थिति बदतर : भोपाल के जोन 2 के अलावा दूसरे जोन के कुछ थाना क्षेत्रों में जबरदस्त ट्रैफिक जाम रहता है. इसमें जोन एक के जहांगीराबाद, ऐशबाग और अशोका गार्डन. वहीं जोन 3 के कोतवाली, तलैया, शाहजहानबाद, टीला जमालपुरा, कोहेफिजा, हनुमानगंज, मंगलवारा और गौतम नगर शामिल हैं. वहीं जोन 4 में निशातपुरा थानर के करोद क्षेत्र में, छोला मंदिर प्रमुख हैं. इनमें से जोन एक में ट्रैफिक के एसीपी सुशील तिवारी हैं. जोन 3 में अभी एसीपी नहीं है. जोन 4 में मनोज खत्री एसीपी हैं.

भोपाल में एक ही चर्चा आम, बारिश में क्यो रेंगते हैं वाहन, क्यों लगता है जाम

भोपाल। मध्यप्रदेश में इंदौर और भोपाल दो ऐसे शहर हैं, जहां सरकार ने कमिश्नर सिस्टम लागू किया, ताकि अपराध के साथ हैवी ट्रैफिक जाम से भी शहर को मुक्ति मिले. लेकिन बारिश में पूरा सिस्टम ही फेल दिखाई देता है. हालात ऐसे बन जाते हैं कि लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं. बीते दिनों सोशल मीडिया पर इसी ट्रैफिक जाम को लेकर भोपाल ट्रैफिक पुलिस खासी ट्रोल हुई. ट्रैफिक जाम भोपाल के उस एरिया में होता है, जहां सबसे अधिक वीआईपी मूवमेंट होता है. जैसे विधानसभा, मंत्रालय यानी वल्लभ भवन, सतपुड़ा और विंध्याचल भवन. इसके आलावा एमपी नगर के दोनों जोन, होशंगाबाद रोड आदि शामिल हैं.

आधा स्टाफ वीआईपी मूवमेंट में बिजी : जहां ज्यादा जाम लगता है, ये सभी इलाके कमिश्नर सिस्टम के तहत जोन 2 में आते हैं. इस जोन में कुल 9 थाना क्षेत्र हैं. यदि ट्रैफिक पुलिस की बात करें तो इस जोन में महज 62 ट्रैफिक पुलिस कर्मी हैं. इनमें से भी करीब 50 फीसदी यानी लगभग 30 से 31 ट्रैफिक पुलिसकर्मी उस रूट पर तैनात रहते हैं, जिनसे वीआईपी मूवमेंट होता है. समस्या यह है कि इस जोन में सरकारी बिल्डिंगों के साथ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का मुख्यालय भी है. यहां लगातार सीएम शिवराज सिंह चौहान और अन्य कई मंत्रियों व दूसरे केंद्रीय नेताओं का हर दिन आना जाना लगा रहता है.

कंस्ट्रक्शन वर्क भी बड़ा कारण : दूसरी कांग्रेस कार्यालय में आए दिन धरना प्रदर्शन होता है. इसके चलते आधा स्टॉफ इनके रूट का क्लीयर करवाने में लगा रहता है. जोन 2 के एसीपी संजय पवार बताते हैं कि हमारे लिए मुश्किल यह है कि जंबूरी और दशहरा मैदान जैसे इलाके भी इसी जोन में आते हैं. यहां सामाजिक व राजनैतिक कार्यक्रम लगातार होते हैं. जब उनसे पूछा कि अमला क्या पर्याप्त है तो बोले कि हां पर्याप्त है. लेकिन जब उनसे पूछा कि फिर क्यों जाम लगता है तो जवाब मिला कि कंस्ट्रक्शन वर्क अधिक होने से.

यह हैं राजधानी के जोनवार हालात : भोपाल में करीब 18.10 लाख वाहन पंजीकृत हैं और इनकी संख्या हर साल बढ़ती जा रही है. बीते साल की बात करें तो इंदौर के बाद भोपाल में सर्वाधिक 56343 वाहन पंजीकृत हुए. लेकिन इसके विपरीत पूरे शहर में यदि ट्रैफिक अमले की बात करें तो चार जोन में करीब 300 का स्टॉफ है. इसमें से भी अधिकतर वीआईपी ड्यूटी में तैनात रहता है. ऐसे में जाम लगने के बाद थाने की पुलिस से मदद ली जाती है. जिस जोन 2 में सबसे अधिक जाम लगता है, उसके अंतर्गत नौ थाने आते हैं. इनमें गोविंदपुरा थाना, पिपलानी थाना, अवधपुरी थाना, एमपी नगर, अरेरा हिल्स, अयोध्या नगर, मिसरोद, कटारा हिल्स और बाग सेवनिया थाने शामिल हैं.

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इन आठ थाना क्षेत्रों में भी स्थिति बदतर : भोपाल के जोन 2 के अलावा दूसरे जोन के कुछ थाना क्षेत्रों में जबरदस्त ट्रैफिक जाम रहता है. इसमें जोन एक के जहांगीराबाद, ऐशबाग और अशोका गार्डन. वहीं जोन 3 के कोतवाली, तलैया, शाहजहानबाद, टीला जमालपुरा, कोहेफिजा, हनुमानगंज, मंगलवारा और गौतम नगर शामिल हैं. वहीं जोन 4 में निशातपुरा थानर के करोद क्षेत्र में, छोला मंदिर प्रमुख हैं. इनमें से जोन एक में ट्रैफिक के एसीपी सुशील तिवारी हैं. जोन 3 में अभी एसीपी नहीं है. जोन 4 में मनोज खत्री एसीपी हैं.

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