भोपाल। रेलवे स्टेशन क्रमांक 6 से एम्स तक बनने वाली मेट्रो लाइन का काम 3 चरणों में पूरा हो रहा है. पहले चरण में गायत्री मंदिर से लेकर हबीबगंज तक की लाइन को शुरू किया जाएगा. जबकि, इसी लाइन को भोपाल रेलवे स्टेशन तक बाद में आगे बढ़ाया जाएगा. लेकिन इसमें सबसे ज्यादा रुकावट का कारण आरा मशीन और टिंबर मार्केट है. भारत टॉकीज के पास यह मार्केट बना हुआ है, जिसके कारण मेट्रो लाइन में दिक्कत आ रही थी. ऐसे में भोपाल कलेक्टर आशीष सिंह ने टिंबर मर्चेंट और आरा मशीन संचालकों के साथ बैठक की और इन्हें 2 महीने के अंदर खाली कराकर शिफ्ट करने के निर्देश नगर निगम कमिश्नर को दिए हैं. साथ ही कहा है कि 1 सप्ताह के अंदर सभी को नोटिस जारी किया जाए.
कलेक्टर ने दिया टिंबर मार्केट खाली कराने का आदेश: कलेक्टर ने बैठक में आरा मशीन संचालकों से कहा कि "शहर को सुरक्षित रखने के साथ ही सही तरीके से सुविधाजनक यातायात शहर को मिल सके, इसके लिए जरूरी है की मेट्रो के लिए जगह को हम खाली कर दें." यहां मौजूद टिंबर मर्चेंट से बात करते हुए कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि "टिंबर मर्चेंट जिम्मेदार नागरिक हैं और इसके लिए जरूरी है की वह अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए जहां जगह आवंटित की है वहां वो शिफ्ट करें." आगे कलेक्टर ने कहा कि "अगरिया छापर में फर्नीचर क्लस्टर बन रहा है. यहां पर 2 महीने के समय में सभी लोग अपने व्यवसाय को आसानी से शिफ्ट कर सकते हैं. आरा मशीन और टिंबर व्यापारी वहां जाकर अपना व्यवसाय स्थापित करें. वहां सभी को जगह देने का प्रस्ताव है, जिसमें देरी का भी कोई सवाल नहीं उठता है."
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टिंबर मर्चेंट कर रहे विरोध: कलेक्टर ने नगर निगम कमिश्नर को निर्देश देते हुए कहा कि "7 दिन के अंदर भारत टॉकीज के आसपास आरा मशीन को नोटिस देकर जल्द से जल्द शिफ्टिंग की कार्रवाई कराई जाए. साथ ही जो इसमें व्यवधान पैदा करता है या जाने से मना करता है उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाए. इधर, कई टिंबर मर्चेंट इस बैठक के बाद इस आदेश का विरोध करते हुए भी नजर आए. इकबाल नाम के टिंबर मर्चेंट कहते हैं कि "वह कई सालों से इस जगह पर व्यवसाय करते हैं और पीढ़ियों से यहीं पर पास ही रह रहे हैं. ऐसे में जो जगह दी जा रही है वह बेहद दूर है इसलिए इनको परेशानी होगी." वहीं कुछ अन्य आरा व्यवसायियों का कहना है कि जिस जगह पर मार्केट नए सिरे से स्थापित की जा रही है वहां उतनी ग्राहकी नहीं होगी. क्योंकि यह जगह बीच बाजार की है इसलिए यहां से अगर दूसरी जगह जाते हैं तो लाखों का घाटा होगा. उसकी भरपाई की जिम्मेदारी किसकी होगी".