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Bhopal Psychology Lab: बच्चों व अभिभावकों का दूर हो रहा डिप्रेशन, लैब ने देश में स्कूल को दिलाई नौवीं रैंक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल के दौरान कहा था कि आपदा को अवसर में बदलने से ही देश आगे बढ़ता है. उनकी इस बात का पालन कर रहा भोपाल का मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल. यहां कोविड के बाद साइकोलॉजी की एक लैब शुरू की गई है. जिसका फायदा न केवल बच्चों को बल्कि अभिभावकों को भी मिल रहा है.

Bhopal Psychology Lab
बच्चों व अभिभावकों का दूर हो रहा डिप्रेशन
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Published : Jan 21, 2023, 11:03 PM IST

साइकोलॉजी लैब ने देश में स्कूल को दिलाई नौवीं रैंक

भोपाल। मप्र में बोर्ड परीक्षाओं को अब सिर्फ एक महीना बाकी रह गया है. ऐसे में एक सरकारी स्कूल में बच्चों को परीक्षा के बाद होने वाले तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए साइकोलॉजी लैब से बड़ी मदद मिल रही है. मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल में यह लैब कोविड के बाद शुरू हुई है. इसका फायदा न केवल स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट बल्कि उनके पैरेंटस को भी मिल रहा है. इसी नवाचार के चलते स्कूल को देश भर में बेस्ट स्कूल के मामले में नौवी रैंक भी मिली है.

एक हजार छात्रों की हो चुकी है काउंसिलिंगः कक्षा 11वीं में पढ़ने वाले एक छात्र को विषय चयन में खासी दिक्कत आ रही थी, लेकिन जब अपने ही स्कूल की साइकोलॉजी लैब में काउंसलर शबनम खान से जब मुलाकात की तो उसे न केवल सब्जेक्ट चुनने में मदद मिली, बल्कि पढ़ाई पर फोकस भी बढ़ गया है.भोपाल के मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल टीटी नगर में करीब एक साल पहले यह लैब शुरू की गई थी. इस लैब में अब तक करीब 1000 से अधिक स्टूडेंट की काउंसिलिंग की जा चुकी है. जिन बच्चों के पैरेंटस को समस्या थी, ऐसे करीब 500 पैरेंटस को भी बुलाकर बात की गई है. यह संख्या इस साल दिसंबर 2022 तक की है. औसतन हर दिन 20 स्टूडेंट की काउंसिलिंग यहां की जाती है. इनके अलावा क्लासेस में जाकर भी काउंसिलिंग की जाती है. लैब की हेड काउंसलर शबनम खान पूरे समय स्कूल में मौजूद रहकर बच्चों से न केवल बात करती रहती हैं, बल्कि वे उन्हें खेल-खेल में सिखाती और समझाती भी हैं. वे प्रत्येक बच्चे की एक विशेष टूल किट की मदद से काउंसिलिंग करती हैं.

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50 से अधिक टूल किट का होता है इस्तेमालः जिन टूल किट का इस्तेमाल किया जाता है, उनकी मदद से पर्सनलिटी टेस्ट, इंट्रेस्ट टेस्ट, एप्टीट्यूड टेस्ट, डिप्रेशन टेस्ट, डवलपमेंटल टेस्ट समेत लगभग 50 से अधिक टेस्ट लिए जाते हैं. वहीं सैंकड़ों से अधिक कोर्सेस के बारे में बताया जाता है कि 12वीं में लिए गए किस विषय के बाद क्या कर सकते हैं. इन टेस्ट के लिए करीब 50 प्रकार की टूल किट (मनोवैज्ञानिक परीक्षण करने की विधि) इस लैब में मौजूद हैं. इनके जरिए स्टूडेंट की निर्णय लेने की क्षमता को परखा जाता है. उनकी व्यक्तिगत समस्याएं और करियर गाइडेंस के बारे में समझाइश दी जाती है. स्कूल में कक्षा 6 से 12वीं तक अभी करीब 2300 स्टूडेंट हैं. इनमें से लगभग 1700 स्टूडेंट सिर्फ 9वीं से 12 तक की कक्षाओं में पढ़ रहे हैं. इनमें से अब 1000 से अधिक स्टूडेंट की काउंसिलिंग की जा चुकी है.

मैथड का इस्तेमाल करके ऐसे की जाती है मददः लैब में मौजूद किट में कुछ प्रश्न पत्र हैं और बहुत सारी टेक्नीकल मैथेड वाली टूल किट मौजूद हैं. जब स्टूडेंट अपनी समस्या लेकर आता है तो बातचीत करके समझा जाता है कि किस बात को लेकर परेशान हैं. फिर उसी आधार पर उसे टूल किट दी जाती है. निगरानी की जाती है कि वह कैसे उसे हल कर रहा है. उसके हल करने के तरीके से पता चल जाता है कि वह क्या चाहता है और किस दिशा में जाना चाहता है. यह काउंसिलिंग ग्रुप में और व्यक्तिगत भी की जाती है.

बच्चों में बढ़ रहा था डिप्रेशनः मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल टीटी नगर भोपाल प्रिंसिपल रेखा शर्मा बताती हैं कि स्कूल में शुरुआत से ही काउंसिलिंग हो रही है, लेकिन साइकोलॉजी लैब बीते साल ही शुरू की. छात्र-छात्राओं से बातचीत में महसूस हुआ कि उनमें डिप्रेशन बढ़ रहा है. पढ़ाई के प्रेशर से लेकर करियर तक को लेकर वे जरूरत से अधिक चिंतित हैं. इसके बाद लैेब शुरू की और अब उनकी अच्छी खासी मदद हो रही है.

साइकोलॉजी लैब ने देश में स्कूल को दिलाई नौवीं रैंक

भोपाल। मप्र में बोर्ड परीक्षाओं को अब सिर्फ एक महीना बाकी रह गया है. ऐसे में एक सरकारी स्कूल में बच्चों को परीक्षा के बाद होने वाले तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए साइकोलॉजी लैब से बड़ी मदद मिल रही है. मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल में यह लैब कोविड के बाद शुरू हुई है. इसका फायदा न केवल स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट बल्कि उनके पैरेंटस को भी मिल रहा है. इसी नवाचार के चलते स्कूल को देश भर में बेस्ट स्कूल के मामले में नौवी रैंक भी मिली है.

एक हजार छात्रों की हो चुकी है काउंसिलिंगः कक्षा 11वीं में पढ़ने वाले एक छात्र को विषय चयन में खासी दिक्कत आ रही थी, लेकिन जब अपने ही स्कूल की साइकोलॉजी लैब में काउंसलर शबनम खान से जब मुलाकात की तो उसे न केवल सब्जेक्ट चुनने में मदद मिली, बल्कि पढ़ाई पर फोकस भी बढ़ गया है.भोपाल के मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल टीटी नगर में करीब एक साल पहले यह लैब शुरू की गई थी. इस लैब में अब तक करीब 1000 से अधिक स्टूडेंट की काउंसिलिंग की जा चुकी है. जिन बच्चों के पैरेंटस को समस्या थी, ऐसे करीब 500 पैरेंटस को भी बुलाकर बात की गई है. यह संख्या इस साल दिसंबर 2022 तक की है. औसतन हर दिन 20 स्टूडेंट की काउंसिलिंग यहां की जाती है. इनके अलावा क्लासेस में जाकर भी काउंसिलिंग की जाती है. लैब की हेड काउंसलर शबनम खान पूरे समय स्कूल में मौजूद रहकर बच्चों से न केवल बात करती रहती हैं, बल्कि वे उन्हें खेल-खेल में सिखाती और समझाती भी हैं. वे प्रत्येक बच्चे की एक विशेष टूल किट की मदद से काउंसिलिंग करती हैं.

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50 से अधिक टूल किट का होता है इस्तेमालः जिन टूल किट का इस्तेमाल किया जाता है, उनकी मदद से पर्सनलिटी टेस्ट, इंट्रेस्ट टेस्ट, एप्टीट्यूड टेस्ट, डिप्रेशन टेस्ट, डवलपमेंटल टेस्ट समेत लगभग 50 से अधिक टेस्ट लिए जाते हैं. वहीं सैंकड़ों से अधिक कोर्सेस के बारे में बताया जाता है कि 12वीं में लिए गए किस विषय के बाद क्या कर सकते हैं. इन टेस्ट के लिए करीब 50 प्रकार की टूल किट (मनोवैज्ञानिक परीक्षण करने की विधि) इस लैब में मौजूद हैं. इनके जरिए स्टूडेंट की निर्णय लेने की क्षमता को परखा जाता है. उनकी व्यक्तिगत समस्याएं और करियर गाइडेंस के बारे में समझाइश दी जाती है. स्कूल में कक्षा 6 से 12वीं तक अभी करीब 2300 स्टूडेंट हैं. इनमें से लगभग 1700 स्टूडेंट सिर्फ 9वीं से 12 तक की कक्षाओं में पढ़ रहे हैं. इनमें से अब 1000 से अधिक स्टूडेंट की काउंसिलिंग की जा चुकी है.

मैथड का इस्तेमाल करके ऐसे की जाती है मददः लैब में मौजूद किट में कुछ प्रश्न पत्र हैं और बहुत सारी टेक्नीकल मैथेड वाली टूल किट मौजूद हैं. जब स्टूडेंट अपनी समस्या लेकर आता है तो बातचीत करके समझा जाता है कि किस बात को लेकर परेशान हैं. फिर उसी आधार पर उसे टूल किट दी जाती है. निगरानी की जाती है कि वह कैसे उसे हल कर रहा है. उसके हल करने के तरीके से पता चल जाता है कि वह क्या चाहता है और किस दिशा में जाना चाहता है. यह काउंसिलिंग ग्रुप में और व्यक्तिगत भी की जाती है.

बच्चों में बढ़ रहा था डिप्रेशनः मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल टीटी नगर भोपाल प्रिंसिपल रेखा शर्मा बताती हैं कि स्कूल में शुरुआत से ही काउंसिलिंग हो रही है, लेकिन साइकोलॉजी लैब बीते साल ही शुरू की. छात्र-छात्राओं से बातचीत में महसूस हुआ कि उनमें डिप्रेशन बढ़ रहा है. पढ़ाई के प्रेशर से लेकर करियर तक को लेकर वे जरूरत से अधिक चिंतित हैं. इसके बाद लैेब शुरू की और अब उनकी अच्छी खासी मदद हो रही है.

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