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फिर रूप बदल रहा CORONA, इस लाइफस्टाइल को करेंगे फॉलो तो बच पाएंगे VIRUS से

कोविड एक बार फिर से दस्तक देने लगा है. वायरल फीवर और खांसी के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, इसको लेकर पद्मश्री सम्मानित और जनरल मेडिसिन के ज्ञाता डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत ने विशेष बाचतीत की.

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पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी
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Published : Mar 5, 2023, 7:34 AM IST

पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी

भोपाल। मप्र में एक बार फिर कोविड की आहट सुनाई दी, वायरल फीवर और खांसी से लोग पहले से परेशान हैं. लंबे समय में वायरल जा रहा है, ऐसे और भी कई सवालों को लेकर पद्मश्री से सम्मानित और जनरल मेडिसिन के ज्ञाता डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी से ईटीवी भारत ने विशेष बाचतीत की. इसमें उनहोंने बताया कि निश्चित ही वायरस अपना रूप बदल रहा है, लेकिन इससे कहीं अधिक जिम्मेदारी हमारी अराजक लाइफ स्टाइल है. डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी की जल्द किताब ज्ञान है तो जहान है भी आ रही है, जिसमें डॉक्टर के पास कैसे जाएं और कौन सी बीमारी कैसे पहचानें हैं बारे में बड़ी बारीकी और आसान तरीके से लिखा गया है.

सवालः कोविड जाने के बाद वायरल ने अपना तरीका बदल लिया है. पहले दो से तीन दिन में चला जाता था, अब 5 से 7 दिन और कई बार 10 दिन भी लग जाते हैं.
डॉक्टरः निश्चित ही इंफेक्शन बदल रहा है और कोरोना वायरस भी अपना रूप बदल रहा है, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. दो बातें हैं. पहली तो अब ऑपरेशन की उम्र बढ़ी है. यानी पहले 60 साल में भी व्यक्ति की मौत हो जाती थी तो हमको लगता था कि उम्र पूरी जी ली और अब 80 साल के आदमी मौत होने पर लगता है कि इतनी जल्दी कैसे? अब औसतन उम्र बढ़ रही है तो समस्याएं भी बढ़ रही हैं इससे जूझने का कोई तरीका मेडिकल साइंस के पास नहीं है. क्योंकि बीमारी का असल कारण हमारे आसपास होने वाले बेतरतीब कंस्ट्रक्शन, पॉल्युशन और हमारी अराजक लाइफ स्टाइल है.

सवालः क्या मौसम में इतना तेजी से बदलाव आ रहा है, इस कारण वायरल बढ़ रहा है?
डॉक्टरः जी हां, पहले रिमझिम बारिश होती थी. धीमे--धीमे. अब धड़ाधड़ बारिश आती और फिर अचानक चली जाती है. सारे पैटर्न बदल रहे हैं। इतनी कारें सड़क पर हैं और नित टेक्नालॉजी परिवर्तन का मुख्य कारण बन रही है. 4जी के कारण गौरयों के ऊपर भारी असर हो रहा है. मैग्नेटिक वेव्स असर डाल रही है. हमारा वातावरण बदला है। नए कीटाणू पैदा हो रहे हैं. वायरस बदल रहा है। हमें सतर्क होने की चेतावनी भगवान दे रहा है.

Must Read:- कोरोना से जुड़ी खबरें...

सवालः इससे बचने के क्या उपाय हैं?
डॉक्टरः लाइफ स्टाइल बदलने की जरूरत है. एक घर में हमारे पास चार कार हैं. हम कार में बाद में बैठते हैं, पहले एसी ऑन करते हैं. इसे बदलने की जरूरत है. नहीं बदले तो हमारी आने वाली पीढ़ी इसका उपभोग करने लायक नहीं बचेगी. खानपान पर नियंत्रण की बहुत जरूरत है. घंटों कंप्यूटर और मोबाइल पर काम करना बीमारी का मुख्य कारण है.

सवालः छोटी उम्र में बच्चे शुगर और थाइराइड के पेशेंट बन रहे हैं. कारण लाइफ स्टाइल या खानपान?
डॉक्टरः पहली बात तो यह है कि अब बीमारी पहचानने सुविधाएं बढ़ गई हैं. शुगर और थायराइड पहले भी था, अब हम उनको जल्दी जान लेते हैं. लेकिन यह भी सच है कि आज के बच्चे के सामने चुनौतियां बहुत है. उसकी लाइफ, सपने सब बदल चुके हैं. मां ने उसके हाथ में मोबाइल दे दिया कि इसमें उलझा रहेगा. खानपान के कारण मोटापा आ रहा है. पहले गरीबी समस्या थी, अब मोटापा हमारी प्रोब्लम है. हम ओवर वेट प्रोब्लम के शिकार हो गए हैं. हमने अराजक लाइफ जीना शुरू कर दी.

सवालः हम खतरे के कौन से जोन में हैं?
डॉक्टरः सोसाइटी अभी डेंजर जोन में चल रही है. लोगों को ध्यान में रखना होगा कि डॉक्टरों के भरोसे नहीं रहें. डॉक्टर बीमारी पहचान सकता है, लेकिन उसका स्थायी इलाज कुछ नहीं है. ऐसी लाइफ स्टाइल रखिए कि बीमारी पैदा ही न हो. डॉक्टर को क्या करना है? धंधेबाजी अधिक है. आपको जाओगे वो आपको दवा और जांच दोनों लिख देगा.

पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी

भोपाल। मप्र में एक बार फिर कोविड की आहट सुनाई दी, वायरल फीवर और खांसी से लोग पहले से परेशान हैं. लंबे समय में वायरल जा रहा है, ऐसे और भी कई सवालों को लेकर पद्मश्री से सम्मानित और जनरल मेडिसिन के ज्ञाता डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी से ईटीवी भारत ने विशेष बाचतीत की. इसमें उनहोंने बताया कि निश्चित ही वायरस अपना रूप बदल रहा है, लेकिन इससे कहीं अधिक जिम्मेदारी हमारी अराजक लाइफ स्टाइल है. डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी की जल्द किताब ज्ञान है तो जहान है भी आ रही है, जिसमें डॉक्टर के पास कैसे जाएं और कौन सी बीमारी कैसे पहचानें हैं बारे में बड़ी बारीकी और आसान तरीके से लिखा गया है.

सवालः कोविड जाने के बाद वायरल ने अपना तरीका बदल लिया है. पहले दो से तीन दिन में चला जाता था, अब 5 से 7 दिन और कई बार 10 दिन भी लग जाते हैं.
डॉक्टरः निश्चित ही इंफेक्शन बदल रहा है और कोरोना वायरस भी अपना रूप बदल रहा है, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. दो बातें हैं. पहली तो अब ऑपरेशन की उम्र बढ़ी है. यानी पहले 60 साल में भी व्यक्ति की मौत हो जाती थी तो हमको लगता था कि उम्र पूरी जी ली और अब 80 साल के आदमी मौत होने पर लगता है कि इतनी जल्दी कैसे? अब औसतन उम्र बढ़ रही है तो समस्याएं भी बढ़ रही हैं इससे जूझने का कोई तरीका मेडिकल साइंस के पास नहीं है. क्योंकि बीमारी का असल कारण हमारे आसपास होने वाले बेतरतीब कंस्ट्रक्शन, पॉल्युशन और हमारी अराजक लाइफ स्टाइल है.

सवालः क्या मौसम में इतना तेजी से बदलाव आ रहा है, इस कारण वायरल बढ़ रहा है?
डॉक्टरः जी हां, पहले रिमझिम बारिश होती थी. धीमे--धीमे. अब धड़ाधड़ बारिश आती और फिर अचानक चली जाती है. सारे पैटर्न बदल रहे हैं। इतनी कारें सड़क पर हैं और नित टेक्नालॉजी परिवर्तन का मुख्य कारण बन रही है. 4जी के कारण गौरयों के ऊपर भारी असर हो रहा है. मैग्नेटिक वेव्स असर डाल रही है. हमारा वातावरण बदला है। नए कीटाणू पैदा हो रहे हैं. वायरस बदल रहा है। हमें सतर्क होने की चेतावनी भगवान दे रहा है.

Must Read:- कोरोना से जुड़ी खबरें...

सवालः इससे बचने के क्या उपाय हैं?
डॉक्टरः लाइफ स्टाइल बदलने की जरूरत है. एक घर में हमारे पास चार कार हैं. हम कार में बाद में बैठते हैं, पहले एसी ऑन करते हैं. इसे बदलने की जरूरत है. नहीं बदले तो हमारी आने वाली पीढ़ी इसका उपभोग करने लायक नहीं बचेगी. खानपान पर नियंत्रण की बहुत जरूरत है. घंटों कंप्यूटर और मोबाइल पर काम करना बीमारी का मुख्य कारण है.

सवालः छोटी उम्र में बच्चे शुगर और थाइराइड के पेशेंट बन रहे हैं. कारण लाइफ स्टाइल या खानपान?
डॉक्टरः पहली बात तो यह है कि अब बीमारी पहचानने सुविधाएं बढ़ गई हैं. शुगर और थायराइड पहले भी था, अब हम उनको जल्दी जान लेते हैं. लेकिन यह भी सच है कि आज के बच्चे के सामने चुनौतियां बहुत है. उसकी लाइफ, सपने सब बदल चुके हैं. मां ने उसके हाथ में मोबाइल दे दिया कि इसमें उलझा रहेगा. खानपान के कारण मोटापा आ रहा है. पहले गरीबी समस्या थी, अब मोटापा हमारी प्रोब्लम है. हम ओवर वेट प्रोब्लम के शिकार हो गए हैं. हमने अराजक लाइफ जीना शुरू कर दी.

सवालः हम खतरे के कौन से जोन में हैं?
डॉक्टरः सोसाइटी अभी डेंजर जोन में चल रही है. लोगों को ध्यान में रखना होगा कि डॉक्टरों के भरोसे नहीं रहें. डॉक्टर बीमारी पहचान सकता है, लेकिन उसका स्थायी इलाज कुछ नहीं है. ऐसी लाइफ स्टाइल रखिए कि बीमारी पैदा ही न हो. डॉक्टर को क्या करना है? धंधेबाजी अधिक है. आपको जाओगे वो आपको दवा और जांच दोनों लिख देगा.

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