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मोदी के सामने चुनावी इम्तिहान, क्या योजनाओं से PM फिर जीतेंगे एमपी का दिल!

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Published : May 28, 2023, 1:37 PM IST

मध्य प्रदेश में चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल मध्य प्रदेश में अपने सियासी वर्चस्व को बनाए रखने के लिए रूपरेखा तैयार करने में जुट गए हैं. बीजेपी एक बार फिर पीएम मोदी के नाम और काम पर जनता से वोट लेने की तैयारी में है. नतीजा यह है कि पीएम मोदी एक बार फिर एमपी के दौरे पर आ रहे हैं. दरअसल पीएम मोदी की योजनाओं का एमपी में बड़ा असर हुआ है.

MP BJP contest elections on PM Modi face
पीएम मोदी फिर जीतेंगे एमपी का दिल

भोपाल। एमपी के चुनाव में जीत कैसे हो इसे लेकर बीजेपी में लगातार चिंतन मंथन चल रहा है. एमपी में बीजेपी 2023 के विधानसभा चुनाव में मोदी के चेहरे पर ही जीत की उम्मीद लगाए बैठी है. सीएम शिवराज के भाषणों को देखे तो मोदी का नाम लिए बगैर इनका भाषण पूरा नहीं होता, इससे साफ नजर आता है कि मोदी के बगैर एमपी में चुनाव नहीं जीता जा सकता.

भीड़ जुटाने में प्रदेश सत्ता और संगठन माहिर: हालांकि PM मोदी का फोकस एमपी पर ज्यादा है, जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब से वे पीएम बने हैं एमपी में 23 बार आ चुके हैं. मोदी के आने की वजह यहां का भीड़ मैनेजमेंट है. सत्ता और संगठन मिलकर पीएम मोदी के सामने इतनी भीड़ ले आते हैं कि उसे देखकर पीएम मोदी खुश हो जाते हैं, और हो भी क्यों न, भीड़ को देखकर राजनीतिक पार्टियां जीत हार का अंदाज लगाती हैं.

चुनावी साल में मोदी, शाह और केंद्रीय मंत्रियों के दौरे: चुनावी साल के एक साल पहले ही मोदी के मध्यप्रदेश में लगातार दौरे हुए और अब एक बार फिर योग दिवस के मौके पर पीएम मोदी जबलपुर आ सकते हैं. जबलपुर के बहाने बीजेपी महाकौशल को साधना चाहेगी. इसके पहले मोदी का विंध्य में कार्यक्रम रखा गया था. विंध्य पर पार्टी की ज्यादा नजर है. विंध्य की जनता ने भाजपा को पसंद किया लेकिन अब पार्टी की रिपोर्ट बता रही है बीजेपी की स्थिति उतनी ठीक नहीं है. लिहाजा पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के कार्यक्रम विंध्य में कराए गए.

पीएम की किस योजना का कितना असर: पीएम की योजनाओं का असर है कि जनता ने PM मोदी के चेहरे को दो बार चुना. लोगों ने पीएम मोदी को सर आंखों पर रखा. योजनाओं का जिक्र करें तो पीएम का फोकस उस वोट बैंक पर रहा है जो सीधे घर से निकलकर बूथ पर जाता है. पीएम आवास योजना के तहत गांवों और शहरों में मकान बनाए गए, इसका सीधा असर दिखा. उज्जवला योजना जिसने महिला वोटर्स को पार्टी की तरफ आकर्षित किया, गरीबों को मुफ्त अनाज, किसान सम्मान निधि जिसमें केंद्र के साथ राज्य सरकार ने भी अपनी निधि जोड़ी है. बीजेपी का कहना है कि ''इन्हीं योजनाओं का नतीजा है कि आज पीएम मोदी का जादू पूरे देश में चल रहा है.'' बीजेपी प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी की मानें तो ''सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास'' पार्टी का मूल मंत्र है , योजनाओं का लाभ हर उस व्यक्ति को मिल रहा है जो उसका हकदार है.

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आयुष्मान और आवास योजनाओं में घोटाला: केंद्र की योजनाओं के क्रियान्वयन का जिम्मा राज्यों के हाथ में होता है. हालांकि केंद्रीय एजेंसी मॉनिटरिंग करती हैं लेकिन देखा जा रहा है आयुष्मान योजना गरीबों के उपचार के लिए बनाई गई है, जिसमें प्रदेश में करोड़ों का घोटाला हुआ है. इसमें अस्पताल के साथ जिनको आयुष्मान योजना के अंतर्गत संबद्ध किया गया उन्होंने अपनी खूब जेब भरीं. आवास योजना में भी उनकी गुणवता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि अब मोदी का तिलस्म खत्म हो रहा है. केंद्र की योजनाओं को आड़े हाथों लेते हुए प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि ''जनता को सब समझ आ गया है. केंद्र सरकार की योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार हुआ है. मोदी के चेहरे को सामने लाया जा रहा है तो फिर शिवराज क्या काम कर रहे हैं, भाजपा को इसका जवाब देना चाहिए.''

महंगाई पड़ सकती है भाजपा को भारी: पेट्रोल डीजल के दामों के साथ-साथ बढ़ती महंगाई बीजेपी और केंद्र सरकार के लिहाज से भारी पड़ सकते हैं. एमपी में डेढ़ साल को छोड़ दिया जाए तो पिछले 19 साल से भाजपा सत्ता में है. ऐसे में एंटी इनकंबेसी सत्ता धारी पार्टी को भारी पड़ सकती हैं.

भोपाल। एमपी के चुनाव में जीत कैसे हो इसे लेकर बीजेपी में लगातार चिंतन मंथन चल रहा है. एमपी में बीजेपी 2023 के विधानसभा चुनाव में मोदी के चेहरे पर ही जीत की उम्मीद लगाए बैठी है. सीएम शिवराज के भाषणों को देखे तो मोदी का नाम लिए बगैर इनका भाषण पूरा नहीं होता, इससे साफ नजर आता है कि मोदी के बगैर एमपी में चुनाव नहीं जीता जा सकता.

भीड़ जुटाने में प्रदेश सत्ता और संगठन माहिर: हालांकि PM मोदी का फोकस एमपी पर ज्यादा है, जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब से वे पीएम बने हैं एमपी में 23 बार आ चुके हैं. मोदी के आने की वजह यहां का भीड़ मैनेजमेंट है. सत्ता और संगठन मिलकर पीएम मोदी के सामने इतनी भीड़ ले आते हैं कि उसे देखकर पीएम मोदी खुश हो जाते हैं, और हो भी क्यों न, भीड़ को देखकर राजनीतिक पार्टियां जीत हार का अंदाज लगाती हैं.

चुनावी साल में मोदी, शाह और केंद्रीय मंत्रियों के दौरे: चुनावी साल के एक साल पहले ही मोदी के मध्यप्रदेश में लगातार दौरे हुए और अब एक बार फिर योग दिवस के मौके पर पीएम मोदी जबलपुर आ सकते हैं. जबलपुर के बहाने बीजेपी महाकौशल को साधना चाहेगी. इसके पहले मोदी का विंध्य में कार्यक्रम रखा गया था. विंध्य पर पार्टी की ज्यादा नजर है. विंध्य की जनता ने भाजपा को पसंद किया लेकिन अब पार्टी की रिपोर्ट बता रही है बीजेपी की स्थिति उतनी ठीक नहीं है. लिहाजा पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के कार्यक्रम विंध्य में कराए गए.

पीएम की किस योजना का कितना असर: पीएम की योजनाओं का असर है कि जनता ने PM मोदी के चेहरे को दो बार चुना. लोगों ने पीएम मोदी को सर आंखों पर रखा. योजनाओं का जिक्र करें तो पीएम का फोकस उस वोट बैंक पर रहा है जो सीधे घर से निकलकर बूथ पर जाता है. पीएम आवास योजना के तहत गांवों और शहरों में मकान बनाए गए, इसका सीधा असर दिखा. उज्जवला योजना जिसने महिला वोटर्स को पार्टी की तरफ आकर्षित किया, गरीबों को मुफ्त अनाज, किसान सम्मान निधि जिसमें केंद्र के साथ राज्य सरकार ने भी अपनी निधि जोड़ी है. बीजेपी का कहना है कि ''इन्हीं योजनाओं का नतीजा है कि आज पीएम मोदी का जादू पूरे देश में चल रहा है.'' बीजेपी प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी की मानें तो ''सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास'' पार्टी का मूल मंत्र है , योजनाओं का लाभ हर उस व्यक्ति को मिल रहा है जो उसका हकदार है.

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आयुष्मान और आवास योजनाओं में घोटाला: केंद्र की योजनाओं के क्रियान्वयन का जिम्मा राज्यों के हाथ में होता है. हालांकि केंद्रीय एजेंसी मॉनिटरिंग करती हैं लेकिन देखा जा रहा है आयुष्मान योजना गरीबों के उपचार के लिए बनाई गई है, जिसमें प्रदेश में करोड़ों का घोटाला हुआ है. इसमें अस्पताल के साथ जिनको आयुष्मान योजना के अंतर्गत संबद्ध किया गया उन्होंने अपनी खूब जेब भरीं. आवास योजना में भी उनकी गुणवता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि अब मोदी का तिलस्म खत्म हो रहा है. केंद्र की योजनाओं को आड़े हाथों लेते हुए प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि ''जनता को सब समझ आ गया है. केंद्र सरकार की योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार हुआ है. मोदी के चेहरे को सामने लाया जा रहा है तो फिर शिवराज क्या काम कर रहे हैं, भाजपा को इसका जवाब देना चाहिए.''

महंगाई पड़ सकती है भाजपा को भारी: पेट्रोल डीजल के दामों के साथ-साथ बढ़ती महंगाई बीजेपी और केंद्र सरकार के लिहाज से भारी पड़ सकते हैं. एमपी में डेढ़ साल को छोड़ दिया जाए तो पिछले 19 साल से भाजपा सत्ता में है. ऐसे में एंटी इनकंबेसी सत्ता धारी पार्टी को भारी पड़ सकती हैं.

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