भोपाल। पशुपालन विभाग द्वारा यह प्रतियोगिता 13 फरवरी से शुरू की गई थी. 13 फरवरी की शाम को सभी गौपालकों को भोपाल की करोद मंडी बुलाकर यही रोका गया था. सभी की गाय का 13 तारीख की शाम को पूरा दूध निकाला और 14 फरवरी की सुबह से प्रतियोगिता शुरू की गई. फाइनल मुकाबले में 7 गायों के बीच कड़ी टक्कर हुई और बहुत अंतर से विनय सिंह की गिर नस्ल वाली गाय विजेता बनी. दूसरे नंबर पर विकास कुमार सोलंकी की गाय रही, जो विनय सिंह की गाय से महज 1.462 किलोग्राम से पिछड़ गई.
51 हजार रुपये का पुरस्कार: विनय सिंह मूल रूप से बांसिया पठार के रहने वाले हैं. पालन का पुश्तैनी काम करते हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास अभी कुल 6 गाय हैं और भैंसे भी हैं. उनका मूल काम यही है. इसके अलावा वे खेती बाड़ी भी करते हैं. विनय सिंह ने बताया कि जब इस प्रतियोगिता की जानकारी मिली तो उन्होंने अपनी गाय के नियमित खानपान में पशु आहार खिलाना जारी रखा. इसके अलावा खली, चुनी भी देता हूं. गाय की बहुत ही नियमित देखभाल करते हैं. डॉक्टर्स से समय समय पर चेकअप करवाते हैं. इसी वजह से वे 51 हजार रुपए का पुरस्कार जीत पाए.
इन सात ने लिया था हिस्सा: इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार के अंतर्गत 51 हजार रुपए राशि, प्रशस्ति पत्र एवं ट्रॉफी दी गई. वहीं दूसरे नंबर पर विकास कुमार को 21 हजार रुपए का पुरस्कार और तीसरे नंबर पर आई शालिनी सोलंकी को 11 हजार रुपए का पुरस्कार मिला. इनके अलावा प्रीतम सिंह पाल, धीरेंद्र सक्सेना, थान सिंह पाल, रमन त्यागी ने भी अपनी गाय के साथ गौपालक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. एक बड़ी बात यह भी सामने आई कि इस प्रतियोगिता में बहुत अधिक गौपालकों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई और महज 15 पंजीयन ही हुए थे. हाल यह रहा कि कुल सात गाय में से सबसे नीचे क्रम पर रही गाय ने मात्र 8.24 किलोग्राम दूध ही दिया.
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लगातार कराई जाएंगी प्रतियोगिता: कार्यक्रम के समापन अवसर पर मौजूद अतिथियों में से कई ने मांग करते हुए कहा कि, इस प्रकार की प्रतियोगिताएं अधिक से अधिक कराई जानी चाहिए. जानकारी मिली है कि इस प्रतियोगिता को साल में दो बार कराई जा सकती है.