भोपाल। सायबर फ्रॉड करने वाले इतने शातिर होते जा रहे हैं कि पुलिस भी हैरान हो जाती है. ऐसा ही एक मामला भोपाल में सामने आया है. यहां मिनाल कॉलोनी में रहने वाले बीएचईएल के एक रिटायर्ड इंजीनियर को नौकरी का झांसा देकर जालसाजों ने लगभग 1.50 करोड़ से ज्यादा की ठगी की. मामले का खुलासा तब हुआ, जब ठगी का शिकार पीड़ित नौकरी ज्वाइन करने के लिए नेस्ले प्राइवेट इंडिया कंपनी में पहुंचा. तब मालूम पड़ा कि उनको दिया गया अपाइंटमेंट लेटर फर्जी है. इसके बाद उन्होंने वहीं इस पूरे मामले में पश्चिम बंगाल के गरपा थाने में तीन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. वहां से केस डायरी आने के बाद भोपाल के अयोध्या नगर पुलिस ने तीन जालसाजों पर केस दर्ज किया है.
विभिन्न साइट पर दिया बायोडाटा : अयोध्या नगर थाना प्रभारी नीलेश अवस्थी ने बताया कि अभिजीत सिन्हा परिवार के साथ मिनाल रेजीडेंसी में रहते हैं. वह भोपाल बीएचईएल के रिटायर्ड इंजीनियर हैं और उनकी पत्नी एक कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. रिटायर्ड होने के बाद अभिजीत अपने लिये जॉब खोज रहे थे. इसके लिए उन्होंने अलग-अलग साइट पर बायोडाटा डाल रखा था. अक्टूबर 2022 में उनके मोबाइल पर एक नंबर से फोन आया और उसने कहा कि उन्होंने उनका बायोडाटा देखा है और उनकी जॉब नेस्ले प्राइवेट इंडिया कंपनी में लग सकती है.
जालसाजों ने लिया झांसे में : झांसे में लेने के बाद जालसाज ने अभिजीत को कंपनी के कुछ डॉक्यूमेंट भेजे और ज्वॉइनिंग लेटर देने से पहले प्रोसेसिंग फीस के नाम पर रुपए जमा करवाने शुरू किए. अभिजीत ने सबसे पहले 29 अक्टूबर 2022 को रुपए ट्रांसफर किए. उसके बाद कंपनी के लोगों द्वारा बताए गए खातों में डेढ़ करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए. जब वह जॉइनिंग के लिए पहुंचे तो पता चला कि उस टाइम पर कोई व्यक्ति उस कंपनी में है ही नहीं. उसके बाद उन्होंने वही मामले में शिकायत दर्ज कराई. अभिजीत को ट्रैप में फंसाने वाले तीनों लोगों के नंबर बंद हैं.
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केस डायरी भोपाल पहुंची : पीड़ित अभिजीत को फंसाने वालों ने उन्हें अपना नाम रोहन उसके बाद अरुण गुप्ता और के. श्रीनिवास बताया. उन्होंने जब तीनों से संपर्क करना चाहा तो उनके नंबर बंद हो चुके थे. 20 जून को तीनों के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. घटनास्थल अयोध्या नगर भोपाल होने के कारण केस डायरी भोपाल भेजी गई. जिसके बाद पुलिस ने तीनों के खिलाफ मामला कायम कर लिया है. अभी इस मामले में अभिजीत के बयान होने हैं. उसके बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि उनके द्वारा किस-किस बैंक खाते में कितनी राशि भेजी गई.