भोपाल। जिस स्टेशन की हम बात कर रहे हैं, वह भोपाल शहर का पांचवा स्टेशन है जो कि नगर निगम सीमा में बना हुआ है. इन दिनों कई लोकल ट्रेन यहां पर रूकती हैं और बड़ी संख्या में लोग यहां से यात्रा करते हैं, लेकिन इसके चर्चा में रहने की जो खास वजह है वह है कि यहां एक आवले का बगीचा बना दिया गया है और जामुन के ढेर सारे पेड़ भी लगाए जा रहे हैं. इस काम को अंजाम दिया है सेवानिवृत्ति सीनियर सेक्शन इंजीनियर दिलीप सोनी और वर्तमान स्टेशन मैनेजर अनिल दुबे ने.
ऐसे आया जामुन के पेड़ लगाने का ख्याल: दिलीप सोनी बताते हैं कि "रिटायर्ड होने के बाद पास में ही एक कॉलोनी में अपने परिवार के साथ रह रहा था और अक्सर यहां आना होता था. मैं डीआरएम में पदस्थ रहने के बाद यहां भी पदस्थ रहे हैं, इसलिए इस स्टेशन से मेरी यादें जुड़ी हैं. इन्हीं यादों को ताजा करने के लिए मैं अक्सर वर्तमान स्टेशन प्रबंधक अनिल दुबे से मिलने आया करते हूं. ऐसे ही करीब 10 महीने पहले हम दोनों स्टेशन पर लगे एक जामुन के पेड़ के नीचे बैठकर जामुन खा रहे थे, तो चर्चा करने लगे कि इतना मीठा जामुन तो कहीं नहीं है. दोनों के दिमाग में ख्याल आया कि आसपास खाली पड़ी जमीन पर क्यों ना कुछ पेड़ लगाए जाए, इसके बाद शुरू हुआ पौधारोपण का अभियान."
भविष्य में कहलाएगा जामुन कॉरिडोर: दिलीप सोनी ने बताया कि "स्टेशन के बाहर जहां से लोग प्रवेश करते हैं, वहां कचरा घर बना हुआ था. उसे साफ करके आंवले का एक गार्डन डेवलप किया गया, इसमें 65 पौधे लगाए गए, जिनकी हाइट अब बढ़कर 5 से 10 फीट तक हो गई है. नर्मदापुरम रोड से स्टेशन तक आने वाले रास्ते पर दोनों तरफ जामुन की गुठालियां लगाकर पौधे रोप दिए गए हैं और एक कॉरिडोर बना दिया गया है, जो कि भविष्य में जामुन कॉरिडोर कहलाएगा. इतना ही नहीं इनको सुरक्षा देने के लिए स्टेशन पर पड़े हुए वेस्ट मटेरियल का भी उसे किया गया है."
वेस्ट मटेरियल से तैयार कर रहे हैं पौधे: मिसरोद स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर जहां मुख्य दफ्तर भी है, वहीं एक 60 साल पुराना जामुन का पेड़ लगा हुआ है. इस पेड़ के फल से निकलने वाली गुठलियों को यही पौधे का रूप दिया जा रहा है. पौधे तैयार करने के लिए दिलीप सोनी और अनिल दुबे दोनों ही डिस्पोजेबल ग्लास का यूज करते हैं, जो कि लोग वेस्ट मटेरियल समझकर फेंक देते हैं. इसी प्रकार जिन दूध की थैलियां को लोग फेंक देते हैं, उनमें भी यह पौधे लगा रहे हैं. रेलवे स्टेशन पर यात्री पानी पीने के बाद जो बोतल फेंक जाते हैं, उन बॉटल्स में पानी भरकर इन पौधों में डालने के लिए स्टेशन पर ही रख दिया गया है. यानी न केवल स्टेशन को हरा भरा बनाया जा रहा है, बल्कि वेस्ट मटेरियल उसे करके एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया जा रहा है." अनिल ने बताया कि "स्टेशन पर कार्य सभी कर्मचारी इस बात का ध्यान रखते हैं कि पौधों को समय पर पानी मिल जाए."
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उपनगर में लोकल यात्रा के लिए मिसरोद बनेगा बड़ा स्टेशन: जिस मिसरोद स्टेशन को आंवले और जामुन वाला स्टेशन कहा जाता है, वह आने वाले समय में छोटे रूट की यात्राओं के लिए बड़ा स्टेशन बन जाएगा. दरअसल भोपाल में कुल पांच स्टेशन है, इनमें रानी कमलापति स्टेशन सबसे बड़ा बन चुका है. दूसरे नंबर पर भोपाल स्टेशन आता है, जिसमें से सबसे अधिक passenger यात्रा करने के लिए आते और जाते हैं. तीसरा स्टेशन निशातपुरा है और चौथा स्टेशन बैरागढ़ है, जिसे उपनगर स्टेशन भी कहा जाता है. जबकि पांचवे स्टेशन के रूप में मिसरोद विकसित किया जा रहा है, इस स्टेशन से छिंदवाड़ा, इंदौर आदि के लिए लोकल ट्रेन मिलती हैं. यहां एक टिकट काउंटर भी बना हुआ है, छोटी दूरी तक जाने वाली ट्रेनों को इस इलाके के लोग यहीं से पकड़ते हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में आंवले और जामुन वाले इस स्टेशन से यात्रा करना आंखों के लिए सुखद रहेगा.