भोपाल। वो तीन मार्च 1931 की तारीख थी. भगत सिंह की शहादत के ठीक बीस दिन पहले लिखी गई थी ये चिट्ठी, छोटे भाई कुलतार के नाम ये उनका आखिरी खत था. ऊर्दू में लिखी गई अपनी इस आखिरी चिट्ठी में भगत सिंह ने अपने छोटे भाई कुलतार को लिखा था आज तुम्हारी आंखों में आंसू देखकर बहुत दुख हुआ. भगत सिंह ने लिखा था कि तुम्हारे आंसू मुझे बर्दाश्त नहीं होते. शहीद भगत सिंह पर लंबा काम कर चुके प्रोफेसर चमनलाल बताते हैं ''भगत सिंह की 133 राइटिंग यानि लिखित दस्तावेज हैं. जिसमें टेलीग्राम भी है, कोर्ट से जुड़े कागज़ात भीं और परिवार को लिखी चिट्ठियां भी''.
भगत सिंह का कुलतार को लिखा आखिरी ख़त: ये खत लाहौर सेंट्र्ल जेल से लिखा गया है. कहा जा सकता है कि भगत सिंह की अपने परिवार को लिखी आखिरी चिट्ठियों में से एक है ये चिट्ठी. लाहौर सेंट्र्ल जेल से लिखी इस चिट्ठी में भगत सिंह अपने छोटे भाई कुलतार से कहते हैं, आज तुम्हारी आँखों में आंसू देखकर बहुत रंज हुआ. आज तुम्हारी बात में बहुत डर था. तुम्हारे आंसू मुझसे बर्दाश्त नहीं हुए. बरखुरदार हिम्मत से तालीम हासिल करते जाना और सेहत का ख्याल रखना. चिट्ठी में भगत सिंह आगे शेर कहते हैं, वे लिखते हैं...
दहर से क्यों ख़फा हैं क्यों गिला करें
हमारा जहान ही सही है
आओ मुकाबिला करें
कोई दम का मेहमा हूं
अय अहले महफिल
चिराग ए सहर हूं
बुझा चाहता हूं
मेरे हवा में रहेगी ख्याल की बिजली
ये मुश्त ए खाक है फानी
रहे रहे ना रहे
अच्छा रुखसत...
(खुश रहो अहले वतन हम तो सफर करते हैं)
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भगत सिंह के ज्यादातर ख़त कुलतार के लिए: भगत सिंह के हाथों से लिखे हुए उनके जो पूरे दस्तावेज हैं, उन 133 दस्तावेजों में से करीब 60 के लगभग चिट्ठियां हैं. भगत सिंह के जीवन पर बेहद गंभीर काम कर चुके प्रोफेसर चमनलाल ईटीवी भारत से बातचीत में बताते हैं कि ''भगत सिंह 4 भाषाओं उर्दू, हिंदी पंजाबी और अंग्रेजी के जानकार थे. उनकी 50 दस्तावेज हिंदी के हैं, इतने ही अंग्रेजी के बाकी पंजाबी और उर्दू में 15 -15 खत हैं''. प्रोफेसर चमलनलाल कहते हैं ''उनका सबसे ज्यादा जुड़ाव अपने छोटे भाई कुलतार से था. सबसे ज्यादा चिट्ठियां भी उन्हें ही लिखी गई हैं. भगत सिंह बड़े चिंतक थे, विशेषज्ञ थे. वैचारिक क्रांति के जरिए भगत सिंह ने आजादी की अलख जगाई. कुल 23 बरस की छोटी उम्र में शहीद हुए भगत सिंह के बिना आजादी की लड़ाई और उसमें मिली जीत की कल्पना भी नहीं की जा सकती''.