भोपाल। शहर में लगभग 600 सोने-चांदी की दुकानें हैं, जिनमें सोने-चांदी के आभूषण को बेचने के साथ- साथ गहनों का निर्माण कार्य भी किया जाता है. लॉकडाउन के चलते लगभग ढाई महीने से बाजार बंद है, जिसकी वजह से यहां काम करने वाले बंगाली कारीगर भी बेरोजगार हो गए. अगर लॉकडाउन खुल भी जाए, तो भी बाजार को सुचारु रूप से चलने में लगभग 3 से 4 महीने लग जाएंगे. ऐसे में सोने-चांदी के आभूषण बनाने वाले बंगाली कारीगर भोपाल छोड़ रहे हैं. हर एक दिन 1-2 बसों की मदद से पश्चिम बंगाल की ओर रवाना हो रहे हैं. हालांकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का खास ध्यान रखा जा रहा है.
आभूषण कारीगर तपन कुमार दास का कहना है कि, हम सब लोग वापस जा रहे हैं. वेस्ट बंगाल से आए हम लोग भोपाल में रहते थे. सराफा बाजार में काम करते थे, लेकिन अब काम धंधा चौपट हो गया है. दो-तीन महीनों से काम ठप पड़ा हुआ है. घर में ढाई महीनों से बैठे हैं. जमा पूंजी भी धीरे-धीरे खत्म हो रही है, जिसकी वजह से अब अपने घर जाना चाहते हैं. रोजोना एक-दो बसों से बंगाली कारीगर अपने गंतव्य की ओर जा रहे हैं.
कारीगर काशीराम प्रधान का कहना है कि, सुनारों ने बस और खाने-पीने की मदद की है. भोपाल वापस आने के सवाल पर इनका कहना है कि, फिलहाल के लिए अपने घर जा रहे है, वापस भोपाल आने के बारे में बाद में सोचेंगे.
सुनारों की स्थिति तो पहले से ही खराब थी. लॉकडाउन के चलते और खराब हो गई. उन्हें करीब ढाई सौ से 3 सौ करोड़ का नुकसान हो रहा है.