भोपाल। राजधानी की लाइफ लाइन बीसीएलएल (Bhopal City Link Limited) की बसें लॉकडाउन के बाद जवाहर चौक, बैरागढ़ और आईएसबीटी डिपो पर खड़ी हुई हैं. बस के पहियों पर ब्रेक क्या लगा कर्मचारियों की सैलरी पर भी ब्रेक लग गया है. बीसीएलएल के कर्मचारियों को पिछले 6 महीने से सैलरी नहीं मिली है. बीसीएलएल और बस ऑपरेटर के बीच पैसे को लेकर खींचतान मची हुई है और ये पूरा मामला कोर्ट भी पहुंच गया है.
300 बसें, 800 कर्मचारी
बीसीएलएल द्वारा शहर में करीब 300 बसें संचालित की जाती हैं और इसमें 800 के लगभग बस ड्राइवर और कंडक्टर हैं. इन्हें 7 हजार से 12 हजार तक सैलरी दी जाती है, लेकिन पिछले 6 महीने से इन लोगों को सैलरी नहीं मिली है और इसको लेकर कर्मचारी कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं. इसके बावजूद भी कर्मचारियों की सुनवाई नहीं हो रही है.
सैलरी देने से इनकार
बीसीएलएल ने दुर्गम्मा बस ऑपरेटर को बसें संचालित करने का जिम्मा सौंप रखा है और दुर्गम्मा बस ऑपरेटर को ही बसों के कंडेक्टर और ड्राइवर को सैलरी देना रहता है, लेकिन दुर्गम्मा बस ऑपरेटर ने साफ कह दिया है कि कोरोना काल मे बसें नहीं चली हैं तो सैलरी भी नहीं दी जाएगी, क्योंकि उसे पहले ही 100 बसों का बीमा करवाना है और एक बीमा की राशि 80 हजार है. यानी 100 बस में 80 लाख रुपए लगेंगे. दुर्गम्मा बस ऑपरेटर के पीआरओ राघवेंद्र तिवारी का कहना है, पिछले 6 महीने से बसें खड़ी हुई हैं. बीसीएलएल से पांच करोड़ रुपए लेना है. वो मिल नहीं रहे, वो लोग बीसीएलएल से सिर्फ दो करोड़ रुपए ही मांग रहे हैं, वो भी अब तक नहीं मिले हैं.
बीसीएलएल और दुर्गम्मा के बीच परेशान कर्मचारी
शहर में करीब 300 से ज्यादा बसें बीसीएलएल की हैं, ये गाड़ियां दुर्गम्मा बस ऑपरेटर को संचालन के लिए दे रखी हैं. दुर्गम्मा बस ऑपरेटर का ही जिम्मा है, इन गाड़ियों का मेंटेनेंस और कर्मचारियों को सैलरी देना. दुर्गम्मा कंपनी पैसे की तंगी से जूझ रहा है. बीसीएलएल को दुर्गम्मा को सब्सिडी के पांच करोड़ रुपए की राशि देना है.
सब्सिडी, महापौर पास, बुजुर्ग और स्टूडेंट को टिकट में रियायत के तौर पर दी जाती है. उसका बकाया है 5 करोड़ रुपए, लेकिन पैसा मिल नहीं रहा है. बीसीएलएल अधिकारी संजय सोनी का कहना कि जो पैसा बकाया है, वो लॉकडाउन के पहले का है. धीरे-धीरे ये पैसे दिए जा रहे हैं, इसका सैलरी से कोई लेना देना नहीं है.
कोर्ट पहुंचा सैलरी विवाद
सैलरी का विवाद अब कोर्ट पहुंच चुका है. बीसीएलएल के कर्मचारी इसको लेकर लेबर कोर्ट में याचिका लगा चुके हैं. कर्मचारी पिछले 6 महीने से सैलरी नहीं मिलने को लेकर कोर्ट पहुंचे हैं. बीसीएलएल कर्मचारियों का कहना है कि जो कोर्ट फैसला देगा उसे वो मानेंगे. बस अब जल्द से जल्द बसों का संचालन शुरू किया जाए और जो राशि बीसीएलएल ने बस ऑपरेटर को जारी की है, उससे सैलरी दी जाए, क्योंकि सैलरी नहीं मिलने के कारण ड्राइवर और कंडक्टर की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है.
नहीं चल रहीं बसें
अनलॉक के बाद शहर में 2 रूट पर बसों का संचालन शुरू किया गया है. पहला चिरायु से न्यू मार्केट होते हुए बैरागढ़ चीचली, दूसरा बैरागढ़ से वल्लभ भवन और बैरागढ़ चीचली. इन दोनों रुट पर कुल 9 बसें चल रही हैं. बाकी बसों पर अभी ब्रेक लगे हुए हैं जो बसें चल रही हैं, उसमें भी दो से तीन हजार का नुकसान हो रहा है. बस ऑपरेटर उन्हीं कर्मचारी को सैलरी दे रहा है जो संचालित होने वाली बसों में काम कर रहे हैं.
बीसीएलएल और बस ऑपरेटर की जंग के बीच कर्मचारी पिस रहे हैं. पिछले 6 महीने से सैलरी नहीं मिलने के कारण दिन प्रतिदिन आर्थिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं. जल्द इस ओर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में समस्या और बढ़ सकती है.