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उपचुनाव में BSP बिगड़ सकती BJP का खेल, 2018 विधानसभा चुनाव में 11 सीटों पर बनी थी हार का कारण

मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिसमें से 16 सीटें ग्वालियर चंबल की हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में इन 28 में से 27 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई थी. इन सीटों पर बीजेपी की हार का कारण बहुजन समाज पार्टी बनी थी. ऐसे में उपचुनाव में भी बीजेपी का खेल बहुजन समाज पार्टी बिगाड़ सकती है.

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Published : Sep 30, 2020, 11:29 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिनमें 16 सीट ग्वालियर चंबल से आती हैं. इन सीटों को जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में इन 28 में से 27 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई थी. इन सीटों पर बीजेपी की हार का कारण बहुजन समाज पार्टी बनी थी. 27 में से 11 सीटों पर बीएसपी के कारण बीजेपी की हार हुई थी.

दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 9 सीटों पर जीती थी. वहीं बसपा और निर्दलीय से 11 सीटों पर बीजेपी की हार हुई थी और 27 विधानसभा सीटों में से 26 सीटें कांग्रेस ने जीती थी. सिर्फ एक ही सीट भारतीय जनता पार्टी के पाले में गई थी. शायद यही वजह है कि, यह उपचुनाव पिछले मुख्य चुनाव से ज्यादा कठिन और दिलचस्प होने वाला है. कांग्रेस की बात करें तो 2018 में 9 सीटों पर 18-19 हजार वोटों से कम के अंतर से जीत हासिल की थी. अब यही सीटें पार्टी के लिए चुनौती बनी हुई हैं, तो वहीं 11 सीटें बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय उतरे और बसपा या अन्य दल के उम्मीदवारों ने कांग्रेस की झोली में डाल दी थी और बीजेपी की बुरी तरीके से शिकस्त हुई थी.

उपचुनाव में BSP बिगड़ सकती है समीकरण

2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ये थी स्थिति

  • मेहगांव में बीजेपी 25 हजार 814 मतों से हारी, जबकि बहुजन संघर्ष पार्टी को 28 हजार160 वोट मिले थे.
  • मुरैना में बीजेपी 20 हजार 84 9 मतों से हारी ,जबकि BSP को 21 हजार149 और आम आदमी पार्टी को 7 हजार160 वोट मिले थे.
  • करैरा में बीजेपी को 14 हजार 824 मतों से हार मिली थी, जबकि बीएसपी को 40 हजार 26 वोट मिले थे.
  • पोहरी में बीजेपी तीसरे नंबर पर रही, कांग्रेस को 7 हजार 918 मत मिले थे. वहीं बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली थी.
  • सुमावली में बीजेपी को 13 हजार 313 मतों से हार मिली थी, जबकि बीएसपी को 31 हजार 331 वोट मिले थे.
  • मुंगावली में बीजेपी 2,127 मतों से हारी थी, जबकि बीएसपी को 14 हजार 202 वोट मिले थे.
  • अंबाह में बीजेपी 7 हजार 547 मतों से हारी, बीएसपी को 22 हजार 179 मत मिले थे.
  • बमोरी में बीजेपी 27 हजार 920 मतों से हारी थी, निर्दलीय प्रत्याशी केएल अग्रवाल को 28 हजार 488 मत मिले थे.
  • सुवासरा में बीजेपी 350 वोटों से हारी, जबकि निर्दलीय ओम सिंह भाटी को 10 हजार 273 वोट मिले थे.
  • जोरा में बीजेपी को 15 हजार 171 मतों से हारी थी, जबकि बीएसपी को 41 हजार 014 वोट मिले थे.
  • नेपानगर में बीजेपी 1 हजार 264 मतों से हारी थी और बीएसपी को 2 हजार 918 वोट मिले थे.

बीजेपी का दावा

हालांकि बीजेपी का कहना है कि, पिछले साल की परिस्थितियां अलग थीं उस वक्त बीएसपी के चलते भारतीय जनता पार्टी को जरूर नुकसान हुआ था, लेकिन मौजूदा सरकार ने जितना काम ग्वालियर- चंबल की जनता के लिए किया है, जो विकास के दरवाजे भारतीय जनता पार्टी ने खोले हैं, उसका फायदा पार्टी को होगा.

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि, भले ही उपचुनाव की तारीख का एलान नहीं हुआ है, लेकिन आकलन और अटकलों का दौर जारी है और सबसे बड़ा सवाल है, बीएसपी की उपस्थिति. क्योंकि पिछले 2018 विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल में बहुजन समाज पार्टी की उपस्थिति से सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय जनता पार्टी को हुआ था. हालांकि उस समय की परिस्थितियां अलग थीं, उस समय दलित आंदोलन, एससी एसटी एक्ट को लेकर आंदोलन था. आंदोलन में कई लोगों की मौत भी हुई थी, जिसका खामियाजा सरकार को उनकी नाराजगी झेल कर करना पड़ा और ग्वालियर चंबल से बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था और बीएसपी ने सबसे ज्यादा भारतीय जनता पार्टी का खेल खराब किया था. लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं. अब संभावना है कि, इस बार बीएसपी कांग्रेस का खेल बिगाड़ेगी. इसका एक प्रमुख कारण बीएसपी नेता फूल सिंह बरैया के कांग्रेस का दामन थामने को लेकर भी है, जिसके कारण बसपा सुप्रीमो मायावती भी नाराज हैं और इस बार फूल सिंह बरैया कांग्रेसी प्रत्याशी हैं.

कांग्रेस ने साधा निशाना

कांग्रेस प्रवक्ता सिद्धार्थ राजावत का कहना है की, '2018 विधानसभा चुनाव भी जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया था और ग्वालियर चंबल में एकतरफा कांग्रेस की जीत हुई थी. जिस तरीके से ज्योतिरादित्या सिंधिया ने अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ विश्वासघात किया है. ऐसे में कहीं ना कहीं इन विश्वासघाती नेताओं को जनता करारा जवाब देगी, तो इस बार भी उम्मीद है कि, जनता कांग्रेस के साथ होगी'. तो वही बीएसपी पर वोट बैंक का खेल बिगाड़ने को लेकर राजावत का कहना है कि, 'मौजूदा समय में भी बहुजन समाज पार्टी के कई बड़े पदाधिकारी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और आने वाले समय में भी कई लोग कांग्रेस का दामन थामेंगे, ऐसे में इस बार बीजेपी का फिर से सूपड़ा साफ होगा'.

भोपाल। मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिनमें 16 सीट ग्वालियर चंबल से आती हैं. इन सीटों को जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में इन 28 में से 27 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई थी. इन सीटों पर बीजेपी की हार का कारण बहुजन समाज पार्टी बनी थी. 27 में से 11 सीटों पर बीएसपी के कारण बीजेपी की हार हुई थी.

दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 9 सीटों पर जीती थी. वहीं बसपा और निर्दलीय से 11 सीटों पर बीजेपी की हार हुई थी और 27 विधानसभा सीटों में से 26 सीटें कांग्रेस ने जीती थी. सिर्फ एक ही सीट भारतीय जनता पार्टी के पाले में गई थी. शायद यही वजह है कि, यह उपचुनाव पिछले मुख्य चुनाव से ज्यादा कठिन और दिलचस्प होने वाला है. कांग्रेस की बात करें तो 2018 में 9 सीटों पर 18-19 हजार वोटों से कम के अंतर से जीत हासिल की थी. अब यही सीटें पार्टी के लिए चुनौती बनी हुई हैं, तो वहीं 11 सीटें बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय उतरे और बसपा या अन्य दल के उम्मीदवारों ने कांग्रेस की झोली में डाल दी थी और बीजेपी की बुरी तरीके से शिकस्त हुई थी.

उपचुनाव में BSP बिगड़ सकती है समीकरण

2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ये थी स्थिति

  • मेहगांव में बीजेपी 25 हजार 814 मतों से हारी, जबकि बहुजन संघर्ष पार्टी को 28 हजार160 वोट मिले थे.
  • मुरैना में बीजेपी 20 हजार 84 9 मतों से हारी ,जबकि BSP को 21 हजार149 और आम आदमी पार्टी को 7 हजार160 वोट मिले थे.
  • करैरा में बीजेपी को 14 हजार 824 मतों से हार मिली थी, जबकि बीएसपी को 40 हजार 26 वोट मिले थे.
  • पोहरी में बीजेपी तीसरे नंबर पर रही, कांग्रेस को 7 हजार 918 मत मिले थे. वहीं बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली थी.
  • सुमावली में बीजेपी को 13 हजार 313 मतों से हार मिली थी, जबकि बीएसपी को 31 हजार 331 वोट मिले थे.
  • मुंगावली में बीजेपी 2,127 मतों से हारी थी, जबकि बीएसपी को 14 हजार 202 वोट मिले थे.
  • अंबाह में बीजेपी 7 हजार 547 मतों से हारी, बीएसपी को 22 हजार 179 मत मिले थे.
  • बमोरी में बीजेपी 27 हजार 920 मतों से हारी थी, निर्दलीय प्रत्याशी केएल अग्रवाल को 28 हजार 488 मत मिले थे.
  • सुवासरा में बीजेपी 350 वोटों से हारी, जबकि निर्दलीय ओम सिंह भाटी को 10 हजार 273 वोट मिले थे.
  • जोरा में बीजेपी को 15 हजार 171 मतों से हारी थी, जबकि बीएसपी को 41 हजार 014 वोट मिले थे.
  • नेपानगर में बीजेपी 1 हजार 264 मतों से हारी थी और बीएसपी को 2 हजार 918 वोट मिले थे.

बीजेपी का दावा

हालांकि बीजेपी का कहना है कि, पिछले साल की परिस्थितियां अलग थीं उस वक्त बीएसपी के चलते भारतीय जनता पार्टी को जरूर नुकसान हुआ था, लेकिन मौजूदा सरकार ने जितना काम ग्वालियर- चंबल की जनता के लिए किया है, जो विकास के दरवाजे भारतीय जनता पार्टी ने खोले हैं, उसका फायदा पार्टी को होगा.

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि, भले ही उपचुनाव की तारीख का एलान नहीं हुआ है, लेकिन आकलन और अटकलों का दौर जारी है और सबसे बड़ा सवाल है, बीएसपी की उपस्थिति. क्योंकि पिछले 2018 विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल में बहुजन समाज पार्टी की उपस्थिति से सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय जनता पार्टी को हुआ था. हालांकि उस समय की परिस्थितियां अलग थीं, उस समय दलित आंदोलन, एससी एसटी एक्ट को लेकर आंदोलन था. आंदोलन में कई लोगों की मौत भी हुई थी, जिसका खामियाजा सरकार को उनकी नाराजगी झेल कर करना पड़ा और ग्वालियर चंबल से बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था और बीएसपी ने सबसे ज्यादा भारतीय जनता पार्टी का खेल खराब किया था. लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं. अब संभावना है कि, इस बार बीएसपी कांग्रेस का खेल बिगाड़ेगी. इसका एक प्रमुख कारण बीएसपी नेता फूल सिंह बरैया के कांग्रेस का दामन थामने को लेकर भी है, जिसके कारण बसपा सुप्रीमो मायावती भी नाराज हैं और इस बार फूल सिंह बरैया कांग्रेसी प्रत्याशी हैं.

कांग्रेस ने साधा निशाना

कांग्रेस प्रवक्ता सिद्धार्थ राजावत का कहना है की, '2018 विधानसभा चुनाव भी जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया था और ग्वालियर चंबल में एकतरफा कांग्रेस की जीत हुई थी. जिस तरीके से ज्योतिरादित्या सिंधिया ने अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ विश्वासघात किया है. ऐसे में कहीं ना कहीं इन विश्वासघाती नेताओं को जनता करारा जवाब देगी, तो इस बार भी उम्मीद है कि, जनता कांग्रेस के साथ होगी'. तो वही बीएसपी पर वोट बैंक का खेल बिगाड़ने को लेकर राजावत का कहना है कि, 'मौजूदा समय में भी बहुजन समाज पार्टी के कई बड़े पदाधिकारी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और आने वाले समय में भी कई लोग कांग्रेस का दामन थामेंगे, ऐसे में इस बार बीजेपी का फिर से सूपड़ा साफ होगा'.

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