भोपाल। बागेश्वर धाम के महाराज धीरेन्द्र शास्त्री का फिर एक बार बड़ा बयान सामने आया है. इसमें वह कह रहे हैं कि, गरीब हमेशा ताली बजाने के काम आता है. बहुत कड़वी बात है, लेकिन क्या बताएं हमारी भी मजबूरी है. बागेश्वर धाम ने हांलाकि ये स्पष्टीकरण भी दिया कि पंडाल लगते रहें चार पांच लाख लोगों को भला हो इसलिए वो ऐसा करते हैं. लेकिन संत समाज की ओर से उनके इस बयान आपर आपत्ति आई है. अखिल भारतीय संत समिति के प्रदेश प्रवक्ता उदासीन अखाड़े के महंत अनिलानंद महाराज ने कहा कि संत के मुख से भेद की वाणी तो निकलनी ही नहीं चाहिए. जीवों के बीच फर्क का व्यवहार तो बहुत दूर की बात है. उन्होंने कहा कि, अगर बागेश्वर धाम ने ऐसा कहा है तो उन्होने हिंदू समाज को बांटने का काम किया है.
धीरेन्द्र शास्त्री के बयान पर उठा बवाल: बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री की कथा का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है उसमें वे कहते हैं कि, हम बहुत उल्टे आदमी हैं. वे कहते हैं हमारे मंच पर वही आते है जो नेता हों अभिनेता हों या रुपए पैसे वाले हों. उन्हें मंच पर बुलाना पड़ता है. उन्होंने इसी बयान में ये भी कहा कि गरीब आदमी का इस्तेमाल केवल ताली बजवाने के लिए होता है. धीरेन्द्र शास्त्री ने फिर इसका स्पष्टीकरण भी दिया और कहा कि हम सोचते हैं कि अगर इन अमीर लोगों को नहीं बुलाएंगे तो ये पंडाल कौन सजाएगा. अगर उनको बुलाने से चार पांच लोंगो को बाला जी की कथा का लाभ मिल जाता है तो दस मिनिट देने में घाटा कहां है.
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संत समिति का जवाब: अखिल भारतीय संत समिति के प्रदेश प्रवक्ता उदासीन अखाड़े के मंहत अनिलानंद महाराज ने इस पर एतराज जताते हुए कहा कि, अगर बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री महाराज ने ऐसा कहा हैं कि, तो ये उचित नहीं है. संत के लिए तो सारे जीव एक समान हैं. फिर अमीर गरीब का तो प्रश्न ही नहीं उठता. संत का काम साधना करना है और आर्शीवाद से समाज का कल्याण करना है. क्या सूर्य भगवान अपना प्रकाश अमीर के घर कम और गरीब के घर ज्यादा देते हैं. चाहे धीरेन्द्र शास्त्री महाराज ने स्पष्टीकरण दिया हो, लेकिन संत के मुख से निकले ऐसे बयान हिंदू समाज को बांटने का काम करते हैं . हम इसकी अवेहलना करते हैं.