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आशा कार्यकर्ताओं को नहीं दिया गया कोरोना से बचाव के लिए सुरक्षा उपकरण, ऐसे करती हैं काम

प्रदेश में करीब 75 हजार आशा कार्यकर्ता काम कर रही हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर शासन की ओर से कोई भी सुविधा नहीं दी गई है, आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि हम इस वक्त सरकार की मदद कर रहे हैं, लेकिन चाहते हैं कि हमारी सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर हमें भी सुविधाएं दे.

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डोर टू डोर सर्वे
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Published : Apr 12, 2020, 8:03 PM IST

भोपाल। कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रदेश में आशा कार्यकर्ता डोर टू डोर सर्वे कर रही हैं. यह कार्यकर्ता खासतौर पर प्रदेश के गांवों में जाकर लोगों को इसके लिए जागरूक कर रही हैं आशा कार्यकर्ता लोगों को बता रहे हैं कि कोरोना वायरस से कैसे बचाव किया जा सकता है, उसके क्या लक्षण है और किस तरीके से हमें साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए. इसके साथ ही यदि कोई व्यक्ति बाहर से गांव में आ रहा है तो उसके घर पर जाकर क्वारेंटाइन का पोस्टर चिपकाना, उसे 14 दिन के लिए घर में रहने की हिदायत देना ये काम भी कार्यकर्ता कर रही हैं. और यदि इस बीच किसी की तबीयत खराब होती है तो उसे दवाइयां भी उपलब्ध करा रही हैं.

डोर टू डोर सर्वे

प्रदेश में आशा कार्यकर्ताओं की कार्य स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए आशा कार्यकर्ता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव का कहना है कि, आशा कार्यकर्ता ना केवल घर-घर जाकर लोगों का सर्वे कर रहे हैं, बल्कि कोरोना वायरस के बारे में गांव वालों को जागरुक भी कर रहे हैं, साथ ही दीवारों पर संदेश लिखना, पोस्टर चिपकाना जैसे काम भी कर रहे हैं. सर्वे के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को रोजाना कई लोगों से मिलना पड़ रहा है, लेकिन ऐसी स्थिति में भी शासन की तरफ से सुरक्षा उपकरण मुहैया नहीं कराया गया है. विभा श्रीवास्तव ने कहा कि ना तो पर्याप्त मास्क दिए गए हैं, ना ही सैनिटाइजर और न ही हैंड ग्लव्स दिए गए हैं.

वहीं विभा श्रीवास्तव ये भी कहा कि आशा कार्यकर्ताओं को खुद मास्क बनाकर पहनना होता है. साथ ही अपने बैग में साबुन रखना होता है, और लोगों को साफ-सफाई के प्रति ध्यान दिलाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि शासन से मांग की है कि आशा कार्यक्ताओँ को सुरक्षा के जरूरी उपकरण उपलब्ध कराए जाएं, लेकिन अब किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.

बता दें कि प्रदेश में करीब 75 हजार आशा कार्यकर्ता काम कर रही हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर शासन की ओर से कोई भी सुविधा नहीं दी गई है। आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि हम इस वक्त सरकार की मदद कर रहे हैं, लेकिन चाहते हैं कि हमारी सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर हमें भी सुविधाएं दी जाये.

भोपाल। कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रदेश में आशा कार्यकर्ता डोर टू डोर सर्वे कर रही हैं. यह कार्यकर्ता खासतौर पर प्रदेश के गांवों में जाकर लोगों को इसके लिए जागरूक कर रही हैं आशा कार्यकर्ता लोगों को बता रहे हैं कि कोरोना वायरस से कैसे बचाव किया जा सकता है, उसके क्या लक्षण है और किस तरीके से हमें साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए. इसके साथ ही यदि कोई व्यक्ति बाहर से गांव में आ रहा है तो उसके घर पर जाकर क्वारेंटाइन का पोस्टर चिपकाना, उसे 14 दिन के लिए घर में रहने की हिदायत देना ये काम भी कार्यकर्ता कर रही हैं. और यदि इस बीच किसी की तबीयत खराब होती है तो उसे दवाइयां भी उपलब्ध करा रही हैं.

डोर टू डोर सर्वे

प्रदेश में आशा कार्यकर्ताओं की कार्य स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए आशा कार्यकर्ता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव का कहना है कि, आशा कार्यकर्ता ना केवल घर-घर जाकर लोगों का सर्वे कर रहे हैं, बल्कि कोरोना वायरस के बारे में गांव वालों को जागरुक भी कर रहे हैं, साथ ही दीवारों पर संदेश लिखना, पोस्टर चिपकाना जैसे काम भी कर रहे हैं. सर्वे के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को रोजाना कई लोगों से मिलना पड़ रहा है, लेकिन ऐसी स्थिति में भी शासन की तरफ से सुरक्षा उपकरण मुहैया नहीं कराया गया है. विभा श्रीवास्तव ने कहा कि ना तो पर्याप्त मास्क दिए गए हैं, ना ही सैनिटाइजर और न ही हैंड ग्लव्स दिए गए हैं.

वहीं विभा श्रीवास्तव ये भी कहा कि आशा कार्यकर्ताओं को खुद मास्क बनाकर पहनना होता है. साथ ही अपने बैग में साबुन रखना होता है, और लोगों को साफ-सफाई के प्रति ध्यान दिलाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि शासन से मांग की है कि आशा कार्यक्ताओँ को सुरक्षा के जरूरी उपकरण उपलब्ध कराए जाएं, लेकिन अब किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.

बता दें कि प्रदेश में करीब 75 हजार आशा कार्यकर्ता काम कर रही हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर शासन की ओर से कोई भी सुविधा नहीं दी गई है। आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि हम इस वक्त सरकार की मदद कर रहे हैं, लेकिन चाहते हैं कि हमारी सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर हमें भी सुविधाएं दी जाये.

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