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पूर्व नेताप्रतिपक्ष ने वेयरहाउस मालिकों के हक में उठाई अवाज, सुखात छूट 6 प्रतिशत करने की मांग

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह ने प्रदेश की शिवराज सरकार पर वेयर हाउस मालिकों के साथ शोषण करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि भाजपा की जो केंद्र सरकार निजी वेयर हाउस बनाने के लिए 33 प्रतिशत सब्सिडी और तीन प्रतिशत ब्याज में छूट दे रही है, उसी पार्टी की मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार वेयर हाउस मालिकों का शोषण कर रही है. पढ़िए पूरी खबर...

Former Leader of Opposition Ajay Singh
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह
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Published : Sep 11, 2020, 1:31 AM IST

भोपाल। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने प्रदेश के निजी वेयरहाउस मालिकों को राहत देने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि एक तरफ मोदी सरकार भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए वेयरहाउस बनाने पर 33 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है और दूसरी तरफ मध्य प्रदेश सरकार वेयरहाउस मालिकों का शोषण करने का काम कर रही है. उन्होंने शिवराज सरकार से मांग की है कि वेयरहाउस मालिकों का किराया लंबे समय से लंबित है, इसलिए उनका तत्काल भुगतान किया जाए, ताकि वो एनपीए न हो सके. उन्होंने छूट 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 या 6 प्रतिशत करने की मांग की है. साथ ही उन्होंने भंडारण के लिए जारी किए गए कूट रचित आदेश को निरस्त करने की मांग की है.

अजय सिंह ने कहा है कि सरकार की षड्यंत्रकारी नीति और निर्देशों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के सभी छोटे-छोटे भंडार मालिक कोरोना संक्रमण काल में पूरी तरह टूट जाएंगे. महीनों से उनके किराए का भुगतान लंबित पड़ा है. इनके गोदामों में जनवरी से हजारों क्विंटल धान रखी है. अब यह धान काफी सूख गई है और सुखात प्रतिशत 5 से 6 प्रतिशत आ गया है, लेकिन शासन ने केवल 2 प्रतिशत की छूट दी है. इस संबंध में उनके संघ ने प्रमुख सचिव से मिलकर शासन को ज्ञापन भी दिया है.

कलेक्टर की कार्यशैली पर खड़े किए सवाल

अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन के तत्कालीन एमडी अविनाश लवानिया ने 25 मई को अनाज के भंडारण के लिए एक अव्यावहारिक आदेश पूरे प्रदेश के लिए जारी किया था. उन्होंने प्राथमिकता क्रम बनाते हुए निर्देश दिए थे कि उपार्जन का अनाज पहले साइलो कैप में रखा जाए. उसके बाद सरकारी गोदामों में रखा जाए और क्षमता समाप्त होने के बाद निजी गोदामों में अनाज का भंडारण किया जाए, जबकि होना यह चाहिए था कि पहले सरकारी और फिर निजी गोदामों में अनाज का भंडारण किया जाए और तीसरे क्रम पर साइलो कैप में अनाज रखा जाए. साइलो कैप में खुले में रखा ऊपर का 30 प्रतिशत अनाज बरसात के समय नमी से खराब होकर सड़ जाता है. उन्होंने कहा कि यहीं से भ्रष्टाचार का खेल शुरू होता है. अनाज को पूरा खराब होना बताकर सस्ते में व्यापारियों को बेच दिया जाता है. यही अनाज प्रोसेस होकर पीडीएस के माध्यम से गरीबों में बांटा जाता है. यह सब भाजपा सरकार के संरक्षण में कूट रचित योजना के तहत किया जा रहा है. पता नहीं अविनाश लावनिया ने यह दोषपूर्ण निर्देश किस मंत्री के कहने पर जारी किए थे. वैसे तथाकथित मंत्री से उनकी रिश्तेदारी जगजाहिर है.

जांच की मांग
अजय सिंह ने इस पूरे प्रकरण की जांच की मांग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से करते हुए कहा है कि खरीफ की फसल की आवक से पहले भंडारण का यह दोषपूर्ण आदेश जनहित में तत्काल निरस्त किया जाए. साथ ही निजी भंडार गृह मालिकों को धान सुखात छूट 5 या 6 प्रतिशत देते हुए उन्हें लंबित किराए का भुगतान तत्काल किया जाए.

भोपाल। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने प्रदेश के निजी वेयरहाउस मालिकों को राहत देने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि एक तरफ मोदी सरकार भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए वेयरहाउस बनाने पर 33 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है और दूसरी तरफ मध्य प्रदेश सरकार वेयरहाउस मालिकों का शोषण करने का काम कर रही है. उन्होंने शिवराज सरकार से मांग की है कि वेयरहाउस मालिकों का किराया लंबे समय से लंबित है, इसलिए उनका तत्काल भुगतान किया जाए, ताकि वो एनपीए न हो सके. उन्होंने छूट 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 या 6 प्रतिशत करने की मांग की है. साथ ही उन्होंने भंडारण के लिए जारी किए गए कूट रचित आदेश को निरस्त करने की मांग की है.

अजय सिंह ने कहा है कि सरकार की षड्यंत्रकारी नीति और निर्देशों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के सभी छोटे-छोटे भंडार मालिक कोरोना संक्रमण काल में पूरी तरह टूट जाएंगे. महीनों से उनके किराए का भुगतान लंबित पड़ा है. इनके गोदामों में जनवरी से हजारों क्विंटल धान रखी है. अब यह धान काफी सूख गई है और सुखात प्रतिशत 5 से 6 प्रतिशत आ गया है, लेकिन शासन ने केवल 2 प्रतिशत की छूट दी है. इस संबंध में उनके संघ ने प्रमुख सचिव से मिलकर शासन को ज्ञापन भी दिया है.

कलेक्टर की कार्यशैली पर खड़े किए सवाल

अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन के तत्कालीन एमडी अविनाश लवानिया ने 25 मई को अनाज के भंडारण के लिए एक अव्यावहारिक आदेश पूरे प्रदेश के लिए जारी किया था. उन्होंने प्राथमिकता क्रम बनाते हुए निर्देश दिए थे कि उपार्जन का अनाज पहले साइलो कैप में रखा जाए. उसके बाद सरकारी गोदामों में रखा जाए और क्षमता समाप्त होने के बाद निजी गोदामों में अनाज का भंडारण किया जाए, जबकि होना यह चाहिए था कि पहले सरकारी और फिर निजी गोदामों में अनाज का भंडारण किया जाए और तीसरे क्रम पर साइलो कैप में अनाज रखा जाए. साइलो कैप में खुले में रखा ऊपर का 30 प्रतिशत अनाज बरसात के समय नमी से खराब होकर सड़ जाता है. उन्होंने कहा कि यहीं से भ्रष्टाचार का खेल शुरू होता है. अनाज को पूरा खराब होना बताकर सस्ते में व्यापारियों को बेच दिया जाता है. यही अनाज प्रोसेस होकर पीडीएस के माध्यम से गरीबों में बांटा जाता है. यह सब भाजपा सरकार के संरक्षण में कूट रचित योजना के तहत किया जा रहा है. पता नहीं अविनाश लावनिया ने यह दोषपूर्ण निर्देश किस मंत्री के कहने पर जारी किए थे. वैसे तथाकथित मंत्री से उनकी रिश्तेदारी जगजाहिर है.

जांच की मांग
अजय सिंह ने इस पूरे प्रकरण की जांच की मांग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से करते हुए कहा है कि खरीफ की फसल की आवक से पहले भंडारण का यह दोषपूर्ण आदेश जनहित में तत्काल निरस्त किया जाए. साथ ही निजी भंडार गृह मालिकों को धान सुखात छूट 5 या 6 प्रतिशत देते हुए उन्हें लंबित किराए का भुगतान तत्काल किया जाए.

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