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कांग्रेस में वापसी के बाद ETV भारत से बोली पारुल साहू, 'बुंदेलखंड और सुरखी की महिलाओं का सम्मान सबसे अहम'

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Published : Sep 18, 2020, 1:15 PM IST

बीजेपी की पूर्व विधायक पारुल साहू आज कांग्रेस में शामिल हो गयी. माना जा रहा वे सुरखी विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकिट पर राज्सव एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने पारुल साहू को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई. घर वापसी के बाद पारुल साहू ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

Parul Sahu talks to ETV bharat
पारुल साहू ने की ईटीवी भारत से की बातचीत

भोपाल। मध्यप्रदेश होने वाले उपचुनाव को लेकर प्रदेश में जोड़ तोड़ की राजनीति जारी है. आज कांग्रेस ने बीजेपी एक झटका और दिया. बीजेपी की पूर्व विधायक पारुल साहू कांग्रेस में शामिल हो गयी. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने उन्हें कांग्रेस की सदस्यता दिलाई. कांग्रेस का दामन थामने के बाद पारुल साहू ने ईटीवी भारत खास बातचीत. पारुल साहू ने कहा कि मैंने सुरखी की जनता के लिए घर वापसी की है. उनका कहना है कि बीजेपी में इस वक्त डर, अन्याय और अहंकार की राजनीति पनप रही है. जिससे लड़ना जरुरी है.

पारुल साहू ने की ईटीवी भारत से की बातचीत

पूर्व विधायक पारुल साहू ने कहा कि सुरखी विधानसभा क्षेत्र को उन्होंने अपना परिवार माना है. इसलिए सुरखी विधानसभा क्षेत्र की जनता की आवाज उठाना उन्होंने जरुरी समझा. इस वक्त जो डर, अन्याय और अहंकार की राजनीति पनप रही है. उसके खिलाफ वह सुरखी की जनता की लड़ाई लड़ेंगी. क्योंकि जनता की आवाज उठाना ही उनका पहला काम है.

महिलाओं के सम्मान सबसे अहम

गोविंद सिंह राजपूत ने एक बार पारुल साहू पर अभद्र टिप्पणी की थी. इस सवाल पर उन्होनें कहा कि इस वक्त वह पूरे बुंदेलखंड की महिलाओं को संदेश देना चाहती है कि अगर कोई महिला आगे बढ़ती है, तो किसी भी व्यक्ति को अधिकार नहीं है कि किसी भी महिला का अपमान करें. इसलिए वह आज पूरे बुदेलखंड और सुरखी विधानसभा क्षेत्र की महिलाओं के सम्मान के लिए खड़ी हुई है. क्योंकि महिलाओं का सम्मान सबसे अहम है.

बुंदेलखंड की जनता देंगी उपचुनाव में जवाब

पारुल साहू का कहना है कि उन्होंने पांच सालों तक विधायक रहते कभी किसी का नाम नहीं लिया, अपमान तो दूर की बात है. पूरी महिलाओं के लिए और उनके स्वाभिमान के लिए मैं अगर एक कदम पीछे उठाती, तो मुझे लगता कि वह सभी महिलाएं पीछे हो जाएंगी. यह बुंदेलखंड की समस्त महिलाओं के लिए मैंने निर्णय लिया है कि इस बार बुंदेलखंड की महिलाएं जवाब देंगी कि जो व्यक्ति महिलाओं का सम्मान करना नहीं जानता है और अपमान करता है. तो इस बार उन्हें बुंदेलखंड और सुरखी की महिलाएं उसे जवाब देंगी.

जनता का फैसला होगा सर्वोपरि

सुरखी विधानसभा और विशेष राजनीतिक परिस्थितियों में हो रहे उपचुनाव के मुद्दे पर बात करते हुए पारुल साहू ने कहा कि मीडिया और जनता से कुछ छुपा नहीं है. 2020 में जो घटनाक्रम हुआ है, जो अन्याय सुरखी विधानसभा में हुआ है. वही सबसे बड़ा मुद्दा है. मैं पूरा निर्णय जनता पर छोड़ती हूं कि जिस तरह का माहौल बना हुआ है. वह सब जानते हैं और देख रहे हैं. सब के पास विवेक है, अब जनता ही निर्णय लेगी.

पारुल साहू के पिता रह चुके है कांग्रेस से विधायक

पारुल साहू के पिता कांग्रेस के पूर्व विधायक रह चुके हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में टिकिट नहीं मिलने की वजह से वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. जहां बीजेपी ने 2013 के विधानसभा चुनाव में पारुल साहू को टिकिट दिया था. उस वक्त उन्होंने कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत को चुनाव हराया था. लेकिन अब परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी है. गोविंद सिंह राजपूत बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और शिवराज सरकार में मंत्री है. तो वही पारुल साहू ने कांग्रेस में घर वापसी कर ली है. जिससे सुरखी में होना वाला उपचुनाव रोचक हो सकता है.

भोपाल। मध्यप्रदेश होने वाले उपचुनाव को लेकर प्रदेश में जोड़ तोड़ की राजनीति जारी है. आज कांग्रेस ने बीजेपी एक झटका और दिया. बीजेपी की पूर्व विधायक पारुल साहू कांग्रेस में शामिल हो गयी. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने उन्हें कांग्रेस की सदस्यता दिलाई. कांग्रेस का दामन थामने के बाद पारुल साहू ने ईटीवी भारत खास बातचीत. पारुल साहू ने कहा कि मैंने सुरखी की जनता के लिए घर वापसी की है. उनका कहना है कि बीजेपी में इस वक्त डर, अन्याय और अहंकार की राजनीति पनप रही है. जिससे लड़ना जरुरी है.

पारुल साहू ने की ईटीवी भारत से की बातचीत

पूर्व विधायक पारुल साहू ने कहा कि सुरखी विधानसभा क्षेत्र को उन्होंने अपना परिवार माना है. इसलिए सुरखी विधानसभा क्षेत्र की जनता की आवाज उठाना उन्होंने जरुरी समझा. इस वक्त जो डर, अन्याय और अहंकार की राजनीति पनप रही है. उसके खिलाफ वह सुरखी की जनता की लड़ाई लड़ेंगी. क्योंकि जनता की आवाज उठाना ही उनका पहला काम है.

महिलाओं के सम्मान सबसे अहम

गोविंद सिंह राजपूत ने एक बार पारुल साहू पर अभद्र टिप्पणी की थी. इस सवाल पर उन्होनें कहा कि इस वक्त वह पूरे बुंदेलखंड की महिलाओं को संदेश देना चाहती है कि अगर कोई महिला आगे बढ़ती है, तो किसी भी व्यक्ति को अधिकार नहीं है कि किसी भी महिला का अपमान करें. इसलिए वह आज पूरे बुदेलखंड और सुरखी विधानसभा क्षेत्र की महिलाओं के सम्मान के लिए खड़ी हुई है. क्योंकि महिलाओं का सम्मान सबसे अहम है.

बुंदेलखंड की जनता देंगी उपचुनाव में जवाब

पारुल साहू का कहना है कि उन्होंने पांच सालों तक विधायक रहते कभी किसी का नाम नहीं लिया, अपमान तो दूर की बात है. पूरी महिलाओं के लिए और उनके स्वाभिमान के लिए मैं अगर एक कदम पीछे उठाती, तो मुझे लगता कि वह सभी महिलाएं पीछे हो जाएंगी. यह बुंदेलखंड की समस्त महिलाओं के लिए मैंने निर्णय लिया है कि इस बार बुंदेलखंड की महिलाएं जवाब देंगी कि जो व्यक्ति महिलाओं का सम्मान करना नहीं जानता है और अपमान करता है. तो इस बार उन्हें बुंदेलखंड और सुरखी की महिलाएं उसे जवाब देंगी.

जनता का फैसला होगा सर्वोपरि

सुरखी विधानसभा और विशेष राजनीतिक परिस्थितियों में हो रहे उपचुनाव के मुद्दे पर बात करते हुए पारुल साहू ने कहा कि मीडिया और जनता से कुछ छुपा नहीं है. 2020 में जो घटनाक्रम हुआ है, जो अन्याय सुरखी विधानसभा में हुआ है. वही सबसे बड़ा मुद्दा है. मैं पूरा निर्णय जनता पर छोड़ती हूं कि जिस तरह का माहौल बना हुआ है. वह सब जानते हैं और देख रहे हैं. सब के पास विवेक है, अब जनता ही निर्णय लेगी.

पारुल साहू के पिता रह चुके है कांग्रेस से विधायक

पारुल साहू के पिता कांग्रेस के पूर्व विधायक रह चुके हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में टिकिट नहीं मिलने की वजह से वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. जहां बीजेपी ने 2013 के विधानसभा चुनाव में पारुल साहू को टिकिट दिया था. उस वक्त उन्होंने कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत को चुनाव हराया था. लेकिन अब परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी है. गोविंद सिंह राजपूत बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और शिवराज सरकार में मंत्री है. तो वही पारुल साहू ने कांग्रेस में घर वापसी कर ली है. जिससे सुरखी में होना वाला उपचुनाव रोचक हो सकता है.

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