भोपाल। मध्य प्रदेश में प्रदेशव्यापी गिद्ध गणना की शुरूआत वर्ष 2015 से की गई थी. जिसमें 7028 गिद्धों का आकलन किया गया. पिछले साल गिद्ध गणना 2019 में 8397 गिद्धों थे. गिद्ध गणना का कार्य 2 चरणों में होता है. प्रथम चरण अक्टूबर-नवंबर माह में और द्वितीय चरण जनवरी-फरवरी माह में आयोजित किया जाता है.
- दो चरणों में होगी गिद्दों की गणना
इस बार प्रथम चरण में 21-30 नवंबर तक प्रदेश के विभिन्न वन क्षेत्रों एवं अन्य स्थानों पर गिद्धों के घोसलों को चिंहित किया गया. जिसकी जानकारी वन विहार राष्ट्रीय उद्यान द्वारा संकलित की गई. प्रथम चरण की गणना में 1550 घोसलें 41 वन मंडलों एवं 8 संरक्षित क्षेत्रों में प्रतिभागियों ने चिंहित किए. गणना के द्वितीय और अंतिम चरण के पहले पूरे प्रदेश के 12 स्थलों पर कर्मचारियों और अधिकारियों को डब्लूडब्लूएफ डब्लू आई और बीएनएचएस के तकनीकी विशेषज्ञ, अनुभवी रिसोर्स पर्सन एवं अन्य स्थानीय विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण दिया.
- मध्य प्रदेश में कुल 7 प्रजातियों के गिद्ध
मध्यप्रदेश में गिद्धों की 4 प्रजातियों स्थानीय है और 03 प्रजातियां प्रवासी है. जो ठंड के समाप्त होते ही वापस चली जाती है. प्रथम चरण की गणना तब की जाती है जब उपरोक्त सभी प्रजातियों के गिद्ध घोसलें बनाकर अपने अंड़े दे चुके होते हैं या देने की तैयारी में होते हैं. इसी प्रकार फरवरी माह आने तक इन घोसलों में अंडों से नवजात गिद्ध निकल चुके होते है. इसलिए गणना करने हेतु शीत ऋतु का अंतिम समय उचित होता है.
- घोसलों के नजदीक बैठे गिद्ध की होगी गणना
गिद्धों की गणना के लिये गणनाकर्मी एवं स्वयंसेवक आदि सूर्योदय के तत्काल बाद प्रथम चरण में चयनित गिद्धों के घोसलों के समीप पहुंच जाएंगे. घोसलों के आसपास बैठे गिद्धों एवं उनके नवजातों की गणना करेंगे. गणना के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि केवल आवास स्थलों पर बैठे हुए गिद्धों को ही गणना में लिया जाए. उड़ते हुए गिद्धों को गणना में नहीं लिया जाता है.