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MP News: आदिपुरुष कॉन्ट्रोवर्सी के बीच सेंसर बोर्ड के मेंबर का बयान,जो देखना चाहेंगे, वही दिखाएंगे - Vani Tripathi talk to ETV bharat

सेंसर बोर्ड की सदस्य और फिल्म प्रोड्यूसर वाणी त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से बातचीत की. बातचीत में सेंसर बोर्ड की भूमिका और चल रहे फिल्मों के विवाद पर अपनी बात रखी.

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सेंसर बोर्ड के मेंबर
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Published : Jun 22, 2023, 10:29 PM IST

सेंसर बोर्ड की मेंबर वाणी त्रिपाठी ने की ईटीवी भारत से बात

भोपाल। फिल्म मेकिंग को फिल्मकारों के लिए आसान बनाने में मध्यप्रदेश एक अग्रणी राज्य बनता जा रहा है. फिल्म शूटिंग परमिशन को लोक सेवा गारंटी एक्ट के अंतर्गत मात्र 15 दिन में प्रदाय करने के साथ इमरजेंसी में ऑफलाइन परमिशन भी जारी किए जाने की सुविधा भी यहां है. फॉरेन प्रोडक्शन हाउस भी इतनी ही आसानी के साथ सीधे मध्यप्रदेश आकर फिल्म की शूटिंग कर सकता है. प्रदेश में शूटिंग, अधोसंरचना विकास में निवेश एवं स्थानीय कलाकारों की भागीदारी के अवसरों को तलाशने के लिए प्रसिद्ध प्रोडक्शन हाउस के प्रतिनिधि, प्रोड्यूसर, डायरेक्ट और एक्टर्स का दल भोपाल आया हुआ है.

किसी वर्ग समुदाय की भावन न हो आहत: प्रसिद्ध प्रोड्युसर एवं एक्टर और सेंसर बोर्ड की मेंबर वाणी त्रिपाठी टीकू ने ETV भारत संवाददाता आदर्श चौरसिया से खास बातचीत की. आदिपुरुष को लेकर जिस तरह से कॉन्ट्रोवर्सी चल रही है और तमाम जगह इसका विरोध हो रहा है. इसको लेकर वाणी ने फिल्म का नाम तो नहीं लिया, लेकिन सेंसर बोर्ड के सदस्य होने के नाते यह जरूर कहा कि जिस तरह से फिल्मों का बायकॉट और कॉन्ट्रोवर्सी की बात सामने आती है. उसको देखते हुए यह इसलिए हो रहा है, क्योंकि जब दर्शक अपनी जेब ढीली कर सिनेमा खिड़की तक जाएगा और उसे वह चीज नहीं मिलेगी, तो इस तरह का विरोध जरूर होगा. यहां वाणी ने फिल्मीकरों को सलाह देते हुए कहा कि कोई दृश्य किसी वर्ग, समुदाय को आहत करती है तो ऐसा विरोध होता है. इसलिए जिम्मेदारी निर्माता और फिल्मेकर्स की है, कि ऐसे दृश्य और पटकथा का ध्यान रखे कि किसी भी वर्ग या समुदाय की भावना आहत नहीं होनी चाहिए.

कूड़ा बनना बंद हो तो दिखना भी बंद होगा: वाणी से जब पूछा गया कि कई फिल्म्स होती है, जिनको लेकर एक माहौल बनाया जाता है और विवाद की स्थिति भी होती है. द केरल स्टोरी और कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म से क्या समाज में परिवर्तन आ रहा है. इस पर वाणी का कहना था कि फिल्म मेकर वही चीजें बनाते हैं जो दर्शक देखेगा. 2 साल कोविड के समय सिनेमा बंद रहा तो दर्शक ने OTT का सहारा लिया. जब एक समय आइटम सॉन्ग सुनने में होते थे, उसकी मैं भी खिलाफत करती थी, लेकिन आज के समय में हर फिल्म में आइटम सॉन्ग होते हैं. वाणी ने साफ तौर पर कहा कि कूड़ा बनना बंद होगा, तो कूड़ा देखना भी बंद होगा. वाणी ने कहा कि सेंसर बोर्ड मेंबर होते हुए वह भी कई फिल्मों और पटकथा को नोटिस करती है, लेकिन वह अकेली इसमें मेंबर नहीं है. उनके अलावा 8 लोग और भी हैं. जो मिलकर निर्णय लेते हैं. आज का जो सिनेमा है, वह नई टेक्नोलॉजी के साथ रियल और ओरिजिनल फिल्म के दौर पर चल रहा है.

यहां पढ़ें...

स्टार्स टाइम के पाबंद नहीं: वहीं हैदराबाद से आई गुरु फिल्म प्रोड्युसर (तेलुगु) की सुनिता ताती का कहना था कि मध्य प्रदेश में जिस तरह से फिल्म उद्योग बढ़ रहा है. यह दूसरे राज्यों के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के लिए बेहतर है, क्योंकि मध्यप्रदेश में शुरुआत करने वाले फिल्मकार को 30 से 40% तक का डिस्काउंट मिल जाता है. जो एक बड़ी बात होती है. इसके साथ ही एमपी में जिस तरह से फॉरेस्ट और तमाम प्राकृतिक जगह है. उसमें शूट करना बेहद आसान हो जाता है. हमारे स्टेट में स्टार्स टाइम को लेकर भी कई बार इंतजार कराते हैं. 7बजे शुरू होने वाले शूट 10 और 11 बजे तक स्टार्ट होता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं है. यहां पर लोग टाइम के पाबंद है और समय पर काम हो जाता है.

सुनिता ताती गुरु का बयान

ये भी रहे मौजूद: मैजिक अवर फिल्म्स मुंबई के प्रोड्युसर समीर सरकार, जी स्टूडियो मुंबई के हेड ऑफ प्रोडक्शन एडं कमर्शियल्स सुमित खुराना, जियो स्टूडियो मुंबई की कन्टेंट अलाएंस हेड शोभा संत, वन एच मीडिया कंसल्टेंट मुंबई की फाउंडर हेमलता उपाध्याय, सोनी पिक्चर्स इंटरटेन्मेंट मुंबई के प्रोडक्शन हेड धैर्यशील निम्बाल्कर, लायंसगेट इंडिया की वाइस प्रेसिडेंट (ओरिजनल्स) मृणालिनी खन्ना, नेटफ्लिक्स के डायरेक्टर (प्रोडक्शन मैनेजमेंट) पार्थ अरोड़ा, जुगाड़ मोशन पिक्चर्स के प्रोड्युसर एवं फाउंडर धीर मोमाया ने प्रदेश में शूटिंग, परमिशन और सब्सिडी सहित अन्य विषयों की सराहना की.

सेंसर बोर्ड की मेंबर वाणी त्रिपाठी ने की ईटीवी भारत से बात

भोपाल। फिल्म मेकिंग को फिल्मकारों के लिए आसान बनाने में मध्यप्रदेश एक अग्रणी राज्य बनता जा रहा है. फिल्म शूटिंग परमिशन को लोक सेवा गारंटी एक्ट के अंतर्गत मात्र 15 दिन में प्रदाय करने के साथ इमरजेंसी में ऑफलाइन परमिशन भी जारी किए जाने की सुविधा भी यहां है. फॉरेन प्रोडक्शन हाउस भी इतनी ही आसानी के साथ सीधे मध्यप्रदेश आकर फिल्म की शूटिंग कर सकता है. प्रदेश में शूटिंग, अधोसंरचना विकास में निवेश एवं स्थानीय कलाकारों की भागीदारी के अवसरों को तलाशने के लिए प्रसिद्ध प्रोडक्शन हाउस के प्रतिनिधि, प्रोड्यूसर, डायरेक्ट और एक्टर्स का दल भोपाल आया हुआ है.

किसी वर्ग समुदाय की भावन न हो आहत: प्रसिद्ध प्रोड्युसर एवं एक्टर और सेंसर बोर्ड की मेंबर वाणी त्रिपाठी टीकू ने ETV भारत संवाददाता आदर्श चौरसिया से खास बातचीत की. आदिपुरुष को लेकर जिस तरह से कॉन्ट्रोवर्सी चल रही है और तमाम जगह इसका विरोध हो रहा है. इसको लेकर वाणी ने फिल्म का नाम तो नहीं लिया, लेकिन सेंसर बोर्ड के सदस्य होने के नाते यह जरूर कहा कि जिस तरह से फिल्मों का बायकॉट और कॉन्ट्रोवर्सी की बात सामने आती है. उसको देखते हुए यह इसलिए हो रहा है, क्योंकि जब दर्शक अपनी जेब ढीली कर सिनेमा खिड़की तक जाएगा और उसे वह चीज नहीं मिलेगी, तो इस तरह का विरोध जरूर होगा. यहां वाणी ने फिल्मीकरों को सलाह देते हुए कहा कि कोई दृश्य किसी वर्ग, समुदाय को आहत करती है तो ऐसा विरोध होता है. इसलिए जिम्मेदारी निर्माता और फिल्मेकर्स की है, कि ऐसे दृश्य और पटकथा का ध्यान रखे कि किसी भी वर्ग या समुदाय की भावना आहत नहीं होनी चाहिए.

कूड़ा बनना बंद हो तो दिखना भी बंद होगा: वाणी से जब पूछा गया कि कई फिल्म्स होती है, जिनको लेकर एक माहौल बनाया जाता है और विवाद की स्थिति भी होती है. द केरल स्टोरी और कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म से क्या समाज में परिवर्तन आ रहा है. इस पर वाणी का कहना था कि फिल्म मेकर वही चीजें बनाते हैं जो दर्शक देखेगा. 2 साल कोविड के समय सिनेमा बंद रहा तो दर्शक ने OTT का सहारा लिया. जब एक समय आइटम सॉन्ग सुनने में होते थे, उसकी मैं भी खिलाफत करती थी, लेकिन आज के समय में हर फिल्म में आइटम सॉन्ग होते हैं. वाणी ने साफ तौर पर कहा कि कूड़ा बनना बंद होगा, तो कूड़ा देखना भी बंद होगा. वाणी ने कहा कि सेंसर बोर्ड मेंबर होते हुए वह भी कई फिल्मों और पटकथा को नोटिस करती है, लेकिन वह अकेली इसमें मेंबर नहीं है. उनके अलावा 8 लोग और भी हैं. जो मिलकर निर्णय लेते हैं. आज का जो सिनेमा है, वह नई टेक्नोलॉजी के साथ रियल और ओरिजिनल फिल्म के दौर पर चल रहा है.

यहां पढ़ें...

स्टार्स टाइम के पाबंद नहीं: वहीं हैदराबाद से आई गुरु फिल्म प्रोड्युसर (तेलुगु) की सुनिता ताती का कहना था कि मध्य प्रदेश में जिस तरह से फिल्म उद्योग बढ़ रहा है. यह दूसरे राज्यों के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के लिए बेहतर है, क्योंकि मध्यप्रदेश में शुरुआत करने वाले फिल्मकार को 30 से 40% तक का डिस्काउंट मिल जाता है. जो एक बड़ी बात होती है. इसके साथ ही एमपी में जिस तरह से फॉरेस्ट और तमाम प्राकृतिक जगह है. उसमें शूट करना बेहद आसान हो जाता है. हमारे स्टेट में स्टार्स टाइम को लेकर भी कई बार इंतजार कराते हैं. 7बजे शुरू होने वाले शूट 10 और 11 बजे तक स्टार्ट होता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं है. यहां पर लोग टाइम के पाबंद है और समय पर काम हो जाता है.

सुनिता ताती गुरु का बयान

ये भी रहे मौजूद: मैजिक अवर फिल्म्स मुंबई के प्रोड्युसर समीर सरकार, जी स्टूडियो मुंबई के हेड ऑफ प्रोडक्शन एडं कमर्शियल्स सुमित खुराना, जियो स्टूडियो मुंबई की कन्टेंट अलाएंस हेड शोभा संत, वन एच मीडिया कंसल्टेंट मुंबई की फाउंडर हेमलता उपाध्याय, सोनी पिक्चर्स इंटरटेन्मेंट मुंबई के प्रोडक्शन हेड धैर्यशील निम्बाल्कर, लायंसगेट इंडिया की वाइस प्रेसिडेंट (ओरिजनल्स) मृणालिनी खन्ना, नेटफ्लिक्स के डायरेक्टर (प्रोडक्शन मैनेजमेंट) पार्थ अरोड़ा, जुगाड़ मोशन पिक्चर्स के प्रोड्युसर एवं फाउंडर धीर मोमाया ने प्रदेश में शूटिंग, परमिशन और सब्सिडी सहित अन्य विषयों की सराहना की.

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