भोपाल। मध्य प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली को डिजिटल मोड ऑटोमोशन में लाने के लिए जल्द ही एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली (आईयूएमएस) लागू होने जा रहा है, जिसका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने स्वागत किया है, लेकिन कुछ बिंदुओं पर सवाल भी खड़े किए गए हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रेस वार्ता कर बताया कि, 'इस प्रणाली के चलते कई विसंगतियां पैदा होंगी और विश्वविद्यालय की व्यवस्था प्रभावित होगी.
सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह है कि यह प्रणाली शिक्षा नीति की मूल भावना के विपरीत है. इसलिए इसमें सुधार करने की मांग की गई है. ऐसा नहीं करने पर सरकार के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी गई है.
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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत मंत्री निलेश सोलंकी ने बताया कि, मध्य प्रदेश के 21 शासकीय विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली को डिजिटल मोड ऑटोमेशन में लाने के उद्देश्य से एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली लागू की जा रही है. इस प्रणाली के माध्यम से प्रदेश के 24 लाख विद्यार्थियों का अकादमी डाटा विश्वविद्यालय के सभी अधिकारी और कर्मचारियों का डाटा एक ही प्लेटफॉर्म पर एकत्रित होगा. इसके साथ ही विश्वविधालय की तमाम गतिविधियां भी इसके दायरे में आ जाएंगी, जिससे डाटा हैकिंग का खतरा बना रहेगा.
निलेश सोलंकी का कहना है कि, इस प्रणाली के तहत विश्वविद्यालय की व्यवस्थाओं को केंद्रित करना और सूचनाओं को एक ही जगह एकत्रित करना अनुचित कदम है. इससे डाटा हैकिंग का खतरा बना रहेगा. इसके साथ ही अगर विश्वविधालय का नियंत्रण किसी एक यूनिवर्सिटी के पास रहेगा, तो एकाधिकार की समस्या भी आएगी.
वहीं कर्मचारियों के वेतन और विद्यार्थियों के स्कॉलरशिप की वजह से बैंक एकाउंट लिंक होने से भी धोखाधड़ी हो सकती है. ऐसे सरकार को इस प्रणाली पर विचार करना चाहिए.
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अखिल भारतीय विद्यार्ति परिषद ने एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली (आईयूएमएस) के 15 मांगों पर सरकार का ध्यान केंद्रित किया है, जो छात्रों के लिए सही नहीं है. एबीवीपी ने इस प्रणाली में बदलाव करने की मांग कर रही है.