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कठपुतली के माध्यम से बापू के जीवन पर आधारित नाटक का किया गया मंचन - creative theatre trust vranasi

क्रिएटिव थिएटर ट्रस्ट वाराणसी ने भोपाल में गांधीजी के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया, जिसमें बच्चों को कठपुतली के माध्यम से बापू के जीवन को दर्शाया गया.

गांधीजी के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया गया
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Published : Oct 18, 2019, 10:06 AM IST

भोपाल। गांधी जी के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया गया. इस नाटक का मंचन क्रिएटिव थिएटर ट्रस्ट वाराणसी ने किया, नाटक का निर्देशन मिथिलेश दुबे ने किया.

गांधीजी के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया गया


मंचन में कठपुतली के माध्यम से बच्चों को समझाया गया कि, एक सामान्य सा बच्चा जिसकी कद काठी एकदम सामान्य थी, भाषण भी सामान्य था, फिर भी वह एक महान व्यक्ति कैसे बन गया.

उन्होंने अपना जीवन मानवीय मूल्यों पर आधारित किया, कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सत्य और अहिंसा के मार्ग से नहीं हटे.

भोपाल। गांधी जी के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया गया. इस नाटक का मंचन क्रिएटिव थिएटर ट्रस्ट वाराणसी ने किया, नाटक का निर्देशन मिथिलेश दुबे ने किया.

गांधीजी के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया गया


मंचन में कठपुतली के माध्यम से बच्चों को समझाया गया कि, एक सामान्य सा बच्चा जिसकी कद काठी एकदम सामान्य थी, भाषण भी सामान्य था, फिर भी वह एक महान व्यक्ति कैसे बन गया.

उन्होंने अपना जीवन मानवीय मूल्यों पर आधारित किया, कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सत्य और अहिंसा के मार्ग से नहीं हटे.

Intro:गांधी जी पर कठपुतली नाटकदूसरे दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित मोहन से महात्मा कठपुतली नाटक का मंचन क्रिएटिव थिएटर ट्रस्ट वाराणसी किया इसके निर्देशक मिथिलेश दुबे थेBody:नाटक गांधीजी के जीवन पर आधारित नाटक में बच्चों को कठपुतली के माध्यम से यह समझाया गया है कि एक सामान्य सा बच्चा जिसकी शरीर की कट काठी भी एकदम सामान्य थी भाषण भी सामान्य फिर भी वह दुनिया भर के महान व्यक्तित्व कैसे बने उन्होंने अपना जीवन मानवीय मूल्यों पर आधारित जिया वह कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सत्य और अहिंसा के मार्ग से नहीं हटे उन्हें कभी कोई प्रलोभन अपने पद से नहीं भटका पाया उन्होंने पूरी दुनिया को वैकल्पिक दिशा भी दी आज जो विश्व में समस्याएं हैं उनके हल के लिए गांधी जी द्वारा बताए रास्ते पर चलने के अलावा और कुछ नहीं बचा है अर्थात आज के अंधकार में गांधीजी ही उजाले की आस हैConclusion:नाटक मोहन से महात्मा गांधीजी के जीवन एवं उनके संदेश को रोचक तरीके से प्रस्तुत करने में सफल रहा और सफल रहा लुप्त हो रही लोक कला को पुनर्जीवित करने में
बाइट_ मिथिलेश दुबे निर्देशक
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