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भारतीय इतिहास बोध पर 17वीं व्याख्यान माला का आयोजन, साहित्यकार, बुद्धिजीवी हुए शामिल

भोपाल के हिंदी भवन में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की 17वीं शरद व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. इस अवसर पर शहर के बुद्धिजीवी, साहित्यकार और कलाकार बड़ी संख्या में उपस्थित रहे.

17th lecture on Indian History Perception organized
भारतीय इतिहास बोध पर 17वीं व्याख्यानमाला का आयोजन
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Published : Feb 15, 2020, 10:41 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल के हिंदी भवन में मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ने भारतीय इतिहास बोध पर 17वीं शरद व्याख्यानमाला का आयोजन किया. जिसकी अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र ने की. इस अवसर पर शहर के बुद्धिजीवी, साहित्यकार और कलाकार बड़ी संख्या में मौजूद रहे.

भारतीय इतिहास बोध पर 17वीं व्याख्यान माला का आयोजन

शरद व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रूप में शिमला से आए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के चेयरमैन प्रोफेसर कपिल कपूर ने विषय परिवर्तन पर अपने विचार रखे. वहीं जनसत्ता के पूर्व संपादक बनवारी ने अपने विचारों से व्याख्यानमाला को गरिमा प्रदान की. जहां सभी ने भारतीय इतिहास के संबंध में व्याप्त अनेक भ्रांतियों को उभारने की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए अपने विचार रखे.

इस अवसर पर वांग्मय साहित्य रंगकर्म और समाज सेवा के लिए क्षेत्र की 6 विशिष्ट विभूतियों को भी सम्मानित किया गया. जिनमें स्वर्गीय प्रोफेसर कृपाशंकर सिंह, अंशुमन तिवारी, मुकेश वर्मा, बनवारी, शंभू गुप्त, अशोक बुलानी शामिल थे.

भोपाल। राजधानी भोपाल के हिंदी भवन में मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ने भारतीय इतिहास बोध पर 17वीं शरद व्याख्यानमाला का आयोजन किया. जिसकी अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र ने की. इस अवसर पर शहर के बुद्धिजीवी, साहित्यकार और कलाकार बड़ी संख्या में मौजूद रहे.

भारतीय इतिहास बोध पर 17वीं व्याख्यान माला का आयोजन

शरद व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रूप में शिमला से आए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के चेयरमैन प्रोफेसर कपिल कपूर ने विषय परिवर्तन पर अपने विचार रखे. वहीं जनसत्ता के पूर्व संपादक बनवारी ने अपने विचारों से व्याख्यानमाला को गरिमा प्रदान की. जहां सभी ने भारतीय इतिहास के संबंध में व्याप्त अनेक भ्रांतियों को उभारने की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए अपने विचार रखे.

इस अवसर पर वांग्मय साहित्य रंगकर्म और समाज सेवा के लिए क्षेत्र की 6 विशिष्ट विभूतियों को भी सम्मानित किया गया. जिनमें स्वर्गीय प्रोफेसर कृपाशंकर सिंह, अंशुमन तिवारी, मुकेश वर्मा, बनवारी, शंभू गुप्त, अशोक बुलानी शामिल थे.

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