भोपाल। कहते हैं बच्चे बुजुर्गों के बुढ़ापे की लाठी होते है, और उसी लाठी के सहारे सभी बुजुर्ग अपनी जीवन यात्रा के अंतिम पड़ाव तक पहुंचते हैं. आज के दौर में मां बाप की उमर ढलने के बाद बच्चे उन्हें बेसहारा छोड़ देते हैं, जिस कारण वो अपने जीवन के आखरी पड़ाव को भी दर्द के साथ बिताते हैं. लेकिन कुछ सेवा भावी लोग और संस्थाएं इन्हें सहारा देते हैं और ढल रहे जीवन को एक सहारा देते हैं.
भोपाल में इन बेसहारा बुजुर्गों के लिए अपना घर, आसरा, आनंद धाम, लाइंस क्लब के नाम से चार वृद्धाश्रम संचालित हैं, जहां इन दिनों 160 माता पिता रहते हैं.
भोपाल में वृद्धाश्रम
- 'अपना घर' में 24 बुजुर्ग जिनमें 16 पुरुष, 8 महिलाएं
- 'आसरा' में 90 बुजुर्ग जिनमें 50 पुरुष, 40 महिलाएं
- 'आनंद धाम' में 28 बुजुर्ग जिनमें 14 पुरुष, 14 महिलाएं
- 'लाइंस क्लब' में 18 बुजुर्ग निवास कर रहे हैं.
'अपना घर' में पारिवारक रिस्ता
भोपाल के 'अपना घर' की संचालक माधुरी मिश्रा अपने घर में रह रहे 24 माता पिता की सेवा कर खुद को गौरवांवित महसूस कर रही हैं. माधुरी बताती हैं कि उनके घर में कोई किसी को नाम लेकर नहीं बुलाता, यहां सभी का किसी न किसी से कोई न कोई रिस्ता है. माधुरी खुद को इन बुजुर्गों के छाव में पाकर खुद को काफी मजबूत और संपन्न समझती हैं. माधुरी मिश्रा बताती हैं, कि उनकी कोशिश रहती है कि देश भर में मनाए जाने वाले तीज त्यौहार मनाएं. उनके घर में देश भर से निराश्रित माता पिता रहते हैं, तो उनका पूरी प्रयास होता है, कि वो सभी तरह की डिस बनवाती रहें.
कोरोना से बचा के रखा अभी तक बुजुर्गों को
वहीं आनंद धाम के सचिव आरआर सुरंगे नहीं चाहते कि किसी भी समाज सेवक को ऐसे बुजुर्गों के लिए घर संचालित करने की नौबत आए, वो चाहते हैं, हर संतान अपने माता पिता का वैसे ही साथ दे, जैसा वो उनके बचपन में देते थे. आरआर सुरंगे ने बताया कि पिछले छह माह से उन्होंने आनंद धाम के बुजुर्गों को कोरोना से बचा कर रखा है, और आगे भी प्रयास यहीं है. आरआर सुरंगे बताते हैं कि बुजुर्गों को आनंद धाम में लेने से पहले वह एक बार उनकी काउंसलिंग और मेडिकल चेकअप भी करवाते हैं, साथ ही पूरा प्रयास करते हैं कि उन्हें अपने पुराने परिवार की याद न आए.
आश्रम में VVIP लोग भी बुजुर्गों का लेते हैं आशीर्वाद
भोपाल में संचालित हो रहे सबसे पुराने बृद्ध आश्रम आसरा की केयर टेकर राधा ने बताया कि उनके आश्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान त्योहारों पर आते हैं और बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहते हैं. इसके अलावा समय समय पर कुछ ऐसे बच्चे भी आते रहते हैं, जो किसी हादसे या अनहोनी में अपनों को गवां चुके होते हैं. वे यहां आकर अपने माता पिता के होने का ऐहसास करते हैं.
बुद्ध आश्रम में रहने वाले बुजुर्ग अपने दर्द को भुलाते हुए, लोगों को आशावादी होने के साथ ही उन्हें एक वट वृक्ष की तरह बनने की सलाह देते हैं, जिससे समाज को सहारा मिलता रहे. माधुरी मिश्रा, आरआर सुरंगे, राधा जैसे तमाम लोगों के सेवा भाव का असर ही है, कि उम्र के इस अंतिम पड़ाव में भी बुजुर्ग सेवा का संदेश देते हुए अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.