भिंड। डाक विभाग का नाम सुनते ही अमूमन आपके जहन में एक बात आती है कि साइकिल पर चलता, टोपी लगाए, खादी की यूनिफार्म पहने और साथ में कंधे पर झोला लटकाए एक डाकिया. जो घर-घर पहुंच कर लोगों के खत पहुंचाता है. लेकिन समय के साथ-साथ डाक विभाग में बदलाव हुआ और आज न सिर्फ पोस्टल डिपार्टमेंट का डिजिटलीकरण हो चुका है बल्कि, यह एक बैंक की तरह स्थापित हुआ है. डाक विभाग में लोग अपना पैसा बचत खातों में जमा करते हैं. इनमें सबसे ज्यादा खाताधारक ग्रामीण क्षेत्र और गरीब तबके के लोग हैं. क्योंकि आज के ज्यादातर बैंक में खाता खुलवाना हर किसी के बस की बात नहीं रही और ऐसे में डाक बचत खाते एक अच्छा विकल्प साबित होता है.
कुछ समय पहले तक डाक बचत खाता खुलवाने वाले ग्राहकों को काफी सहूलियत थी. क्योंकि इन खातों में महज 50 रुपए रखना होते थे, लेकिन समय-समय पर बढ़ रही सुविधाओं के चलते डाक विभाग ने भी अन्य बैंकों की तरह अपने नियमों में कुछ बदलाव किए हैं. इन नियमों में सबसे ज्यादा अहम जानकारी उन तमाम खाताधारकों के लिए है, जिनके बचत खाते डाक विभाग में है. नए नियम के अनुसार अब बचत खाताधारकों को अपने खाते में कम से कम 500 रुपए का बैलेंस व्यवस्थित रखना होगा, यानी महीने भर में वह कितना भी पैसा जमा कर सकते हैं और कितना भी निकाल सकते हैं. लेकिन हर वक्त उनके खाते में कम से कम 500 रुपए जमा रहना अब जरूरी हो गया है.
नियमों में हुए इस बदलाव के बाद ईटीवी भारत ने डाक विभाग के खाताधारकों से उनकी राय जानी कि वह इस बदलाव को लेकर क्या सोच रखते हैं. ऐसे में एक खाताधारक ने 500 रुपए मिनिमम बैलेंस के नियम का स्वागत करते हुए कहा कि जिस तरह से डाक विभाग ने धीरे-धीरे एटीएम चेक बुक जैसी सुविधाएं दी हैं. ऐसे में 500 रुपए अपने खाते में मिनिमम बैलेंस रखना कोई बड़ी बात नहीं है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभी थोड़ी कमी है. अब तक डाक विभाग के पास आईएफएससी सर्विस नहीं है. अगर यह सुविधा उपलब्ध होती तो एनईएफटी और आरटीजीएस जैसी सुविधाओं का लाभ भी खाताधारकों को मिल पाता.
वहीं डाक घर में अपना खाता खुलवाने आए एक अन्य शख्स ने कहा कि डाक बचत खाते गरीबों के बचत खाते होते हैं. ऐसे में नियमों में बदलाव तो ठीक है. लेकिन मिनिमम बैलेंस की राशि 500 की जगह 200 या 300 रुपए भी रखी जा सकती थी. जिससे कि गरीब और किसान लोगों को इसका ज्यादा फायदा मिल सकता था.
भिंड मुख्यालय में बने हेड पोस्ट ऑफिस में पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने जब पोस्ट ऑफिस के पोस्ट मास्टर से बात की तो उन्होंने बताया कि लोगों को 500 रुपए मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने में अभी किसी तरह की परेशानी नहीं आ रही है. उन्हें काफी अच्छा रिस्पांस इसके बाद भी मिल रहा है. इसके पीछे विभाग और सरकार की मंशा है कि लोग अपने खाते बराबर उपयोग करते रहें, यह खाते एक्टिव रहेंगे तो इससे ग्राहकों को भी ब्याज का लाभ मिलेगा.
कुछ योजनाएं जो लोगों के लिए हैं फायदेमंद
डाक विभाग की ओर से लगातार अपने कस्टमर्स के लिए एक से बढ़कर एक योजनाएं लांच की जा रही हैं, लेकिन कई लोग इन योजनाओं की जानकारी के अभाव में इनका लाभ नहीं ले पाते ऐसे में ईटीवी भारत ने डाक विभाग से ऐसे ही कुछ योजनाओं की जानकारी ली.
इंडियन पोस्टल पेमेंट बैंक
डिजिटल भारत के कांसेप्ट पर डाक विभाग की ओर से भी इंडियन पोस्टल पेमेंट बैंक की शुरुआत की गई है. इस योजना के तहत डाक विभाग ने अपने खाताधारकों को जोड़ने के लिए डोर टू डोर गांव से गांव और शहर की ओर डिजिटली खाता खोलने की प्रक्रिया शुरू की है. इसके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों को ज्यादा से ज्यादा डाक विभाग से जोड़ने की कवायद है. इसका एक बड़ा फायदा यह है कि इंडियन पोस्टल पेमेंट बैंक में कोई भी व्यक्ति महज 100 रुपए देकर भी अपना खाता खुलवा सकता है.
फ्यूचर प्लानिंग के लिए अच्छी है यह स्कीम
डाक विभाग अपने ग्राहकों को देखते हुए उनके फायदे के हिसाब से योजनाएं बनाता है इन्हीं में से एक हैं रिकरिंग डिपॉजिट स्कीम ऐसे स्कीम में कोई भी व्यक्ति 100 रुपए से लेकर अपनी इच्छा अनुसार मंथली इंस्टॉलमेंट में पैसा जमा कर सकता है. यह स्कीम 60 महीने के लिए उपलब्ध है. यानी कोई भी व्यक्ति 5 साल तक हर महीने अगर चाहे तो कम से कम 100 रुपय प्रतिमाह इस योजना में जमा कर सकता है. जिस पर 5 साल बाद न सिर्फ अपनी पूरी राशि एक साथ मिलेगी बल्कि उस पर 5.8% का ब्याज भी जुड़कर मिलेगा.
जल्द डाक विभाग में भी मिलेगा आईएफएससी कोड
डाक विभाग का डिजिटलीकरण होने के साथ ही जब ऑनलाइन पेमेंट सर्विस की ओर कदम बढ़ाए जा चुके हैं, ऐसे में अब तक आरटीजीएस और एनईएफटी जैसी सर्विस नहीं मिल पा रही है. हालांकि डाक विभाग की ओर से इस बात की पुष्टि की गई है कि जल्द ही ग्राहकों को आईएफएससी की सुविधा भी मिलने वाली है. अगले साल डाक विभाग को भी आईएफएससी कोर्ट उपलब्ध हो जाएंगे. जिसके बाद लोग सभी ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लाभ ले सकेंगे. इसके लिए प्रयास जारी है.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) अकाउंट
आरडी अकाउंट की तरह ही पीपीएफ अकाउंट में भी महीने के महीने पैसा जमा किया जा सकता है, लेकिन इसमें जो लिमिट तय की गई है वह 15 साल है. यानी कोई व्यक्ति जो बचत कर सकता है. वह अगर 15 साल तक इस खाते को चलाता है और हर महीने उसमें एक निश्चित राशि जमा करता जाता है तो 15 साल बाद उसे अपनी मूल राशि के साथ ही ब्याज का पैसा भी मिलता है. साथ ही एक बड़ा फायदा यह भी है कि ऐसे स्कीम के तहत खाताधारक इनकम टैक्स में छूट का लाभ भी ले सकता है.
बता दें कि भिंड जिले में डाक विभाग की 23 शाखाएं हैं, जिनमें करीब 2.5 लाख से ज्यादा खाते हैं, जानकारी के मुताबिक इन खातों में करीब 35 हजार खाते वर्तमान में निष्क्रिय चल रहे हैं, हालांकि लगातार प्रचार-प्रसार के जरिये डाक विभाग इन खाता धारकों को अपने खाते पुनः एक्टिव करने के लिए प्रेरित कर रहा है.