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यहां के लोगों के लिए 'पारस' है ये पत्थर, करते हैं पूजा - भिंड

विज्ञान के विस्तार ने धरती-आसमान की दूरी को खत्म कर दिया है, चांद-मंगल पर आसियाना बनाने की तैयारी में है, लेकिन इंसान है कि 16वीं शताब्दी के खयालों से बाहर निकलने का नाम नहीं ले रहा है क्योंकि आज भी लोग भूत-प्रेत और दैवीय शक्तियों के नाम पर या तो डर रहे हैं, या डराये जा रहे हैं. कुछ लोग तो इस तरह की रुढ़ियों को व्यापार के तौर पर संचालित कर रहे हैं.

पत्थर उठाते लोग
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Published : Jun 4, 2019, 6:39 PM IST

Updated : Jun 4, 2019, 8:04 PM IST

भिंड। भले ही भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगलियों पर उठा लिया था, लेकिन भिंड जिले के बरासों गांव में एक ऐसा प्राचीन पत्थर है, जिसमें दैवीय शक्तियां होने की बात लोग मानते हैं क्योंकि इस पत्थर को आज तक कोई गर्दन से ऊपर तक नहीं उठा सका है. सैकड़ों साल पुराने जैन मंदिर के पास एक टीले पर ये प्राचीन पत्थर रखा हुआ है, लोगों का मानना है कि इस पत्थर में दैवीय शक्तियां हैं, इस पत्थर को फुली देवी के नाम से जाना जाता है.

चमत्कारिक पत्थर

ग्रामीण बताते हैं कि फुली देवी को ले जाने के लिए कई राजाओं ने भी प्रयास किया, लेकिन कोई उन्हें उनकी जगह से नहीं हिला सका, यहां तक कि हाथी पर भी इस पत्थर को रख कर ले जाने की कोशिश की गई थी, लेकिन हाथी भी चोटिल हो गया और वह पत्थर आज भी अपनी जगह पर स्थापित है.

भले ही इस पत्थर को कोई गर्दन से ऊपर तक नहीं उठा सका, लेकिन इससे ये साबित नहीं हो जाता कि इस पत्थर में कोई दैवीय शक्ति है या नहीं. हालांकि, इस तरह की बातों का बार-बार जिक्र करने से लोग अंधविश्वास पर विश्वास जरूर करने लगते हैं.

नोट- इस खबर की सत्यता की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है, स्थानीय लोगों के बताये अनुसार ये खबर लिखी गयी है.

भिंड। भले ही भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगलियों पर उठा लिया था, लेकिन भिंड जिले के बरासों गांव में एक ऐसा प्राचीन पत्थर है, जिसमें दैवीय शक्तियां होने की बात लोग मानते हैं क्योंकि इस पत्थर को आज तक कोई गर्दन से ऊपर तक नहीं उठा सका है. सैकड़ों साल पुराने जैन मंदिर के पास एक टीले पर ये प्राचीन पत्थर रखा हुआ है, लोगों का मानना है कि इस पत्थर में दैवीय शक्तियां हैं, इस पत्थर को फुली देवी के नाम से जाना जाता है.

चमत्कारिक पत्थर

ग्रामीण बताते हैं कि फुली देवी को ले जाने के लिए कई राजाओं ने भी प्रयास किया, लेकिन कोई उन्हें उनकी जगह से नहीं हिला सका, यहां तक कि हाथी पर भी इस पत्थर को रख कर ले जाने की कोशिश की गई थी, लेकिन हाथी भी चोटिल हो गया और वह पत्थर आज भी अपनी जगह पर स्थापित है.

भले ही इस पत्थर को कोई गर्दन से ऊपर तक नहीं उठा सका, लेकिन इससे ये साबित नहीं हो जाता कि इस पत्थर में कोई दैवीय शक्ति है या नहीं. हालांकि, इस तरह की बातों का बार-बार जिक्र करने से लोग अंधविश्वास पर विश्वास जरूर करने लगते हैं.

नोट- इस खबर की सत्यता की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है, स्थानीय लोगों के बताये अनुसार ये खबर लिखी गयी है.

Intro:कहते हैं भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत अपनी उंगलियों पर उठा लिया था लेकिन भिंड जिले के एक गांव में ऐसा प्राचीन पत्थर भी है जिसमें दैवीय शक्तियों की मान्यता है क्योंकि इस पत्थर को आज तक अच्छे-अच्छे बाहुबली भी अपने सिर पर नहीं उठा पाए हैं


Body:दरअसल भिंड के बरासों गांव में 26 100 साल पुराने प्राचीन जैन मंदिर के पास एक टीले पर एक प्राचीन पत्थर रखा हुआ है लोगों का कहना है कि इस पत्थर में दैवीय शक्तियां हैं जिसके चलते आज तक कोई शख्स इस पत्थर को अपनी कमर से ज्यादा ऊंचाई पर नहीं उठा पाया है अच्छे-अच्छे बाहुबली लोग भी इसे अपने कंधे तक ही ले जा पाए हैं लेकिन आज तक किसी व्यक्ति ने इस पत्थर को अपने सिर पर नहीं रख पाया है

क्या है इस पत्थर की कहानी
इस पत्थर को लेकर कई कहानियां हैं लेकिन जो सब लोगों में सबसे ज्यादा प्रचलित है वह है इस पत्थर को फुली देवी कहते हैं होली का मतलब है आंख में चोट लगने पर जो खून का थक्का जमा होता है अगर कोई व्यक्ति इस पत्थर यानि फुली देवी पर 9 दिन तक जल्द इस अर्जित करें तो उसकी आंख पूरी तरह ठीक हो जाती है गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि यह पत्थर 1 हजार से 5 हजार साल पुराना है इसे ना उठा पाने के पीछे की मान्यता है कि किसी देवर ने अपनी भाभी के साथ मजाक करने के लिए भाभी की डलिया में या पत्थर रख दिया था और ऊपर से उसे गोबर से ढक दिया लेकिन वह भी उस जलीय को उठा ले गई और जब उसने गोबर फेंका तो वहां पत्थर देखकर अचंभित हो गई क्योंकि इस पत्थर की वजह से उसे डलिया रोजाना से भारी महसूस हो रही थी जिससे आहत होकर उसने श्राप दे दिया कि आज तो मैंने इस पत्थर को उठा लिया लेकिन आगे कोई इसे अपने सिर पर नहीं रख पाएगा तब से मामूली देखने वाला यह पत्थर अच्छे-अच्छे बाहुबलियों के छक्के छुड़ा चुका है

बाइट - आवज राम, स्थानीय रहवासी
बाइट - वज्रसेन जैन, स्थानीय रहवासी

गांव के लोग बताते हैं कि फुली देवी को ले जाने के लिए कई राजाओं ने भी प्रयास किया लेकिन कोई उन्हें अपनी जगह से नहीं ले जा सका यहां तक कि हाथी पर भी इस पत्थर को रख कर ले जाने की कोशिश की गई लेकिन हाथी भी चोटिल हो गया पर वह पत्थर आज भी अपनी जगह स्थापित है और कई पीढ़ियों से लोग इस पत्थर को ऐसे ही देख रहे हैं लोगों ने यह भी बताया कि इस पत्थर की आस्था कुछ हटके है आम दिनों में तो ऐसे उठाना मुश्किल हो जाता है लेकिन होली वाले दिन इस पत्थर पर 9 लोग सिर्फ अपनी एक एक उंगली भी लगा ले तो आसानी से उठा लेते हैं

बाइट- बेताल, स्थानीय निवासी




Conclusion:हमने लोगों की इस बात को परखने के लिए कि क्या वाकई ऐसा है या नहीं, मौके पर मौजूद कुछ पर्यटकों से इस पत्थर को उठाने का अनुरोध किया । जिसके बाद लोगों ने जब पत्थर उठाया, तो सबकी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं थी , किसी पर पत्थर उठा नहीं तो कोई ऐसे सिर्फ कमर तक ही उठा सका। ऐसे में कहीं ना कहीं देखने में तो यह बात साबित होती दिखी , कि इस पत्थर को किसी ने भी अपने सिर पर नहीं रख पाया अब इस पत्थर में देवी शक्तियां हैं या कोई साइंटिफिक कारण, लेकिन यह पत्थर अपने आप में एक ऐतिहासिक और विचित्र धरोहर जरूर है।

भिंड से ईटीवी भारत के लिए पियूष श्रीवास्तव की रिपोर्ट
Last Updated : Jun 4, 2019, 8:04 PM IST
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