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निजीकरण का विरोधः बिजली विभाग के कर्मचारी ने काम का किया बहिष्कार

विद्युत क्षेत्र के निजीकरण की घोषणा के बाद देश भर में सरकार के खिलाफ बगावत के स्वर उठने लगे है. बुधवार को पूरे देश के साथ भिंड एक दिवसीय कार्य बहिष्कार किया गया. हालांकि आपातकालीन सेवा को कर्मचारियों ने चालु रखा. 7 फरवरी को बिजली कंपनियों के कर्मचारी भोपाल में रैली निकालकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौपेंगे.

Electricity department boycott one day work
बिजली विभाग ने किया एक दिवसीय कार्य बहिष्कार
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Published : Feb 4, 2021, 3:30 AM IST

भिंड। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने विद्युत क्षेत्र का निजीकरण करने के लिए बजट भाषण में घोषणा की थी. जिसके खिलाफ मध्यप्रदेश में बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है. भिंड में बुधवार को बिजली कर्मचारी और अधिकारियों ने एक दिवसीय कार्य बहिष्कार करते हुए 6 मांगे सरकार के समक्ष रखी हैं.

बिजली कम्पनियों के निजीकरण का विरोध, सरकार को चेतावनी

बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में 1 दिन का कार्य बहिष्कार पूरे देश के साथ भिंड के लहार, मेहगांव एवं गोहद डिवीजन कार्यालयों में हुआ. विद्युत अधिकारी कर्मचारी एकत्रित हुए और बिजली निजीकरण का जमकर विरोध किया. साथ ही चेतावनी भी दी है कि अभी यह विरोध 1 दिन का है. निजीकरण नहीं रुका तो जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में बिजली अधिकारी और कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया था. उसी प्रकार मध्यप्रदेश में भी विद्युत अधिकारी कर्मचारी काम बंद हड़ताल के लिए आगाज करेंगे.

एक तरफा निर्णय ले रही सरकार

बिजली कर्मचारियों का कहना है कि, केंद्र सरकार विद्युत क्षेत्र के विशेषज्ञों से बात न करके एक तरफा निर्णय लेते हुए विद्युत सुधार अधिनियम 2021 और वितरण कंपनियों के लिये निजीकरण के लिए एसबीडी लाकर निजीकरण करने जा रही है. जिससे आम उपभोक्ता, किसानों एवं विद्युत क्षेत्र में कार्यरत सभी प्रकार के कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा.

कार्य बहिष्कार के साथ 6 मांगे

  1. प्रस्तावित विद्युत सुधार बिल 2021 एवं एसबीडी को तुरंत वापस लिया जाए.
  2. प्रदेश एवं केद्र शासि‍त प्रदेशों में वितरण कंपनियों के निजीकरण को वापस लेकर देश में प्राइवेट लाइसेंसी एवं फ्रेंचाइजी समाप्त की जाए.
  3. पूरे देश में उत्पादन एवं वितरण कंपनियों का केरल एवं हिमाचल राज्य विद्युत बोर्ड की तरह एकीकरण किया जाए.
  4. नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए एवं अनिवार्य सेवानिवृत को विद्युत क्षेत्र में समाप्त किया जाए.
  5. संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के साथ-साथ आउटसोर्स कर्मियों को तेलगांना शासन की तर्ज पर संविलियन किया जाए.
  6. अधोसंरचना अनुसार नए पद सृजन कर उन्हें केवल नियमित कर्मचारियों से भरा जाए.

7 फरवरी को भोपाल में विशाल रैली

7 फरवरी को निजीकरण के विरोध में बिजली कंपनियों के विद्युत अधिकारी कर्मचारी भोपाल स्थित गोविंदपुरा में एकत्रित होंगे और विशाल रैली के रूप में गोविंदपुरा से वल्लभ भवन तक रैली निकालकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे.

पूरे देश में हुआ विरोध

बता दें कि नेशनल कॉडिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्‍ट्रीसीटी एम्पलाइज एवं इंजीनियर्स पूरे देश में बुधवार को एक दिवसीय पूर्ण कार्य बहिष्कार का आव्हान किया गया था. जिसके अंतर्गत मप्र यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर के बैनर तले संपूर्ण मध्य प्रदेश में भी कार्य बहिष्कार किया गया. हालांकि पावर हाऊस और विद्युत उप केंद्रों की शिफ्ट ड्यूटी को कार्य बहिष्कार से बाहर रखा गया. आपातकालीन सेवाऐं जैसे– अस्पताल, वाटर सप्लाई, कोर्ट आदि को छोड़कर किसी भी विद्युत व्यवधान में सुधार कार्य नहीं किए जाने का फैसला भी लिया गया.

भिंड। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने विद्युत क्षेत्र का निजीकरण करने के लिए बजट भाषण में घोषणा की थी. जिसके खिलाफ मध्यप्रदेश में बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है. भिंड में बुधवार को बिजली कर्मचारी और अधिकारियों ने एक दिवसीय कार्य बहिष्कार करते हुए 6 मांगे सरकार के समक्ष रखी हैं.

बिजली कम्पनियों के निजीकरण का विरोध, सरकार को चेतावनी

बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में 1 दिन का कार्य बहिष्कार पूरे देश के साथ भिंड के लहार, मेहगांव एवं गोहद डिवीजन कार्यालयों में हुआ. विद्युत अधिकारी कर्मचारी एकत्रित हुए और बिजली निजीकरण का जमकर विरोध किया. साथ ही चेतावनी भी दी है कि अभी यह विरोध 1 दिन का है. निजीकरण नहीं रुका तो जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में बिजली अधिकारी और कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया था. उसी प्रकार मध्यप्रदेश में भी विद्युत अधिकारी कर्मचारी काम बंद हड़ताल के लिए आगाज करेंगे.

एक तरफा निर्णय ले रही सरकार

बिजली कर्मचारियों का कहना है कि, केंद्र सरकार विद्युत क्षेत्र के विशेषज्ञों से बात न करके एक तरफा निर्णय लेते हुए विद्युत सुधार अधिनियम 2021 और वितरण कंपनियों के लिये निजीकरण के लिए एसबीडी लाकर निजीकरण करने जा रही है. जिससे आम उपभोक्ता, किसानों एवं विद्युत क्षेत्र में कार्यरत सभी प्रकार के कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा.

कार्य बहिष्कार के साथ 6 मांगे

  1. प्रस्तावित विद्युत सुधार बिल 2021 एवं एसबीडी को तुरंत वापस लिया जाए.
  2. प्रदेश एवं केद्र शासि‍त प्रदेशों में वितरण कंपनियों के निजीकरण को वापस लेकर देश में प्राइवेट लाइसेंसी एवं फ्रेंचाइजी समाप्त की जाए.
  3. पूरे देश में उत्पादन एवं वितरण कंपनियों का केरल एवं हिमाचल राज्य विद्युत बोर्ड की तरह एकीकरण किया जाए.
  4. नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए एवं अनिवार्य सेवानिवृत को विद्युत क्षेत्र में समाप्त किया जाए.
  5. संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के साथ-साथ आउटसोर्स कर्मियों को तेलगांना शासन की तर्ज पर संविलियन किया जाए.
  6. अधोसंरचना अनुसार नए पद सृजन कर उन्हें केवल नियमित कर्मचारियों से भरा जाए.

7 फरवरी को भोपाल में विशाल रैली

7 फरवरी को निजीकरण के विरोध में बिजली कंपनियों के विद्युत अधिकारी कर्मचारी भोपाल स्थित गोविंदपुरा में एकत्रित होंगे और विशाल रैली के रूप में गोविंदपुरा से वल्लभ भवन तक रैली निकालकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे.

पूरे देश में हुआ विरोध

बता दें कि नेशनल कॉडिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्‍ट्रीसीटी एम्पलाइज एवं इंजीनियर्स पूरे देश में बुधवार को एक दिवसीय पूर्ण कार्य बहिष्कार का आव्हान किया गया था. जिसके अंतर्गत मप्र यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर के बैनर तले संपूर्ण मध्य प्रदेश में भी कार्य बहिष्कार किया गया. हालांकि पावर हाऊस और विद्युत उप केंद्रों की शिफ्ट ड्यूटी को कार्य बहिष्कार से बाहर रखा गया. आपातकालीन सेवाऐं जैसे– अस्पताल, वाटर सप्लाई, कोर्ट आदि को छोड़कर किसी भी विद्युत व्यवधान में सुधार कार्य नहीं किए जाने का फैसला भी लिया गया.

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