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MP Seat Scan Mehgaon: रेत खनन से करोड़ों का राजस्व फिर भी पिछड़ा, जानें क्या है यहां के सियासी समीकरण - MP Chunav News

साल 2023 के आखिरी महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं लगभग 6-7 महीने का समय बचा है जब प्रदेश की सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों के साथ साथ मेहगांव सीट पर भी विधानसभा के चुनाव होंगे. इन चुनाव से पहले ETV Bharat की चुनावों स्पेशल सीरीज ‘MP के महाराज’ में जानिए मध्यप्रदेश के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 12 के सियासी और चुनावी समीकरण ETV भारत के सीट स्कैन के जरिए.

Mehgaon assembly constituency
मेहगाँव विधानसभा क्षेत्र
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Published : May 14, 2023, 6:02 AM IST

Updated : Jul 4, 2023, 7:27 AM IST

भिंड। मध्यप्रदेश में बीजेपी हो या कांग्रेस या विधानसभा के चुनावी मैदान में एक बार फिर अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं. बूथ लेवल पर कार्यकर्ता तो पार्टियों के दिग्गज नेता जिलेवार दौरे कर वोटरों को साधने में जुटे हुए हैं. मेहगांव विधानसभा सीट भी कई मायनों में अपना विशेष स्थान रखती है. यह प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं आवास राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया का विधानसभा क्षेत्र है. जी हां वही ओपीएस भदौरिया जो पिछले विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान कांग्रेस के प्रत्याशी थे और चुनाव जीत कर पहली बार विधायक भी बने थे. माना जाता है कि मेहगांव में चुनाव जातीय समीकरणों पर आधारित रहता है जिसकी वजह से पार्टियां भी विरोधी के अनुसार ही अपना दावेदार खड़ा करती हैं. यहां पार्टी प्रत्याशियों को वोट हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है क्योंकि जानता भी किसी भी दल पर आसानी से भरोसा नहीं करती है.

Mehgaon assembly constituency
मेहगांव विधानसभा क्षेत्र की खासियत

मेहगांव विधानसभा क्षेत्र की खासियत: मेहगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 12 एक कृषि बाहुल्य और खनिज संपदा से संपन्न क्षेत्र है, इस क्षेत्र में गेहू और सरसों के साथ दलहन की खेती किसान वोटर की आय का मुख्य श्रोत है. इसके अलावा इस विधानसभा क्षेत्र से गुजरी सिंध नदी की वजह से यहां कई रेत खदानें हैं जो जिले और शासन को राजस्व मुहैया कराती हैं. वहीं स्थानीय व्यापारियों द्वारा रॉयल्टी पर रेत का कारोबार कई परिवारों का चूल्हा जलाता है.

Mehgaon assembly constituency
मेहगांव विधानसभा क्षेत्र में मतदाता

मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के मतदाता: बात अगर मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की करें तो वर्तमान में इस क्षेत्र में (1 जनवरी 2023 के अनुसार) कुल 2 लाख 69 हजार 373 मतदाता हैं जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 47 हजार 789 और महिला मतदाता 1 लाख 21 हजार 581 हैं साथ ही 3 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं जो इस वर्ष विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.

मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के सियासी हालात: मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने कभी किसी राजनैतिक दल पर पूरी तरह भरोसा नहीं जताया, इस क्षेत्र में है चुनाव हमेशा ही जातिगत समीकरणों पर टिके होते हैं. यही वजह रही है कि बीजेपी कांग्रेस का मुकाबला भी ब्राह्मण-क्षत्रिय प्रत्याशी के बीच होता है. 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जानता पार्टी के प्रत्याशियों को जनता ने जिताया लेकिन विकास की सरकार ने 2018 में सत्ता बदलाव के लिए कांग्रेस से खड़े हुए ओपीएस भदौरिया को नया विधायक बनाया था. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भी बनी लेकिन 18 महीने की सरकार कुछ कर ना सकी और ओपीएस भदौरिया समेत 25 कांग्रेस विधायक जनादेश को ताक पर रख कर ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में उनके साथ बीजेपी में शामिल हो गए. बाद में 2020 में उपचुनाव हुए और एक बार फिर जातीय समीकरण ने ओपीएस भदौरिया को जिता दिया विधायक बनाया और सरकार ने राज्यमंत्री लेकिन इतने के बावजूद आज भी मेहगांव जनसुविधाओं और विकास के नाम पर जस के तस है.

MP Seat Scan Sanwer: दिलचस्प होगा प्रदेश की VIP दलबदलू सीट पर मुकाबला, जानें सांवेर की जनता का मूड

यह उपचुनाव कांग्रेस के लिहाज से भी कम नहीं था कांग्रेस ने इस सीट पर अटेर के पूर्व विधायक हेमंत कटारे को मौका दिया जो एक तरह से पैराशूट प्रत्याशी थे लेकिन ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र में भी कटारे को समर्थन मिला और कांग्रेस द्वारा इस सीट पर हुए अब तक के चुनाव में सर्वाधिक वोट हासिल हुए. 2023 के लिहाज से आने वाले विधानसभा चुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए बड़ा चैलेंज है क्यूँकि बीजेपी के आगे अपने संगठन के पुराने दो पूर्व विधायक मुकेश चौधरी और राकेश शुक्ला टिकट दावेदारी में खड़े हैं. वहीं सिंधिया समर्थक ओपीएस भदौरिया के साथ यह चुनाव बीजेपी के लिए त्रिकोणीय समस्या बन कर उभरती दिखाई दे रही है. वहीं कांग्रेस के पास अब तक मेहगांव से खड़ा करने के लिए मजबूत दावेदार नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में दोनों पार्टियां किसे प्रत्याशी बनाएगी अंत तक कहना मुश्किल होगा.

जातीय समीकरण: क्षेत्र में एससी-एसटी, ब्राह्मण, क्षत्रिय बाहुल्य जातियां हैं. एससी में परिहार, बरैया, नरवरिया हैं. क्षेत्र में 52 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं. करीब 50 हजार वोटर क्षत्रिय हैं.

Mehgaon assembly constituency
मेहगांव विधानसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण

आखिरी तीन विधानसभा चुनाव की स्थिति: मेहगांव विधानसभा उपचुनाव 2020 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक ओपीएस भदौरिया ने पार्टी छोड़ सिंधिया के साथ बीजेपी जॉइन की जिसके चलते पद से इस्तीफा देने के चलते सीट खाली हुई तो उसी साल मेहगांव विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव कराए गए जिनमें बीजेपी ने ओपीएस भदौरिया को प्रत्याशी बनाकर दोबारा चुनावी मैदान में उतारा और वहीं कांग्रेस ने अटेर के पूर्व विधायक रहे. हेमंत कटारे को मेहगांव में चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया. इस उपचुनाव में हेमंत कटारे ने 61 हजार 563 वोट प्राप्त किया और निकटतम प्रतिद्वंदी रहे जबकि जीत का सेहरा बीजेपी के ओपीएस भदौरिया ने पहना जिन्हें जानता ने 73 हजार 599 वोट दिए. ऐसे में जीत का अंतर 12 हजार 36 मतों का रहा.

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मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के मतदाता

मेहगांव विधानसभा चुनाव 2018 के आंकड़े: अटेर विधानसभा सीट पर 2018 के चुनाव में जीत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (INC) के प्रत्याशी बने ओपीएस भदौरिया की हुई थी उनके प्रतिद्वंदी बीजेपी के टिकट पर लड़े पूर्व विधायक राकेश शुक्ला थे. भदौरिया को जहां इस चुनाव में 61,560 वोट मिले थे जो कुल डाले गये वोट का 37.90% था वहीं शुक्ला को 35,746 मत प्राप्त हुए थे जो कुल वैध मतदान का 22.01% था. इनके अलावा बहुजन संघर्ष दल के रणजीत सिंह गुर्जर ने भी 28160 वोट यानी कुल मतों का 17.34% वोट हासिल कर तीसरा स्थान प्राप्त किया था. इस तरह ओपीएस भदौरिया ने 25814 वोटों से सत्ताधारी बीजेपी के राकेश शुक्ला को हरा दिया था. इस विधानसभा चुनाव में 1,62,734 वोट मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.

  1. MP Seat Scan Bhitarwar: भितरवार कांग्रेस का अभेद किला, जानें क्यों BJP नहीं उतार पाती है दमदार प्रत्याशी
  2. MP Seat Scan Govindpura: बीजेपी के गढ़ को कांग्रेस कैसे करेगी फतह, 9 चुनावों से लगातार मिल रही शिकस्त

मेहगांव विधानसभा चुनाव 2013 के आंकड़े: 2013 में जब चुनाव हुए तो यह सीट मोदी लहर के चलते बीजेपी के खाते में आए थी बीजेपी से चुनाव लड़े चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी ने कांग्रेस केंडिडेट ओपीएस भदौरिया को हराया था यहाँ ओपीएस भदौरिया को 28460 मत प्राप्त हुए जो कुल वोट का 20.21% था वहीं उनके ख़िलाफ़ लड़ रहे बीजेपी से चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी को 29733 वोट मिले जो कुल मतों का 21.11% था इस तरह जीत का अंतर 1273 वोट यानी 0.9 % रहा.

मेहगांव विधानसभा चुनाव 2008 के आंकड़े:2008 में जब चुनाव हुए तो इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी राकेश शुक्ला जीते उन्होंने राष्ट्रीय समानता दल के राय सिंह भदौरिया (बाबा) को हराया था. राय सिंह को तब 28290 मत प्राप्त हुए जो कुल वोट का 22.34% था वहीं उनके ख़िलाफ़ लड़ रहे बीजेपी के जीते प्रत्याशी राकेश शुक्ला को 33634 वोट मिले जो कुल मतों का 26.56% था इस तरह जीत का मार्जिन 5344 वोट यानी कुल मत का 4.22% रहा. इस चुनाव कांग्रेस से चुनाव लड़े हरि सिंह नरवरिया अपनी जमानत तक नहीं बचा पाये थे.

स्थानीय मुद्दे: मेहगांव विधानसभा के स्थानीय मुद्दों की बात की जाए विकास के नाम पर आज भी यह क्षेत्र पिछड़ा नजर आता है. स्थानीय विधायक ओपीएस भदौरिया कहने को मध्यप्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन एवं आवास राज्यमंत्री हैं लेकिन कोई बड़ा डेवलपमेंट या योजना यहां के लोगों के लिए अब तक नहीं लायी जा सकी है. मंत्री के विभाग के संबंधित नल जल योजना के तहत क्षेत्र में फिल्टर प्लांट अभी तक नहीं बन पाया, विधानसभा मुख्यालय और नेशनल हाईवे पर होने के बावजूद आज तक यहां बस स्टैंड नहीं बन सका. इस विधानसभा क्षेत्र में कई रेत खदाने हैं ऐसे में रेत माफिया भी हावी हैं. रेत का अवैध खनन और परिवहन एक अहम मुद्दा है. अस्पताल में विशेषज्ञ ख़ासकर महिला और बाल रोग विशेषज्ञों की कमी के चलते मरीज़ों को भिंड जिला अस्पताल पर निर्भर होना पड़ रहा है. पेयजल व्यवस्था और आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर की दरकार है इस क्षेत्र में 45 प्रतिशत वोटर युवा वर्ग से है जो सेना में भर्ती होना चाहता है लेकिन बड़े परिसर खेल मैदान का अभाव उनके सपनों के आड़े आते हैं.

भिंड। मध्यप्रदेश में बीजेपी हो या कांग्रेस या विधानसभा के चुनावी मैदान में एक बार फिर अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं. बूथ लेवल पर कार्यकर्ता तो पार्टियों के दिग्गज नेता जिलेवार दौरे कर वोटरों को साधने में जुटे हुए हैं. मेहगांव विधानसभा सीट भी कई मायनों में अपना विशेष स्थान रखती है. यह प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं आवास राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया का विधानसभा क्षेत्र है. जी हां वही ओपीएस भदौरिया जो पिछले विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान कांग्रेस के प्रत्याशी थे और चुनाव जीत कर पहली बार विधायक भी बने थे. माना जाता है कि मेहगांव में चुनाव जातीय समीकरणों पर आधारित रहता है जिसकी वजह से पार्टियां भी विरोधी के अनुसार ही अपना दावेदार खड़ा करती हैं. यहां पार्टी प्रत्याशियों को वोट हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है क्योंकि जानता भी किसी भी दल पर आसानी से भरोसा नहीं करती है.

Mehgaon assembly constituency
मेहगांव विधानसभा क्षेत्र की खासियत

मेहगांव विधानसभा क्षेत्र की खासियत: मेहगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 12 एक कृषि बाहुल्य और खनिज संपदा से संपन्न क्षेत्र है, इस क्षेत्र में गेहू और सरसों के साथ दलहन की खेती किसान वोटर की आय का मुख्य श्रोत है. इसके अलावा इस विधानसभा क्षेत्र से गुजरी सिंध नदी की वजह से यहां कई रेत खदानें हैं जो जिले और शासन को राजस्व मुहैया कराती हैं. वहीं स्थानीय व्यापारियों द्वारा रॉयल्टी पर रेत का कारोबार कई परिवारों का चूल्हा जलाता है.

Mehgaon assembly constituency
मेहगांव विधानसभा क्षेत्र में मतदाता

मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के मतदाता: बात अगर मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की करें तो वर्तमान में इस क्षेत्र में (1 जनवरी 2023 के अनुसार) कुल 2 लाख 69 हजार 373 मतदाता हैं जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 47 हजार 789 और महिला मतदाता 1 लाख 21 हजार 581 हैं साथ ही 3 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं जो इस वर्ष विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.

मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के सियासी हालात: मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने कभी किसी राजनैतिक दल पर पूरी तरह भरोसा नहीं जताया, इस क्षेत्र में है चुनाव हमेशा ही जातिगत समीकरणों पर टिके होते हैं. यही वजह रही है कि बीजेपी कांग्रेस का मुकाबला भी ब्राह्मण-क्षत्रिय प्रत्याशी के बीच होता है. 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जानता पार्टी के प्रत्याशियों को जनता ने जिताया लेकिन विकास की सरकार ने 2018 में सत्ता बदलाव के लिए कांग्रेस से खड़े हुए ओपीएस भदौरिया को नया विधायक बनाया था. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भी बनी लेकिन 18 महीने की सरकार कुछ कर ना सकी और ओपीएस भदौरिया समेत 25 कांग्रेस विधायक जनादेश को ताक पर रख कर ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में उनके साथ बीजेपी में शामिल हो गए. बाद में 2020 में उपचुनाव हुए और एक बार फिर जातीय समीकरण ने ओपीएस भदौरिया को जिता दिया विधायक बनाया और सरकार ने राज्यमंत्री लेकिन इतने के बावजूद आज भी मेहगांव जनसुविधाओं और विकास के नाम पर जस के तस है.

MP Seat Scan Sanwer: दिलचस्प होगा प्रदेश की VIP दलबदलू सीट पर मुकाबला, जानें सांवेर की जनता का मूड

यह उपचुनाव कांग्रेस के लिहाज से भी कम नहीं था कांग्रेस ने इस सीट पर अटेर के पूर्व विधायक हेमंत कटारे को मौका दिया जो एक तरह से पैराशूट प्रत्याशी थे लेकिन ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र में भी कटारे को समर्थन मिला और कांग्रेस द्वारा इस सीट पर हुए अब तक के चुनाव में सर्वाधिक वोट हासिल हुए. 2023 के लिहाज से आने वाले विधानसभा चुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए बड़ा चैलेंज है क्यूँकि बीजेपी के आगे अपने संगठन के पुराने दो पूर्व विधायक मुकेश चौधरी और राकेश शुक्ला टिकट दावेदारी में खड़े हैं. वहीं सिंधिया समर्थक ओपीएस भदौरिया के साथ यह चुनाव बीजेपी के लिए त्रिकोणीय समस्या बन कर उभरती दिखाई दे रही है. वहीं कांग्रेस के पास अब तक मेहगांव से खड़ा करने के लिए मजबूत दावेदार नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में दोनों पार्टियां किसे प्रत्याशी बनाएगी अंत तक कहना मुश्किल होगा.

जातीय समीकरण: क्षेत्र में एससी-एसटी, ब्राह्मण, क्षत्रिय बाहुल्य जातियां हैं. एससी में परिहार, बरैया, नरवरिया हैं. क्षेत्र में 52 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं. करीब 50 हजार वोटर क्षत्रिय हैं.

Mehgaon assembly constituency
मेहगांव विधानसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण

आखिरी तीन विधानसभा चुनाव की स्थिति: मेहगांव विधानसभा उपचुनाव 2020 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक ओपीएस भदौरिया ने पार्टी छोड़ सिंधिया के साथ बीजेपी जॉइन की जिसके चलते पद से इस्तीफा देने के चलते सीट खाली हुई तो उसी साल मेहगांव विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव कराए गए जिनमें बीजेपी ने ओपीएस भदौरिया को प्रत्याशी बनाकर दोबारा चुनावी मैदान में उतारा और वहीं कांग्रेस ने अटेर के पूर्व विधायक रहे. हेमंत कटारे को मेहगांव में चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया. इस उपचुनाव में हेमंत कटारे ने 61 हजार 563 वोट प्राप्त किया और निकटतम प्रतिद्वंदी रहे जबकि जीत का सेहरा बीजेपी के ओपीएस भदौरिया ने पहना जिन्हें जानता ने 73 हजार 599 वोट दिए. ऐसे में जीत का अंतर 12 हजार 36 मतों का रहा.

Mehgaon assembly constituency
मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के मतदाता

मेहगांव विधानसभा चुनाव 2018 के आंकड़े: अटेर विधानसभा सीट पर 2018 के चुनाव में जीत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (INC) के प्रत्याशी बने ओपीएस भदौरिया की हुई थी उनके प्रतिद्वंदी बीजेपी के टिकट पर लड़े पूर्व विधायक राकेश शुक्ला थे. भदौरिया को जहां इस चुनाव में 61,560 वोट मिले थे जो कुल डाले गये वोट का 37.90% था वहीं शुक्ला को 35,746 मत प्राप्त हुए थे जो कुल वैध मतदान का 22.01% था. इनके अलावा बहुजन संघर्ष दल के रणजीत सिंह गुर्जर ने भी 28160 वोट यानी कुल मतों का 17.34% वोट हासिल कर तीसरा स्थान प्राप्त किया था. इस तरह ओपीएस भदौरिया ने 25814 वोटों से सत्ताधारी बीजेपी के राकेश शुक्ला को हरा दिया था. इस विधानसभा चुनाव में 1,62,734 वोट मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.

  1. MP Seat Scan Bhitarwar: भितरवार कांग्रेस का अभेद किला, जानें क्यों BJP नहीं उतार पाती है दमदार प्रत्याशी
  2. MP Seat Scan Govindpura: बीजेपी के गढ़ को कांग्रेस कैसे करेगी फतह, 9 चुनावों से लगातार मिल रही शिकस्त

मेहगांव विधानसभा चुनाव 2013 के आंकड़े: 2013 में जब चुनाव हुए तो यह सीट मोदी लहर के चलते बीजेपी के खाते में आए थी बीजेपी से चुनाव लड़े चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी ने कांग्रेस केंडिडेट ओपीएस भदौरिया को हराया था यहाँ ओपीएस भदौरिया को 28460 मत प्राप्त हुए जो कुल वोट का 20.21% था वहीं उनके ख़िलाफ़ लड़ रहे बीजेपी से चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी को 29733 वोट मिले जो कुल मतों का 21.11% था इस तरह जीत का अंतर 1273 वोट यानी 0.9 % रहा.

मेहगांव विधानसभा चुनाव 2008 के आंकड़े:2008 में जब चुनाव हुए तो इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी राकेश शुक्ला जीते उन्होंने राष्ट्रीय समानता दल के राय सिंह भदौरिया (बाबा) को हराया था. राय सिंह को तब 28290 मत प्राप्त हुए जो कुल वोट का 22.34% था वहीं उनके ख़िलाफ़ लड़ रहे बीजेपी के जीते प्रत्याशी राकेश शुक्ला को 33634 वोट मिले जो कुल मतों का 26.56% था इस तरह जीत का मार्जिन 5344 वोट यानी कुल मत का 4.22% रहा. इस चुनाव कांग्रेस से चुनाव लड़े हरि सिंह नरवरिया अपनी जमानत तक नहीं बचा पाये थे.

स्थानीय मुद्दे: मेहगांव विधानसभा के स्थानीय मुद्दों की बात की जाए विकास के नाम पर आज भी यह क्षेत्र पिछड़ा नजर आता है. स्थानीय विधायक ओपीएस भदौरिया कहने को मध्यप्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन एवं आवास राज्यमंत्री हैं लेकिन कोई बड़ा डेवलपमेंट या योजना यहां के लोगों के लिए अब तक नहीं लायी जा सकी है. मंत्री के विभाग के संबंधित नल जल योजना के तहत क्षेत्र में फिल्टर प्लांट अभी तक नहीं बन पाया, विधानसभा मुख्यालय और नेशनल हाईवे पर होने के बावजूद आज तक यहां बस स्टैंड नहीं बन सका. इस विधानसभा क्षेत्र में कई रेत खदाने हैं ऐसे में रेत माफिया भी हावी हैं. रेत का अवैध खनन और परिवहन एक अहम मुद्दा है. अस्पताल में विशेषज्ञ ख़ासकर महिला और बाल रोग विशेषज्ञों की कमी के चलते मरीज़ों को भिंड जिला अस्पताल पर निर्भर होना पड़ रहा है. पेयजल व्यवस्था और आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर की दरकार है इस क्षेत्र में 45 प्रतिशत वोटर युवा वर्ग से है जो सेना में भर्ती होना चाहता है लेकिन बड़े परिसर खेल मैदान का अभाव उनके सपनों के आड़े आते हैं.

Last Updated : Jul 4, 2023, 7:27 AM IST
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